सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायधीश एनवी रमना ने भी केंद्र सरकार से देशद्रोह की धारा 124ए को खत्म करने की अपील करते हुए पूछा है कि क्या आजादी के 75 साल बाद भी देशद्रोह कानून को जारी रखना जरूरी है?
पहले कांग्रेस ने इस धारा का जमकर दुरूपयोग किया अब भाजपा सरकार कर रही है इसका दुरूपयोग: अभय चौटाला
सिरसा में किसानों पर लगाई गई देशद्रोह की धारा को तुरंत प्रभाव से हटाए भाजपा सरकार
देशद्रोह की धारा लगाकर बेकसूर लोगों को दुर्भावना के तहत फसंाती है भाजपा सरकार

चंडीगढ़, 17 जुलाई: पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने भाजपा-गठबंधन सरकार द्वारा प्रदेश में देशद्रोह की धारा का बदले की भावना से इस्तेमाल करने पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि यह अंग्रेजो के समय का कानून है और अंग्रेजों ने यह धारा इसलिए बनाई थी ताकि किसी भी सत्याग्रही पर बगावत या आतंक का आरोप लगाकर उसे जेल में ठूंस दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह बात समझ से परे है कि आज देश को आजाद हुए 70 साल से उपर हो गए हैं लेकिन यह धारा आज भी अपने हकों के लिए आवाज उठाने वालों के खिलाफ इस्तेमाल की जाती है। इस धारा के तहत 2014 के बाद लगभग 600 लोगों को सरकार ने गिरफ्तार कर जेलों मे डाला लेकिन उनमें से सिर्फ 10 लोगों को ही दोषी पाया गया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार सिरसा में किसानों पर लगाई गई देशद्रोह की धारा को तुरंत प्रभाव से हटाए।

इनेलो नेता ने कहा कि पहले कांग्रेस ने इस धारा का जमकर दुरूपयोग किया अब भाजपा सरकार कर रही है। भाजपा सरकार ने स्वतंत्र भारत में समाज सेवियों, पत्रकारों और अब किसानों के खिलाफ देशद्रोह की धारा का दुरूपयोग कर लोकतंत्र का गला घोंट दिया है। यह धारा स्वतंत्र भारत में नागरिकों की अभिव्यक्ति की आजादी की हत्या है। पत्रकार विनोद दुआ समेत देश के बहुत से पत्रकारों को भी इस धारा के तहत फंसाने की कौशिशें की गई लेकिन सरकार किसी को भी दोषी साबित नहीं कर पाई और सभी बरी हो गए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने भी केंद्र सरकार से देशद्रोह की धारा 124ए को खत्म करने की अपील करते हुए पूछा है कि क्या आजादी के 75 साल बाद भी देशद्रोह कानून को जारी रखना जरूरी है?

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इस धारा का इस्तेमाल अंग्रेजों द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनकारियों की आवाज को दबाने के लिए किया जाता था। अभय सिंह चौटाला ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की पीठ ने स्पष्ट कहा है कि सरकारों द्वारा राजद्रोह कानून का भारी दुरुपयोग किया गया है और कहा कि ”इसकी तुलना एक बढ़ई से की जा सकती है, जिसे लकड़ी काटने के लिए कहा जाता है लेकिन वह पूरे जंगल को काट देता है”।

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और प्रदेश सरकारों को गंभीरता दिखाते हुए इस धारा का दुरूपयोग न हो, और बेकसूर लोगों को दुर्भावना के तहत फसांने से बचाया जा सके, इसके लिए धारा 124ए को खत्म कर देना चाहिए।

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