बार-बार निरीक्षण के नाम पर दक्षिणी हरियाणा को यह एहसास तो जताना चाहती है कि सरकार एम्स निर्माण के प्रति गंभीर है, पर एम्स निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहित करने के सबसे आवश्यक व मूल कार्य में अनावश्यक देरी कर रही है।

रेवाड़ी. 13 जून 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने सरकार से मांग कि वह निरीक्षण-निरीक्षण का खेल बंद करके मनेठी-माजरा एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन का सबसे पहले अधिग्रहण करके सम्बन्धित किसानों को मुआवजा देकर जमीन का कब्जा लेकर एम्स निर्माण के प्रति लोगों को आश्वस्त करे।

विद्रोही ने कहा कि बार-बार जमीन का निरीक्षण करने के नाम पर अधिकारियों के दौरे तब तक बेमानी है जब तक सरकार जमीन का धरातल पर कब्जा नही लेती। जमीन का कब्जा लेने के बाद ही एम्स सम्बन्धित अन्य आवश्यक औपचारिकताएं पूरी हो सकेगी। भाजपा सरकार जमीन का कब्जा लेने की बजाय बार-बार निरीक्षण के नाम पर दक्षिणी हरियाणा को यह एहसास तो जताना चाहती है कि सरकार एम्स निर्माण के प्रति गंभीर है, पर एम्स निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहित करने के सबसे आवश्यक व मूल कार्य में अनावश्यक देरी कर रही है।

विद्रोही ने कहा कि 28 फरवरी 2019 को केन्द्रीय मंत्रीमंडल 1299 करोड रूपये के बजट के साथ मनेठी एम्स निर्माण को मंजूरी दे चुका है, पर विगत ढाई सालों से एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन के अधिग्रहण के अभाव में एम्स निर्माण के प्रति एक भी कदम नही उठाया जा सका। महत्वपूर्ण सवाल यह है कि जब माजरा के किसानों से एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन के संदर्भ में सरकार का समझौता हो चुका है, कोई विवाद नही बचा, तब जमीन अधिग्रहण में अनावश्यक देरी क्यों?

विद्रोही ने कहा कि जब कोरोना काल में प्रदेश में एक दिन भी जमीन रजिस्ट्रिया होने की प्रक्रिया नही रूकी तो एम्स की जमीन लेने में कोरोना कहां आड़े आ रहा है? कोरोना को बहाना बनाकर माजरा के किसानों को मुआवजा देकर जमीन अधिग्रहित न करना किसी भी तरह तर्कसंगत व जायज नही है। जमीन का कब्जा लेने में देरी करने से उल्टा भाजपा सरकार की नीयत पर सवाल उठता है। विद्रोही ने मुख्यमंत्री से मांग की कि एक पल की देरी किये बिना माजरा के किसानों से एम्स के लिए जमीन अधिग्रहित करके एम्स निर्माण की अन्य कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किया जाये। 

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