दक्षिणी हरियाणा की दोनो मुख्य नहर जवाहरलाल नेहरू कैनाल व इंदिरा गांधी कैनाल में यमुना नदी से नाम मात्र का पानी दिया जाता है। इस नहरी पानी से क्षेत्र की कुल फसल का मुश्किल से 2 से 3 प्रतिशत फसल ही सिंचित हो पाती है। 
दक्षिणी हरियाणा में बिजली निगमे घरों में ही पर्याप्त बिजली दे नही पा रही है तो नलकूप को प्रतिदिन दस घंटे बिजली देने का दावा मात्र एक कागजी घोषणा के सिवाय कुछ नही है।

रेवाड़ी, 15 जुलाई 2021 – दक्षिणी हरियाणा में समय पर मोनसून की वर्षा न होने व नहरी पानी नाम मात्र आने के मध्यनजर स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से मांग की कि वे इस बात का विशेष अध्ययन करवाये कि वर्षा व पानी की कमी के चलते इस क्षेत्र में खरीफ फसल बिजाई पर कितना असर पड़ा है।

विद्रोही ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार विगत वर्षो की तुलना में इस साल समय पर मोनसून वर्षा न होने, बिजली आधारित नलकूपों को पर्याप्त बिजली आपूर्ति नही होनेे व नाममात्र का नहरी पानी आने से दक्षिणी हरियाणा में खरीफ फसलों की बिजाई बुरी तरह से प्रभावित हुई है और जिन किसानों ने किसी तरह फसल बिजाई कर भी दी थी, उनकी फसले भी पानी की कमी से खराब हुई है। दक्षिणी हरियाणा की दोनो मुख्य नहर जवाहरलाल नेहरू कैनाल व इंदिरा गांधी कैनाल में यमुना नदी से नाम मात्र का पानी दिया जाता है। इस नहरी पानी से क्षेत्र की कुल फसल का मुश्किल से 2 से 3 प्रतिशत फसल ही सिंचित हो पाती है। 

विद्रोही ने कहा कि जब जवाहरलाल नेहरू कैनाल व इंदिरा कैनाल से आने वाले यमुना नदी के पानी से दक्षिणी हरियाणा के नागरिकों को पर्याप्त पेयजल तक सप्लाई नही हो पाता है और हर माह पानी की राशनिंग होती है तो सहज अनुमान लगाया जा सकता इस नहरी पानी से कैसी खेती की सिंचाई होती होगी। मोनसून के अभाव में भाजपा सरकार ने नलकूपों पर दस घंटे बिजली देने की घोषणा तो की है, पर यह इतनी देर से हुई है कि अब बिजाई का समय भी निकल चुका। वहीं जब प्रदेश में इस भयंकर गर्मी में दक्षिणी हरियाणा में बिजली निगमे घरों में ही पर्याप्त बिजली दे नही पा रही है तो नलकूप को प्रतिदिन दस घंटे बिजली देने का दावा मात्र एक कागजी घोषणा के सिवाय कुछ नही है।

विद्रोही ने कहा कि यह क्षेत्र के गिरते भू-जलस्तर से पहले ही पानी की कमी से जूझ रहा है, ऊपर से समय पर मोनसून वर्षा न होने से यह संकट और बढ़ गया है। सरकार को विशेष अध्ययन करने की जरूरत है कि कहीं खरीफ फसल की पर्याप्त बिजाई न होने से दक्षिणी हरियाणा को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की जरूरत तो नही। विद्रोही ने मुख्यमंत्री खट्टर से मांग की कि वे तत्काल दक्षिणी हरियाणा में खरीफ फसल बिजाई पर एक श्वेत पत्र जारी करके जमीनी धरातल की वास्तविकता सामने लाकर दक्षिणी हरियाणा के सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करके अभी से राहत के विशेष कदम उठाने की पहल करे। 

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