कुकिंग कोस्ट भी देने का फैसला

रमेश गोयत

चंडीगढ़/पंचकूला। प्रदेश में कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद के कारण छात्र-छात्राओं को मिड डे मील योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश सरकार ने 16 जुलाई से स्कूल खोलने का निर्णय लिया है। सरकार ने प्रदेश के स्कूलों में कक्षा पहली से आठवीं तक के छात्र-छात्राओं को गेहूं-चावल व कुकिंग कोस्ट (बनाने की लागत भी देने का फैसला किया है। यह जुलाई से अगस्त महीने का राशन छात्र-छात्राओं को दिया जाएगा। शिक्षा निदेशालय ने इस बाबत 14 जुलाई को आदेश भी जारी कर दिए है।

आदेशों के अनुसार गेहूं-चावल के वितरण के लिए अलग-अलग मापदंड तय किए गए है। निदेशक प्राईमरी शिक्षा विभाग पंचकूला के आदेशानुसार प्राईमरी के बच्चें को जुलाई माह का खाना बनाने का खर्चा प्रति बच्चा 4 रूपए 97 पैसे 25 दिन के 124 रूपए 25 पैसे दिए जाएगा। इसी प्रकार प्राईमरी से उपर खाना बनाने का खर्चा 7 रूपए 45 पैसे 25 दिन के 186 रूपए 25 पैसे दिए जाएगें। इसी प्रकार प्राईमरी के बच्चें को 25 दिन के लिए 2 किलो 500 ग्राम गेहूं और चावल दिया जाएगा। प्राईमरी से उपर के छात्रों को 3 किलो 750 ग्राम गेहूं और चावल वितरित किया जाएगा। इसी प्रकार अगस्त माह का राशन भी 24 दिन के लिए देने के आदेश जारी किए है। यह राशन के पैक्ट देने का आदेश जारी किए है। खुला राशन नही दिया जाएगा।

कोरोना के चलते मिड डे मील बंद होने से बच्चों को मिलने वाले पोषण पर असर पड़ रहा है। ऐसे में सरकार ने मिड डे मील की जगह छात्रों को कहीं गेहूं-चावल देने का फैसला किया है। इससे लॉकडाउन के दौरान वित्तीय संकट से जूझ रहे परिवारों को सहायता मिलेगी। शिक्षा विभाग की ओर से जुलाई व अगस्त माह का सूखा राशन हरियाणा के सभी जिलों में भेजा जा रहा है ताकि शिक्षकों द्वारा अपनी-अपनी कक्षाओं के बच्चों के घरों पर जाकर राशन वितरित किया जा सके। यह राशन शैक्षणिक सत्र 2020-21 के दौरान पहली से आठवीं कक्षा तक में पढ़ने वाले बच्चों को मिलेगा। विभाग के आदेशानुसार शिक्षकों को मिड डे मील का राशन बीते वर्ष की तरह ही बच्चों के घरों पर वितरित करना पड़ेगा।

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