• शिक्षा उद्योग और अर्थव्यवस्था के पैमाने पर नीचे और क्राईम में ऊपर चढ़ा हरियाणा• नीति आयोग ने हरियाणा सरकार को दिखाया आईना, खोखले दावों की खुली पोल• बेरोज़गारी का सीधा रिश्ता अपराध से, जिस तेज़ी से बेरोज़गारी बढ़ रही है उसी तेज़ी से अपराध भी बढ़ रहे• 7 साल पहले तक प्रति व्यक्ति आय, निवेश, रोजगार सृजन जैसे विकास के तमाम पैमानों में पहले स्थान पर रहा हरियाणा अब पहुंचा 14वें स्थान पर चंडीगढ़, 5 जून। राज्य सभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि भारत सरकार के नीति आयोग ने हरियाणा सरकार के उन सभी दावों की हवा निकाल दी है जिनमें प्रदेश के चहुंमुखी विकास का बखान किया जा रहा था। नीति आयोग द्वारा राज्यों की तरक्की के जो प्रमुख मापदंड तय किये गए थे उनमें हरियाणा पिछड़ गया है। आर्थिक वृद्धि और उद्योगों से जुड़े मानकों में हरियाणा का स्थान गिरा है, जिसके चलते प्रदेश में बेरोजगारी दर साल 2019 के मुकाबले और ज्यादा बढ़ गई है। मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स में रोजगार घटा है। जबकि, राजनितिक और भौगोलिक परिस्थिति के हिसाब से हरियाणा में बेरोज़गारी दर देश में सबसे कम होनी चाहिए। इसके विपरीत अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि नीति आयोग द्वारा तय भुखमरी खत्म करने के मानक में मामूली सुधार हुआ है जिसका श्रेय सरकार को नहीं, उन किसानों को जाता है जिनको राहत देने की बजाय आये दिन सरकार उन पर लाठियां बरसा रही है। सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि 7 साल पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के दौरान प्रति व्यक्ति आय, निवेश, रोजगार सृजन और बड़ी परियोजना की स्थापना जैसे विकास के तमाम पैमानों के हिसाब से हरियाणा पहले पायदान पर था। दुःख की बात ये है कि वही हरियाणा आज बेरोजगारी और अपराध में नंबर 1 बन गया है। नीति आयोग की रिपोर्ट में हमारा प्रदेश पहले स्थान से नीचे खिसक कर 14वें स्थान पर पहुँच चुका है। दीपेन्द्र हुड्डा ने यह भी जोड़ा कि बेरोज़गारी का सीधा रिश्ता अपराध से है। हरियाणा में जिस तेज़ी से बेरोज़गारी बढ़ रही है उसी तेज़ी से अपराध भी बढ़ रहे हैं। ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जब पूरे हरियाणा से हत्या, लूट, डकैती और चोरी की ख़बरें न आती हों। नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि हरियाणा में हत्या जैसे जघन्य अपराध का ग्राफ बढ़ा है, बच्चों के खिलाफ अपराध में भी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि नीति आयोग ने हरियाणा सरकार को आईना दिखाया है। नीति आयोग के सतत् विकास लक्ष्य (SDG) भारत सूचकांक 2020-21 को देखा जाए तो स्पष्ट है कि एसडीजी में 5 प्रमुख मानक ऐसे हैं, जिनमें प्रदेश सुधार की बजाय पिछले साल के मुकाबले और ज्यादा पिछड़ गया है। इनमें शिक्षा, आर्थिक वृद्धि, अपराध में कमी लाना और इंडस्ट्री, इनोवेशन व इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्वच्छ पानी व स्वच्छता शामिल हैं। शिक्षा का स्तर भी गिरा है। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का ड्राप आउट पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है। दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार को चेताते हुए कहा कि अभी भी वक्त है भाजपा सरकार झूठे सब्जबाग दिखाना बंद करे और अपनी नाकामियों को आंकड़ों की हेराफेरी के नीचे दबाने की बजाय प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिये प्रयास करे। Post navigation पर्यावरण दिवस पर हरियाणा सरकार की पहल, प्रदूषण मुक्त इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए विशेष पॉलिसी बनेगी 48 घंटे में मिलेगी श्रमिक परिवारों को सरकारी सहायता राशि – डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला