-कमलेश भारतीय लीजिए , केंद्रीय मंत्रिमंडल के नये विस्तार में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्धन दोनों फेल घोषित कर दिये गये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा । बहुत बुरी हुई । वैसे दोनों का एक दूसरे को मंत्रिमंडल से बाहर निकलवाने में पूरा पूरा हाथ है । कैसे ? यदि कोरोना की दूसरी लहरपर डाट हर्षवर्धन काबू पा लेते तो रमेश निशंक स्कूल काॅलेज खोल पाते ।इस तरह दोनों के मंत्रिपद बचे रहते ।सुरक्षित रहते लेकिन दोनों एक दूसरे को ले बैठे । यह भ्रांति भी दूर हो गयी कि यदि स्वास्थ्य मंत्री डाॅक्टर हो तो अच्छा काम करेगा । और पढ़ा लिखा व कवि हृदय मंत्री भी शिक्षा मंत्री भी शिक्षा के साथ न्याय न कर पाया । वैसे तो प्रधानमंत्री के लाड़ले रवि शंकर प्रसाद भी गये और प्रकाश जाबडेकर भी । ये फिर से संगठन में भेजे जा सकते हैं । प्रवक्ता वाले रोल में । हां , ज्योतिरादित्य सिंधिया और नारायण राने को मंत्रिम॔डल में जगह मिल गयी । अब ज्योतिरादित्य सिंधिया की नयी योग्यता तो आपको मालूम ही है । दलबदल करवा कर मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार में वापसी करवाई तो इतना हक तो बनता ही है न ? कि मैं झूठ बोल्या? कोई न । नारायण राने को भी दलबदल का तोहफा मिला । जितिन प्रसाद जरूर रह गये । पर उनकी टाइमिंग गलत रही न । फिर वे सांसद भी नहीं । रामबिलास पासवान के छोटे भाई पारस बन गये मंत्री जबकि चिराग पासवान देखता ही रह गया । उसे सज़ा दी गयी बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के विरोध की । अब बिहार में यह छोटी पार्टी अगले लोकसभा चुनाव तक निपट चुकी होगी। न रहेगा चाचा और न रहेगा भतीजा । एक तीर से दो शिकार । जैसे हरियाणा मे चाचा भतीजा अलग किये । वैसे ही बिहार में भी गेम खेल दी । बताया जाता है कि यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह फेरबदल किया गया और सात सात मंत्री यूपी के ही बनाये गये । इसी के चलते हरियाणा को अपने कोटे का एक मंत्री खोने के लिए मजबूर होना पड़ा । यानी रतनलाल कटारिया की छुट्टी हो गयी और उनकी जगह बड़ी चर्चायें थीं कि चौ बीरेंद्र सिंह अपने आईएएस बेटे और हिसार के सांसद ब्रजेंद्र को मंत्रिमंडल में शामिल करवा कर अपना कद बढ़ा लेंगे लेकिन ऐसा न हुआ । इसी प्रकार चर्चायें थीं कि सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल मंत्री बनने की दौड़ में आगे है लेकिन वे ऐसी पिछड़ीं कि दौड़ में कहीं नज़र ही न आईं । हरियाणा छोटा सा प्रदेश और महत्त्व भी छोटा ही मिला । पंजाब से भी कोई मंत्री नहीं । बनाते किसे ?वो एक शेर है न बहुत शोर सुनते थे पहलू में उनकामगर जब काटा तो कतरा ए खून न निकला ,,,,अकाली दल से गठबंधन टूट गया । आप के भगवंत मान को बना लेते पर छप्पन इंच के सीने में कितने इंच का दिल है? यह कोई नहीं जानता । ये तो प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का दिल था जो अपने मंत्रिमंडल में दूसरे दलों को भी प्रतिनिधित्व दिया । अब जो मंत्रिपद पा गये उन्हें जोरदार बधाई । जो निकाल दिये गये उनके साथ अफसोस । थोड़े दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात । इंतज़ार कीजिए । अभी तीन पद खाली हैं । खुश करने के लिए । दल बदल करो और पद पाओ । Post navigation कोरोना राष्ट्रीय आपदा , इसमें सेवा भाव प्रमुख होना चाहिए : डाॅ कुलदीप कुमार राफेल के खिलाड़ी , राफेलसौदा राफेलघोटाला