भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। किसान आंदोलन को हरियाणा की जनता का समर्थन मिल रहा है ऐसा अब दिखाई देने लगा है। किसानों ने भी अब अपनी रणनीति बदल दी है। टोहाना में सारी रात थाने में संघर्ष करने के पश्चात जो उन्हें विजयश्री मिली, उस विजय की प्राप्ति के बाद लगता है कि किसान और संयत हो गए। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया कि हम सरकारी आयोजनों को रोकेंगे। पारिवारिक आयोजनों में दखल नहीं देंगे और हिंसा बिल्कुल नहीं करेंगे, काले झंडे दिखाकर प्रदर्शन करेंगे।

इधर सरकार की ओर देखें तो मन में कुछ सवाल आता है कि क्या ऐसी ही होती है सरकार, जिसके मंत्री अपने क्षेत्रों में सभाएं भी न कर सकें। टोहाना में किसान प्रदर्शन कर रहे थे, साथियों को छुड़ाने के लिए। गृहमंत्री अनिल विज ब्यान दे रहे थे कि यह कोर्ट का काम है, कोर्ट छोड़ेगी लेकिन फिर वह बिना कोर्ट के मुक्त कर दिए जाते हैं। इससे स्पष्ट नजर आता है कि सरकार बेबस है।हरियाणा में मुख्य विपक्ष के रूप में कांग्रेस है और विपक्षी दल के नेता भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं। आरंभ से ही कांग्रेस किसानों के साथ खड़े होने का दावा करती रही है। किंतु देवेंद्र बबली कांड में उनकी ओर से कोई ब्यान क्यों नहीं आया, यह विचारनीय प्रश्न है।

राजनैतिक चर्चाकारों से इस बारे में बात हुई तो उनकी बातों का सार कुछ इस प्रकार समझ में आया कि कांग्रेस पार्टी को यह भरोसा था कि किसान आंदोलन से जनता भाजपा से विमुख हो जाएगी और फिर जनता के पास कांग्रेस पास आने के अतिरिक्त और कोई चारा नहीं रहेगा और आगामी सत्ता बननी निश्चित हो जाएगी।

वर्तमान परिस्थितियों में ऐसे अनुमान लगाए जाने लगे हैं कि जिस प्रकार जेपी आंदोलन, अन्ना आंदोलन से अनेक नेता निकले, पार्टियां बनीं, उसी प्रकार किसान आंदोलन से भी किसी नई पार्टी का उदय होगा और यही बात आंदोलन के आरंभ में हरियाणा के दिग्गज नेता चौ. बीरेंद्र सिंह ने भी कही थी। उनका कहना था कि यूपी और पंजाब चुनाव के समय किसानों की नई पार्टी का जन्म हो सकता है और वही संभावनाएं सत्य होती नजर आ रही है। किसानों की कार्यशैली भी कुछ इसी ओर इशारा कर रही है।

यही बात कांग्रेस को पशोपेश में डाल रही है कि यदि नई पार्टी का उदय हो जाता है तो हम कहां रहेंगे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस समय में कांग्रेस से अलग होकर किसानों का समर्थन करने का दावा कर रहे हैं, जिसका प्रमाण है टीम दीपेंद्र हुड्डा, उसमें कांग्रेस का कहीं नाम नहीं। इसी प्रकार बलराज कुंडू भी किसान हितैशी होने का जनता में विश्वास जमा रहे हैं। सोमबीर सांगवान लगे ही हैं किसानों के साथ धरने पर बैठने में। अत: कह सकते हैं कि सोमबीर सांगवान और बलराज कुंडू पर किसी पार्टी का ठप्पा नहीं है। अत: वह भी कहीं नई पार्टी में विशेष महत्व रख सकते हैं।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और विपक्ष के नेता दस साल मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोनों ही अपनी साख बचाने में लगे हुए हैं, क्योंकि दोनों के स्वभाव से ही पार्टी में उन्हें पूर्ण समर्थन नहीं है और भूपेंद्र सिंह हुड्डा का तो पहले से ही पता है कि हाईकमान उनके साथ नहीं हैं लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में राजनैतिक पंडित यही मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के लिए भी कहने लगे हैं।

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