पटौदी अस्पताल में एक अनोखी ही अंदाज में मनाया डॉक्टर्स डे.
सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नीरू का किया अभिनंदन

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
    वी आल आर जस्ट लाइक ए फैमिली मेंबरस। हम सभी मिलकर एक परिवार के सदस्य और एक टीम के रूप में रोगियों सहित पीड़ितों की सेवा कर रहे हैं । यह हम सभी के लिए बेहद सौभाग्य की बात है कि हमें भगवान ने दीन हीन जरूरतमंद रोगियों और पीड़ितों की सेवा करने का मौका दिया है। दूसरे शब्दों में पीड़ितों अथवा रोगियों के द्वारा डॉक्टर को भगवान का दर्जा देकर भगवान के रूप में भी देखा जाता है । इसका मुख्य कारण है सभी डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी अपनी अपनी काबिलियत और क्षमता के मुताबिक रोगियों की सेवा करते हुए गंभीर पीड़ितों की जान बचाने तक के लिए अंतिम समय तक प्रयास करते रहते हैं । यह बात नेशनल डॉक्टर्स डे के उपलक्ष के मौके पर पटौदी नागरिक अस्पताल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नीरू यादव के द्वारा कही गई।

पटौदी नागरिक अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित कोई भी दिवस या कार्यक्रम हो, ऐसे मौके पर यहां अस्पताल में कार्यरत सभी स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी इस प्रकार के आयोजन में शामिल होकर एक दूसरे के अनुभवों को सांझा करते करते रहते हैं । पटौदी नागरिक अस्पताल में सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नीरू यादव का नर्सिंग स्टाफ हैड श्रीमती सुशीला, आशा वर्कर कोऑर्डिनेटर आरती, ममता, ललित, सुनील , गोपी , उर्मिला व अन्य के द्वारा फूलों का गुलदस्ता देकर अभिनंदन करते हुए डॉक्टर्स डे की बधाई दी गई ।

इसके उपरांत सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नीरू यादव ने कोविड-19 के नोडल ऑफिसर एवं आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा , डॉक्टर दिनेश रोहिल्ला, डॉ सतीश यादव, डॉक्टर एम एस रंगा , गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर  ज्योति डबास, डॉक्टर अश्वनी के कमरों में पहुंचकर एक प्रकार से सरप्राइस देते हुए सभी को गुलाब के फूल भेंट किए और उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए प्रोत्साहित भी किया। इसके अलावा पटौदी नागरिक अस्पताल में काम करने वाले विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को भी प्रोत्साहित करते हुए खासतौर से कोरोना कॉविड 19 महामारी के दौरान उनके द्वारा किए गए कार्यों की मुक्त कंठ से सराहना की ।

उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान में काम करते हुए हम सभी एक परिवार के सदस्य के रूप में काम करते हुए अपने अपने काम को ईमानदारी से करते रहें, तो यह बात निश्चित है कि अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले रोगियों और पीड़ितों को भी अपनापन ही महसूस होगा । इस मौके पर उन्होंने कहा की यहां एक ही छत और एक ही संस्थान में काम करते हुए हम सभी को एक दूसरे के सुख दुख में भी भागीदार बनकर दुख या फिर मन के बोझ को हल्का कम करने का प्रयास करते रहना चाहिए। जितना अधिक तनाव रहित रहकर काम किया जा सकेगा , उतना बेहतर ही परिणाम हम प्राप्त कर सकते हैं। अस्पताल में आने वाले रोगी और पीड़ित एक ऐसे ही विश्वास के साथ यहां उपचार के लिए आते हैं कि जिस भी संबंधित डॉक्टर के पास वह अपनी पीड़ा अथवा बीमारी को लेकर पहुंचते हैं , यही उम्मीद उन्हें होती है कि डॉक्टर जल्द से जल्द उनकी पीड़ा या फिर बीमारी से छुटकारा दिलवा सकेगा।  हम सभी को इसी विश्वास को बनाए रखना ही होगा। 

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