मोदी के “मुफ़्त अनाज” के पीछे की कहानी ।राजनाथ के बयान पर ही विश्वास करें तो इस क़ानून को बनाए जाने का श्रेय सोनिया को, मगर आज राशन पहुँचाने का श्रेय कौन ले रहा है?रेल का खेल निराला, आईसीएफ कोच एलएचबी कोच किराया।सवारी गाड़ीयों में भी एक्सप्रेस का किराया,आम मेहनतकश आदमी से रेल को दूर किया जा रहा है।फिल्मी कलाकार, खिलाड़ी, व्यापारी विशेष कर माध्यम वर्ग के लोग, तेल की बढ़ती कीमतों पर गला फाड़ने वाले अब मौन क्यों?अमिताभ, सचिन, अन्ना हजारे व रामदेव तक सब की बोलती बंद। अशोक कुमार कौशिक आज हम किसी राजनीतिक विषय को लेकर के चर्चा ना करके आम नागरिक से संबंधित तीन मुद्दों पर बातें करेंगे। मुफ्त अनाज रेल किराए तथा वाहन ईंधन जैसे सामाजिक सरोकार पर ध्यान केंद्रित करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने अभी एनाउंस किया कि आने वाली दीवाली तक “मुफ़्त अनाज दिया जाएगा. आपको बता दूँ कि जिस क़ानून के तहत ये “मुफ़्त अनाज” दिया जा रहा है, ये खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 के तहत दिया जाता है। तब यानी 2013 में कांग्रेस की सरकार इसे लेकर आई थी। इसी क़ानून के ख़िलाफ़ तरह-तरह के ग़लत फ़ैक्ट देकर तब गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी ने इस क़ानून का विरोध किया था, मोदी ने उस समय तात्कालिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र भी लिखा था। इससे संबंधित ढेरों खबरें आपको गूगल पर मिल जाएँगी। उस समय भाजपा ने 80 करोड़ भारतीयों को अनाज देने वाली इस योजना का विरोध करते हुए पता है क्या था? भाजपा ने कहा था ये “खाद्य सुरक्षा बिल” नहीं है ये “ वोट सुरक्षा बिल” है। उस समय काशी से चुनाव लड़ने वाले दमदार नेता मुरली मनोहर जोशी जिन्हें मोदी ने फुस्स कर दिया, उन्होंने 27 अगस्त के दिन देश की संसद में इस क़ानून का पुरज़ोर विरोध किया था । चूँकि चुनाव सर पर थे इसलिए भाजपा ने इस क़ानून पर चुप्पी लगाना शुरू कर दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार( हिमांचल के पूर्व मुख्यमंत्री) ने कहा था अभी हमें “गरीब विरोधी” का नाम दे दिया जाएगा इसलिए भाजपा अभी कुछ नहीं कह रही लेकिन हम जब सरकार में आएँगे तो इस क़ानून को बदलेंगे। भाजपा नेता शांता कुमार ने कहा था कि 80 करोड़ जनता बहुत अधिक है, इतनी जनता को राशन नहीं दिया जाना चाहिए। हम जब सरकार में आएँगे तो इसे घटाकर 40% करके इसमें बैलेंस बनाएँगे, इतनी बड़ी योजना से देश का बजट ख़राब होगा। मुरली मनोहर जोशी संसद में पूछते रहे कि इतने लोगों को कैसे अनाज दे पाओगे? कहाँ से दोगे। आज के उपराष्ट्रपति और भाजपा नेता वैंकैया नायडू ने तो इसे “gimmick” करार दिया था और कहा था कि इससे जनता को कोई लाभ नहीं होगा। उस समय के भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने तो ही भी कहा था कि ये क़ानून देश के लिए वित्तीय सरदर्द साबित होगा। और इतने बड़े स्तर पर ग़रीबों को अनाज देना होगा तो देश को अनाज आयात करना पड़ेगा। लेकिन इन तमाम आरोपों और शंकाओं के बीच भी सोनिया गांधी इस क़ानून को पास कराने के लिए अड़ी रहीं। राजनाथ सिंह ने तो सदन में ये भी कहा कि इस क़ानून को पास कराने के लिए कांग्रेस पर सोनिया गांधी का दबाव है। राजनाथ सिंह के स्टेटमेंट पर ही विश्वास करें तो इस क़ानून को बनाए जाने का क्रेडिट सोनिया गांधी को जाता है, मगर आज राशन पहुँचाने का क्रेडिट कौन ले रहा है? इस सवाल का जवाब खुद ढूँढिए। 