पंचकूला। केन्द्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों के जनवरी,2020 से रोके गए डीए बहाली का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। राज्य कर्मियों के सबसे बड़े राष्ट्रीय संगठन अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी फेडरेशन ने जनवरी, 2020 से रोके गए डीए व पुरानी पेंशन बहाली करने की मांग की लेकर 15 जूलाई को राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस का आयोजन करने का ऐलान किया है। प्रतिरोध दिवस पर देशभर में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे और प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन भेजकर डीए व पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की जाएगी। प्रतिरोध दिवस पर होने वाले प्रदर्शनों में सरकारी विभागों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का अंधाधुंध किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाने,पुरानी पेंशन बहाल करने, असंवैधानिक तीनों कृषि कानूनों व लेबर कोड्स को रद्द करने, ठेका प्रथा समाप्त कर सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, कोविड में मारे गए कर्मचारियों को 50 लाख रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को पक्की नौकरी देने,जन सेवाओं के विभागों में खाली पड़े पदों को पक्की भर्ती से भरने, सभी को फ्री में शीघ्र वैक्सीन लगाने आदि मांगों को प्रमुखता से उठाया जाएगा। यह निर्णय शनिवार देर सायं अखिल भारतीय राज्य सरकार कर्मचारी फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा की अध्यक्षता में आयोजित वर्चूअल बैठक में लिया गया। बैठक में शामिल सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सतीश सेठी ने बताया कि 15 जुलाई को आयोजित प्रतिरोध दिवस का हरियाणा में पूरी तरह पालन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 15 जूलाई को सभी विभागों में विरोध गेट मीटिंग आयोजित कर प्रदर्शन किए जाएंगे।

अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों ने कोरोना महामारी के बहाने कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते को जनवरी,2020 से रोका हुआ है। सरकार ने इसमें सैनिकों, अर्धसैनिक बलों, पेंशनरों तक को नहीं बख्शा है। उन्होंने बताया कि डीए रोक के कारण 50 हजार बेसिक पे वाले 30 जून को रिटायर हो रहे कर्मचारी को वेतन,ग्रेज्यूटी व लीव एनकेशमेंट में 2 लाख 22 हजार का नुक्सान उठाना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि डीए न मिलने से प्रति कर्मचारी को औसतन एक से डेढ़ लाख रुपए का नुक्सान 18 महीने में हो चका है। उन्होंने बताया कि डीए बन्द करके केन्द्र व राज्य सरकार कर्मचारियों के लाखों करोड़ रुपए हड़प चुकी है। हरियाणा सरकार भी करीब 2500 करोड़ रुपए कर्मचारियों का हजम कर चुकी है। उन्होंने केन्द्र सरकार से जुलाई,2021 से डीए बहाल करने और जनवरी,2020 से जून,2021 (18 महीने ) के एरियर भुगतान करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य ढांचे में काम करने वाले मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ सहित केन्द्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना संक्रमण के खिलाफ मजबूती से लड़ रहे हैं। जिसके कारण हजारों के संख्या में कर्मचारी मौत के मुंह में जा चुके हैं। सरकार इन्ही कर्मचारियों का डीए रोक कर क्रुरता से आर्थिक हमले कर रही है। दूसरी तरफ बड़े पूंजीपतियों को लाखों करोड़ रुपए के राहत पैकेज दे रही है।

आपदा को अवसर में बदलकर जनता के खून-पसीने व टेक्स पेयर्स के पैसों से खड़े किए गए सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचा रहा है। जिसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

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