हिसार / हांसी 11 जून । मनमोहन शर्मा गेहूं की फसल का भुगतान, नहरों में पानी, जल घरों और जोहड़ों में पीने का पूरा पानी मिले, खरीफ 2020 जलभराव, ओलावृष्टि, सफेद मक्खी, अंधड़ से बर्बाद हुई फसलों की गिरदावरी अनुसार मुआवजा, बीमा कम्पनी पर धोखाधड़ी का केस दर्ज करनेे आदि मांगों को लेकर उपायुक्त कार्यालय पर चल रहा बेमियादी धरना आज 45वें दिन में प्रवेश कर गया। आज धरने की अध्यक्षता कृष्ण कुमार सांवत व बलराज ने संयुक्त रुप से की व संचालन जिला प्रेस सचिव सूबेसिंह बूरा ने किया। जिला प्रधान शमशेर सिंह नम्बरदार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार किसानों को भ्रमित करके आंदोलन को तोडऩा चाहती है। किसान स्वामीनाथन आयोग को लागू करने की लड़ाई व फसल खरीद का कानून बनवाना चाहते हैं। सरकार मामूली समर्थन मूल्य बढ़ाकर वाहावाही लूटना चाहती है। किसान सरकार की चालों में आने वाला नहीं है। जब तक कृषि सम्बंधी तीनों काले कानून सरकार वापिस नहीं लेगी और फसल समर्थन मूल्य पर खरीद का कानून नहीं बन जाता, आंदोलन जारी रहेगा। प्रेस सचिव सूबेसिंह बूरा ने कहा कि हिसार जिले से 15 जून को हजारों किसान टिकरी बॉर्डर पर जाकर आंदोलन को तेज करने का काम करेंगे। दिल्ली जाने के लिये जिला प्रधान शमशेर सिंह नम्बरदार के नेतृत्व में बालसमंद के प्रधान कृष्ण कुमार गावड़ व सचिव बलराज बिजला, हिसार तहसील में जिला सचिव सतबीर धायल, हनुमान जौहर, रमेश मिरकां, आदमपुर तहसील में नरषोतम मेजर, भूपसिंह बिजारणिया, उकलाना-बरवाला में भूपसिंह प्रधान नया गांव, बलबीर नम्बरदार पाबड़ा, सतबीर बलौदा, दयानंद ढुकिया, हांसी में रोहतास ढंडेरी, सुखपाल पु_ी आदि के नेतृत्व में हिसार जिले के गांवों के दौरे किये जाएंगे ताकि 15 जून को हजारों की संख्या में किसान टिकरी बॉर्डर पर पहुंचे। धरने को डॉ. अर्जुन सिंह राणा, सुनील पृथ्वी गौरखपुरिया, सुरेन्द्र मान, बलराज, अमित गंगवा, सुनील गंगवा, सुनीज, राजीव मलिक, अजीत पूनिया, राजेश सिंधु, राजेन्द्र भारती, बाबा कृष्ण सिंह पाली, मा. विजय सिंह, बलबीर बिश्रोई, रजत लाडवा, देवेन्द्र, सुमित्रा पीटीआई, प्रेम कुमार, पंकज, किशोरी लाल जालप, हवासिंह, संजय आदि ने संबोधित किया। Post navigation सर्व हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ और हरियाणा प्राइवेट स्कूल चिल्ड्रन एंड वेलफेयर ट्रस्ट ने हरियाणा बोर्ड चेयरमैन डॉ. जगबीर सिंह का किया आभार प्रकट हास्य के नाम पर मंच पर चुटकुले परोसे जाने पर दुख : सुप्रिया ढांडा