पंचकूला जून 20  हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मांग की है कि देश के राष्ट्र निर्माण में अपना अमूल्य योगदान देने वाले और शिक्षा के मन्दिरों में ज्ञान का प्रकाश पूंज फैलाने वाले, कालेजों में अध्यापन का कार्य करने  वाले प्राध्यापकों की विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों और शर्तों के आधार पर रिटायरमेंट की आयु सीमा हरियाणा प्रदेश में  58 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष की जाए ताकि इनके मान- सम्मान, पद और गौरव की प्रतिष्ठा बहाल हो सके। 

 चन्द्र मोहन ने  कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुरूप दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों तथा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में प्राध्यापकों और प्रोफेसर की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है। जबकि मध्य प्रदेश में 62 वर्ष और पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में इनकी सेवा निवृत्ति की आयु 60 वर्ष निर्धारित की गई है और सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि हरियाणा प्रदेश में भी प्राइवेट कालेजों में सेवानिवृति की आयु 60 वर्ष है, जबकि 95 प्रतिशत ग्रांट इन कालेजों को हरियाणा सरकार देती है। लेकिन सरकारी कालेजों में सेवानिवृति की आयु 58 वर्ष ही है। 

उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस के शासनकाल  में मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कालेज के लैक्चरार की आयु सितंबर 2014 में 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष की थी, लेकिन खट्टर सरकार ने अक्तूबर 2014 में सत्ता में आते ही जन भावनाओं के विरुद्ध निर्णय लेते हुए  पहला कार्य, यही किया कि सरकारी  कालेजों के लैक्चरार  सहित  सभी कर्मचारियों की आयु 30 नवंबर 2014 से 60 वर्ष घटा कर 58 वर्ष करके कर्मचारी विरोधी‌ होने का प्रमाण दिया है।

उन्होंने कहा कि इससे बड़ी विसंगति और क्या हो सकती है कि एक ही राज्य में एक जैसी योग्यता रखने वाले प्रोफेसर,रीडर और एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर की सेवानिवृत्ति की आयु केन्द्रीय विश्वविद्यालय, राज्य सरकार के विश्वाविधालय और सरकारी और प्राइवेट कालेजों में अलग- अलग-अलग निर्धारित की गई है।  चन्द्र मोहन ने कहा कि प्रदेश के सरकारी कालेजों में सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष निर्धारित की गई है, वहीं पर राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों में सेवा निवृत्ति की आयु 60 वर्ष है और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में सेवानिवृति  की आयु 65 वर्ष निर्धारित की गई है।

  उन्होंने ने मांग की है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार ही सभी प्रोफेसरों की आयु को बढ़ाकर  एक समान 65 वर्ष की जाए जैसा कि हरियाणा प्रदेश में डाक्टरों की सेवा निवृत्ति की आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई है। उन्होंने मांग की है कि इसी प्रकार  तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में सेवाएं प्रदान कर रहे, प्राध्यापकों की सेवानिवृत्ति की आयु  भी बढ़ा कर 65 वर्ष की जाए ताकि सभी में एक समानता और समरुपता बनी रहे।

चन्द्र मोहन ने कहा कि हरियाणा प्रदेश में  भाजपा के शासनकाल में उच्च शिक्षा को ग्रहण सा लग गया है और शैक्षणिक संस्थानों की हालत दयनीय हो गई है। आज प्रदेश में लगभग 100 सरकारी कालेजों में प्रिन्सीपल के पद खाली पड़े हुए हैं और लगभग 2500 पद लैक्चरार के खाली पड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि सन् 2012  के बाद  पिछले 9 सालों में न तो प्रीसिपल के खाली पड़े पदों पर विभागीय पदोन्नति ही की गई है और ना ही सीधी भर्ती के माध्यम से इनके खाली पड़े पदों को भरा गया है।

उन्होंने कहा कि इससे सरकार की वास्तविकता भली भांति उजागर हो गई है कि सरकार को देश के युवाओं के भविष्य के बारे में कोई भी चिंता नहीं है । सरकार को केवल मात्र एक ही चिंता है और वह है झूठे विज्ञापनों के माध्यम से सरकार की छवि चमकाने का काम करके लोगों को भ्रमित करते रहो।  उन्होने कहा कि हरियाणा की जनता यह सब मूक दर्शक बन कर नहीं देख सकती है और समय आने पर जनता भाजपा- जजपा सरकार से अपना पूरा हिसाब मांगेगी। भविष्य में इसका खामियाजा भुगतने के लिए सरकार को तैयार रहना चाहिए।                

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