2013 के बाद से आपके गाँव-गाँव में राशन दिया जाने लगा, मगर किसी ने आपको अपमानित करते हुए नहीं कहा कि आपको “मुफ़्त का राशन” दिया जा रहा है।क्योंकि ये आपके टैक्स के पैसे से ही आपको दिया जा रहा है तो मुफ़्त का कैसे हुआ? कांग्रेस ने इस क़ानून का नाम भी “खाद्य सुरक्षा” रखा । यानी ये “खाना” आपका राइट है, ये आपके लिए भीख नहीं है। ये वैसे ही आपका राइट है, जैसे आपके बोलने का और जीने का राइट है। पहले भी राशन दिया जाता था मगर दो से तीन प्रतिशत लोगों को। 2013 में इस अधिकार को बढ़ाकर 67% भारतीयों को दिया जाने लगा। पहले से लेकर अब तक इसे 1-2 रुपए किलो में ही दिया जाता था। कांग्रेस की सरकार गई तो भाजपा के टाईम पर भी दिया जाना ही था। अब कोविड आया तो मोदी ने उसी राशन को जो कि आपको पहले ही दिया जा रहा था उसे “मुफ़्त का राशन” कहना शुरू कर दिया। रेल का खेल निराला ! भारतीय रेल इस समय चलने वाले सभी ट्रेनों को कोरोना स्पेशल ट्रेन का नाम दिया है। सभी ट्रेनों को विशेष नंबर दिया गया पूर्व से जारी नंबर के प्रथम अंक को हटा कर उसको 0 लगा दिया गया। इसी तरह इन ट्रेनों में स्पेशल किराया भी जारी किया गया । वर्तमान में कई रूट पर सिर्फ एक्सप्रेस ट्रेन ही चलाया जा रहा है। जबकि लोकल यात्रियों के लिए कोई इंतेजाम न किया गया। वही सवारी गाड़ीयों में भी एक्सप्रेस का किराया लिया जाने लगा है। सामान्य कोचों में आरक्षण लागू करने से आम मेहनतकश आदमी से रेल को दूर किया जा रहा है , जब सुविधा न दे सको तो एक उपाय है सुविधा इतनी महंगी और जटिल कर दो की आम आदमी से दूर हो जाये। रेलवे भी अब यही कर रही है। रेलवे के किराया का जब मूल्यांकन किया तो एक विशेष तरह की बदलाव या कहे साजिश की बू आ रही है। भारतीय रेलवे अब किराया में दूसरे तरह का बदलाब किया है। प्रत्ति किलोमीटर किराया में दो तरह की कैटेगरी बना दिया है एक ओल्ड आईसीएफ कोच किराया एक एलएचबी कोच किराया , दोनों के प्रत्ति किलोमीटर किराया में बढ़ोतरी कर दिया है। इस कैटेगरी में बांटने की जानकारी न तो भारतीय संसद को दी गई न ही आम जनता को। परम्परागत किराया को सिर्फ ओल्ड कोच के साथ चलने वाली ट्रेनों तक सीमित कर दिया है। जबकि एलएचबी तकनीक युक्त कोचों वाली ट्रेनों का किराया में बढ़ोतरी कर दिया है। इस बदलाब को रेलवे स्थाई भाव से लागू कर रहा है। ऐसा लगता है कि जैसे जैसे एलएचबी युक्त ट्रैन का रेक बढ़ता जाएगा। यह दुगुना से अधिक भाड़ा बढ़ोतरी स्थाई रूप से लागू हो जाएगी। जिसका सबसे बड़ा प्रभाव गरीब मेहनत करने वाले कृषकों पर पड़ना तय है। पेट्रोल पुराण एक समय था जब भाजपा और आरएसएस के नेता भारतीय सड़कों पर मोटर वाहन को बैलगाड़ियों पर बांधकर घसीटते हुए ले जाते थे। भाजपा की महिला नेता गैस