स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन ने हाईकोर्ट में डाली थी ग्राम पंचायत के पक्ष में जनहित याचिका
जनवरी से प्रेमनगर में चल रहा है मेडिकल निर्माण की मांग को लेकर संयुक्त मोर्चे का धरना

भिवानी, 07 जुलाई। मुख्यमंत्री की घोषणा के चार साल बाद भी ग्राम पे्रमनगर की 35 एकड़ भूमि पर मेडिकल कॉलेज का निर्माण शुरू नहीं किए जाने का मामला अब पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में पहुंच गया। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने ग्राम पंचायत के पक्ष में मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए कटड़ा फार्म की जगह पर करीब दो हजार हरे पेड़ों की कटाई के मामले को चुनौति देते हुए जनहित याचिका डाली। जबकि गांव प्रेमनगर में पहले ही मेडिकल कॉलेज के लिए जगह चिह्नित हो चुकी थी। पांच जुलाई को हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। सरकार की तरफ से न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए इस मामले में जल्द से जल्द फैसला लेने का जवाब दिया। न्यायालय में शिकायतकर्ता की याचिका को इस स्वत्रतंता के साथ वापस कर दिया कि अगर 15 दिन में सरकार किसी निर्णय तक नहीं पहुंचती तो फिर से न्यायालय की शरण ले सकता है। 

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका डाली थी। शिकायत में बताया गया था कि सरकार ने हांसी रोड स्थित कटड़ा फार्म की जगह व जिला नागरिक अस्पताल के समीप जगह पर वर्षों पुराने करीब दो हजार हरे पेड़ काटने की तैयारी में थे। जिसकी किसी भी विभाग से कोई एनओसी नहीं ली गई। जबकि मुख्यमंत्री ने 29 जुलाई 2017 को केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री जेपी नड्डा की मौजूदगी में प्रेमनगर में हुई रैली में यहां मेडिकल कॉलेज निर्माण की घोषणा की थी।

इस घोषणा के बाद सितंबर 2018 में गांव प्रेमनगर की पंचायत ने 35 एकड़ भूमि सरकार को लीज पर दे दी थी। जिसके बाद इस भूमि की चार दीवारी कराने के लिए 97 लाख रुपये का टेंडर भी हुआ और चारदीवारी कर दी गई। मगर इसी बीच सरकार ने 2019 हांसी रोड कटड़ा फार्म व जिला नागरिक अस्पताल के समीप जगह पर मेडिकल कॉलेज निर्माण का काम शुरू करा दिया। इस जगह पर हरे पेड़ भी बिना एनओसी के ही कुछ हरे पेड़ काट डाले, बाकी काटने की तैयारी में थे।

बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि 2014 और 2017 में सरकार द्वारा गठित दो कमेटियों ने प्रेमनगर की भूमि पर मेडिकल निर्माण के पक्ष में अपनी रिपोर्ट दे चुकी थी। जबकि 2019 में सरकार ने एक नई कमेटी बनाई, जिसने सिर्फ दो वजह दर्शाते हुए मेडिकल कॉलेज की नई जगह चिह्नित कर दी। इसमें एक वजह प्रेमनगर में मेडिकल कॉलेज के प्रवेश के लिए संकरी जगह और दूसरा जिला मुख्यालय अस्पताल से अधिक दूरी दर्शाया गया। जबकि नियम के अनुसार जिला मुख्यालय के अस्पताल से मेडिकल कॉलेज की अधिकतम दूरी 10 किलोमीटर तक होनी चाहिए, जबकि प्रेमनगर जिला सामान्य अस्पताल से आठ किलोमीटर दूर है। अगर मेडिकल कॉलेज की जगह संकरी है तो यूनिवर्सिटी के लिए भी उतना ही रास्ता निर्धारित किया है। जबकि यूनिवर्सिटी का रास्ता सही माना गया है। 

जनवरी से चल रहा है प्रेमनगर में संयुक्त संघर्ष मोर्चा का धरना

प्रेमनगर में मेडिकल कॉलेज का निर्माण और यूनिवर्सिटी में दाखिलों व नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर जनवरी 2021 से लगातार अनिश्चित कालीन धरना चल रहा है। संयुक्त संघर्ष धरना कमेटी कई बार इस मामले को लेकर जिला प्रशासन व मुख्यमंत्री से भी मिल चुकी है। मगर अभी तक सरकार ने प्रेमनगर की भूमि पर मेडिकल कॉलेज निर्माण नहीं किए जाने संबंधी कोई भी लिखित में दस्तावेज नहीं दिए हैं और न ही लीज पर ली भूमि को वापस ग्राम पंचायत को दिया है। 

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