ललित शर्मा

रोहतक = भारत के माननीय राष्ट्रपति , राष्ट्रपति भवन , नई दिल्ली । मार्फत जिला उपायुक्त रोहतक विषय : प्रतिदिन एक करोड़ वैक्सीनेशन सुनिश्चित करने व भारत के हर नागरिक को यूनिवर्सल मुफ्त वैक्सीनेशन दिलवाने बारे ।

कोविड -19 ने लगभग हर भारतीय परिवार को अप्रत्याशित तबाही एवं असीम पीड़ा दी है । दुख की बात है कि मोदी सरकार ने कोरोना से लड़ने की अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है और लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है । सच्चाई यह है कि केंद्र की भाजपा सरकार कोविड 19 के अपराधिक कुप्रबंधन की दोषी है । उग्र कोविड -19 महामारी के बीच वैक्सीनेशन ही एकमात्र सुरक्षा है । मोदी सरकार की वैक्सीनेशन की रणनीति भारी भूलों की एक खतरनाक कॉकटेल है । भाजपा सरकार ने ‘ वैक्सीनेशन की योजना बनाने का अपना कर्तव्य ही भुला दिया । भाजपा सरकार निंदनीय रूप से ‘ वैक्सीन की खरीद से बेखबर रही । केंद्र सरकार ने जानबूझकर एक डिजिटल डिवाईड ‘ पैदा किया , जिससे वैक्सीनेशन की प्रक्रिया धीमी हो गई । केंद्र सरकार ने विभिन्न कीमतों के स्लैब बनाने में जानबूझकर मिलीभगत की , यानि एक ही वैक्सीन के लिए अलग अलग कीमतें तय की , ताकि आम आदमी से आपदा में लूट की जा सके ।

जहां अन्य देशों ने मई , 2020 से वैक्सीन खरीदने के ऑर्डर देने शुरू कर दिए थे , वहीं मोदी सरकार ने भारत को इसमें विफल कर दिया । केंद्र सरकार ने वैक्सीन का पहला ऑर्डर जनवरी ,2021 में जाकर दिया । जन पटल पर मौजूद जानकारी के अनुसार , मोदी सरकार + राज्य सरकारों ने 140 करोड़ की जनसंख्या के लिए आज तक केवल 39 करोड़ वैक्सीन खुराकों का ऑर्डर दिया है । भारत सरकार के अनुसार , 31 मई , 2021 तक केवल 21.31 करोड़ वैक्सीन ही लगाई गई । लेकिन वैक्सीन की दोनों खुराके केवल 4.45 करोड़ भारतीयों को ही मिली हैं , जो भारत की आबादी का केवल 3.17 प्रतिशत है । पिछले 134 दिनों में , वैक्सीनेशन की औसत गति लगभग 16 लाख खुराक प्रतिदिन है । इस गति से , देश की पूरी व्यस्क जनसंख्या को वैक्सीन लगाने में तीन साल से ज्यादा समय लग जाएगा । यदि ऐसे ही चलता रहा , तो हम देश के नागरिकों को कोरोना की तीसरी लहर से कैसे बचा पाएंगे .

इस सवाल का जवाब मोदी सरकार को देना इस विक्राल महामारी के बीच हमारे देश के नागरिक कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं , लेकिन मोदी सरकार वैक्सीन का निर्यात करने में व्यस्त है । केंद्र की भाजपा सरकार आज तक वैक्सीन की 6.63 करोड़ खुराक दूसरे देशों को निर्यात कर चुकी है । यह देश के लिए सबसे बड़ा नुकसान है । मोदी सरकार द्वारा वैक्सीन के लिए तय की गई अलग अलग कीमतें लोगों की पीड़ा से मुनाफाखोरी का एक और उदाहरण हैं । सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड की एक खुराक की कीमत मोदी सरकार के लिए 150 रु . , राज्य सरकारों के लिए 300 रु . और निजी अस्पतालों के लिए 600 रु . है । भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की एक खुराक की कीमत मोदी सरकार के लिए 150 रु . , राज्य सरकारों के लिए 600 रु . और निजी अस्पतालों के लिए 1,200 रु . है । निजी अस्पताल एक खुराक के लिए 1500 रु . तक वसूल रहे हैं । दो खुराकों की पूरी कीमत की गणना इसी के अनुसार होगी । मोदी सरकार द्वारा एक ही वैक्सीन की तीन अलग अलग कीमतें तय करना लोगों की पीड़ा से मुनाफाखोरी कमाने का नुस्खा है ।

आज जरूरत है कि केंद्र सरकार वैक्सीन खरीदे और राज्यों एवं निजी अस्पतालों को निशुल्क वितरित करे , ताकि वह भारत के नागरिकों को मुफ्त लगाई जा सके । इससे कम कोई भी काम भारत एवं भारत के नागरिकों का बड़ा नुकसान है ।साथ ही हमें 31 दिसंबर , 2021 तक या उससे पहले 18 साल से अधिक आयु की पूरी व्यस्क जनसंख्या को वैक्सीन लगाने का काम पूरा करने की जरूरत है । देश के नागरिकों का बचाव करने का यही एकमात्र रास्ता है । इसका एकमात्र उपाय है कि एक दिन में कम से कम एक करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जाए , न कि एक दिन में औसतन 16 लाख लोगों को । इसीलिए हम राष्ट्रपति जी से निवेदन करते हैं कि आप मोदी सरकार को दिन में एक करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाए जाने एवं यूनिवर्सल मुफ्त वैक्सीनेशन का निर्देश दें । कोविङ -19 महामारी से लड़ाई एवं इस बीमारी को हराए जाने का यही एकमात्र रास्ता है । हर भारतीय को कोरोना से जीत दिलाने का भी यही एकमात्र रास्ता है ।

इस अवसर पर कलानौर की विधायिका शकुंतला खटक, महम से पूर्व विधायक आनंद सिंह दांगी, पूर्व मंत्री सुभाष बत्रा , कृष्ण मूर्ति हुड्डा ,चक्रवर्ती शर्मा, अनुसूचित जाति विभाग के हरियाणा प्रदेश के चेयरमैन सतीश बंधु ,पूर्व विधायक संत कुमार, ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई

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