पंचकूला, 22 जून। मोरनी की पहाड़ियों में पंचकर्मा कल्याण केंद्र और नेचर ट्रेलस का उद्घाटन किया। नक्षत्र वाटिका, नवग्रह वाटिका और राशि वन जिसे सामूहिक रूप से अंतरिक्ष वन कहा जाता है। नोहर लाल प्रदेश के लोगों को स्वस्थ, प्रदूषण और तनाव मुक्त जीवन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि वृक्षों के साथ रहकर व प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाकर रहने से मनुष्य की मनोदशा में सकारात्मक बदलाव आता है, मानव स्वस्थ रहता है तथा तनाव से राहत मिलती है। पंचकर्मा आयुर्वेद की सबसे प्रसिद्ध विषहरण प्रक्रिया है जो औषधीय तेलों की सहायता से यौवन को बरकरार रखती है। औषधीय तेल मालिश और हर्बल उपचार की इस विशेष उपचार पद्धति का हमारे वैदिक शास्त्रों में उल्लेख मिलता है, और चरकसंहिता के अनुसार भारत में सदियों से यह प्रयोग में लाया जाता है। शिवालिक की हरी-भरी पहाड़ियों की गोद में शांत वातावरण में थापली एक सुरम्य स्थान है। थापली नेचर कैंप के सामने हरी-भरी सीढ़ीनुमा खेती इस स्थान की सुंदरता में चार चाँद लगा देती है। सूर्यास्त का समय थापली में एक मनोरम दृश्य उत्पन्न करता है जिससे आम लोग अभी तक अनभिज्ञ हैं। पंचकर्म मानव शरीर को गहन रूप से विषहरण चिकित्सा प्रदान करते हैं, इसमें मानव शरीर की शुद्धि या दोष उन्मूलन के लिए पांच तरीके शामिल हैं। इनमें वात, पित्त, कफ आदि तीन दोषों को संतुलित करने वाले वमन (इमिसिष थेरेपी या उल्टी करना), विरेचन (शुद्धिकरण), आस्थापन/निरूहम, अनुवासन बस्ती (तेल एनीमा) और नस्य आदि शामिल है। वन चिकित्सा की तरह पंचकर्म प्रकृति चिकित्सा का भी कोई दुष्प्रभाव नहीं होता इसलिए यह बहुत लोकप्रिय हो रही है। इसी को मध्य-नजर रखते हुए विशाल हरे-भरे वृक्षों की गोद में थापली नेचर कैंप के अंदर पंचकर्म वेलनेस सैंटर की स्थापना की गई है। इस केंद्र की अनोखी विशेषता यह है कि इसकी दीवारों का रंग प्राकृतिक परिवेश में घुल-मिल जाता है तथा इसमें प्राकृतिक या पर्यावरण सहयोगी झोंपड़ियां आगुंतकों को प्राकृतिक वातावरण का एहसास करवाती है। इस केन्द्र में महिलाओं व पुरूषों के लिए अलग अलग वाॅशरूम व उपचार एवं स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध है। सुरमय शान्त वातावरण में स्थित यह केन्द्र मुख्यमन्त्री श्री मनोहर लाल की तरफ से एक अनूठा उपहार है। इस केन्द्र का संचालन वन विभाग और आयुष विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। वन विभाग हरियाणा ने मोरनी की मनोरम पहाड़ियों में प्रकृति पर्यटन की संभावना को तलाशा है और ग्यारह नेचर ट्रेल्स विकसित किए हैं। ये नेचर ट्रेल्स इस्तेमाल के लिए तैयार है। ऐसे छोटे गांव और बस्तियों की पहचान की गई जहां आगन्तुक ग्रामिणों के साथ बातचित कर सकते हैं व उनके स्थानीय संस्कृति व परम्पराओं के बारे में जान सकते हैं। स्थानीय युवाओं की पहचान की गई है जो यहां गाईड के रूप में कार्य करेंगे और आगन्तुकों को स्थानीय संस्कृति और परम्पराओं के बारे में व क्षेत्र के पेड़ पौधों और वन्य जीवों के बारे में भी बताएंगे। उन्हे वन विभाग और पर्यटन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा। ये सभी रास्ते प्राकृतिक सुन्दरता से भरे हुए है जिनमें पक्षियों , पौधों और जानवरों की विविध प्रजातियां, नाले और झरने शामिल है। इन सभी पगडण्डियों में मध्यम ढ़लान है और यहां आने वाले आगन्तुकों को निश्चित रूप से शारीरिक गतिविधि करने और भरपूर मात्रा में आॅक्सीजन लेने से स्वास्थ्य लाभ होगा। भारतीय पौराणिक कथाओं में 12 राशियों और 27 नक्षत्रों को मान्यता दी गई है और ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक राशि और नक्षत्र से संबन्धित पौधे लगाने और उनका पोषण करने से व्यक्ति एक सुखी और शान्तिपूर्ण जीवन जी सकता है क्योंकि यह उसको भाग्यशाली बनाता है। हाल में सुगन्ध ’अरोमा थरेपी’ के रूप में उभरा है। अरोमा थरेपी भी जनता के बीच में बहुत लोकप्रिय हो रही है। प्राकृतिक सुगन्ध चारों ओर खुशी का वातावरण बनाती है और मानव शरीर पर सुखदायक प्रभाव डालती है। सुगन्ध वाटिका में सुगन्धित पौधों की प्रजातियां जैसे- सुगन्धराज, चमेली, पैशन फ्लावर, रंगून लता (झूमका बेल), चम्पा, रात की रानी, दिन का राजा, मोतिया, हनी सक्कल, गुलाब व रात में खिलने वाली चमेली आदि लगाए जाएंगे। आकर्षण का केन्द्र होने के अलावा जो लोग देख नही सकते हंै उन लोगों के लिए यह एक अनूठा उपहार होगा क्योंकि व लोग विभिन्न प्रजातियों की अलग-अलग सुगन्ध का अनुभव कर सकेंगे। तदानुसार, वे लोग गन्ध द्वारा सुगन्ध व सुगन्धित पौधों की पहचान कर सकेंगे। ग्राम मस्जिदवाला में राशि वन, नक्षत्र वाटिका और सुगन्ध वाटिका की स्थापना की जाएगी। ताजा आॅक्सीजन और प्रदूषण मुक्त वातावरण के साथ साथ स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के अलावा, लोग प्रत्येक नक्षत्र की पहचान उससे सम्बन्धित पौधों से कर सकते हैं तथा अपने को भाग्यशाली बनाने के लिए अपने घर या खेतों में इन पौधों को पाल-पोष सकते हैं। आगन्तुकों के ठहरने के लिए थापली नेचर कैम्प में चार झौंपड़ियां उपयोग के लिए तैयार है। अन्य सात झौंपड़ियों का नवीनीकरण किया जा रहा है। Post navigation हरियाणा शिक्षा विभाग ने प्रदेश के विद्यालयों में समय में बदलाव करने के बारे में आदेश के जारी झूठे विज्ञापन देकर झूठी वाहवाही लूटने का प्रयास