सिलिंडर पर जलाऊ लकड़ी बांधकर सड़क पर चलती थीं। वजह थी भारत में पेट्रोल 77 रुपये प्रति लीटर और गैस सिलेंडर 450 रुपये पर बिक रहा था। अभिताभ बच्चन से लेकर अनुपम खेर तक फिल्मी कलाकारों के अलावा हर वर्ग के लोग जैसे खिलाड़ी, व्यापारी विशेष कर माध्यम वर्ग के लोग, तेल की बढ़ती कीमतों की आशंका व्यक्त करते रहे। सब का कहना था, एक मात्र विकल्प है, वो है गुजरात के विकास पुरुष मोदी को भारत सरकार के नेतृत्व लाये जाये। इसी बीच बाबा रामदेव और बीजेपी के नेताओं ने घोषणा किया था मोदी के सरकार बनने पर पेट्रोल 50 रुपये में बेचेंगे। इसी और अन्य विषयों पर महान गांधियन अन्ना हजारे के नेतृत्व में आंदोलन शुरू किया गया था। मोदी के आलोचकों का कहना है कि प्रधान मंत्री बनने केलिए उनके द्वारा कॉरपोरेट्स के साथ कुछ समझौते किया था इसलिए वो प्रधानमंत्री बने। जो भी हो, सवाल यह है कि भारत में आज 106 रुपये में पेट्रोल क्यों बेच रहे हैं। और जिस बाबा रामदेव खुद का लंगोटी भी नहीं था आज 70000 करोड़ के मालिक कैसे बन गए ? उधर, भारत के पड़ोसी देश बंगलादेश और नेपाल में पेट्रोल 77 रुपये पर, भूटान में 69 पर, श्री कलंका में 59 पर और पाकिस्तान में 51 पर पेट्रोल बेच रहे हैं। तब भारत में ही अधिक क्यों है? कारण यह है कि 2020 में जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत गिर रही थी, तब भारत में अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाकर पेट्रोल की दर को स्थिर रखा गया है। 01/02/2020 से 18/06/2020 के अवधि में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (OPEC) और मुंबई में पेट्रोल की कीमत नीचे दिया गया तालिका में दर्शाया है। यह देखा जा सकता है कि 01/02/2020 को कच्चे तेल की कीमत 58.94 डॉलर था तब मुंबई पेट्रोल की कीमत रु 78.80 था। उसके बाद कच्चे तेल के कीमत लगातार गिरते गया। एक समय एक बैरल कच्चा तेल के कीमत 12.22 डॉलर था। इस समय 35 रुपये में पेट्रोल बेचा जा सकता था लेकिन तब मुंबई में पेट्रोल कीमत था 76.31 । अगर यह अतिरिक्त उत्पाद शुल्क हटा दिया जाता है तो आज पेट्रोल 80 से नीचे आ जाएगा। Month Crude Petrol Price Price01, Feb $58.94 ₹78.8003, Feb $55.53 ₹78.8007, Feb $55.13 ₹78.3010, Feb $54.21 ₹ 78.0728, Feb $50.19 ₹77.5207, Mar $48.35 ₹76.6913, Mar $34.15 ₹75.5516, Mar $30.63 ₹75.2801, Apr $16.85 ₹75.2807, Apr $22.67 ₹76.3122, Apr $12.22 ₹76.3124, Apr $14.31 ₹76.3128, Apr $12.41 ₹76.3101, May $16.52 ₹75.2804, May $18.36 ₹76.3114, May $24.93 ₹76.3128, May $28.45 ₹76.3129, May $29.01 ₹76.3101, June $33.68 ₹78.3005, June $36.83 ₹78.3007, June $36.83 ₹78.9008, June $38.89 ₹79.4909, June $37.09 ₹80.0010, June $37.46 ₹80.0011, June $36.55 ₹80.9812, June $35.06 ₹81.5313, June $35.06 ₹82.2115, June $35.09 ₹83.1716, June $36.75 ₹83.6217, June $37.59 ₹84.1518, June $37.70 ₹84.66 Post navigation बोया पेड़ बबूल का, आम कहां ते खाय। पीडीएस में तकनीकी प्रगति हो मगर पात्र लाभार्थियों की उपेक्षा नहीं