सरकार के गले की फांस तो नहीं बन जाएगा देवेंद्र बबली कांड

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

किसान आंदोलन चलते जहां किसानों ने भाजपा-जजपा नेताओं के कार्यक्रमों का बहिष्कार कर रखा है, वहीं कल फतेहाबाद में एक अनहोनी घटना घटित हो गई। विधायक देवेंद्र बबली जोकि पहले सुर्खियों में थे, जो किसानों के साथ हैं और चर्चा यहां तक भी चली थी कि वह विधायक पद छोड़ देंगे, उन्हीं के साथ किसानों की मारपीट भी हुई और उस घटना में गुस्से में देवेंद्र बबली के मुंह से अपशब्द भी निकले, जिन्हें किसानों ने भुनाया और कहा कि किसानों को मां-बहन की गाली देने वाला किसान का बेटा हो ही नहीं सकता।

कल की घटना में किसानों पर भी केस बने और विधायक के साथ वाले व्यक्तियों को चोटें भी लगीं और यह भी सुना गया कि देवेंद्र बबली चैलेंज करके गए कि वह कल टोहाना में कार्यक्रम करेंगे, रोक सको तो रोक लेना। परिणाम स्वरूप किसान लामबंद हुए और उन्होंने मांग रख दी कि एमएलए देवेंद्र बबली कल के घटनाक्रम की माफी मांगे, कल फतेहाबाद में दर्ज किसान पर मामले वापिस हों और दंगा भड़काने तथा किसानों के साथ गाली-गलौच करने का देवेंद्र बबली पर मुकदमा दर्ज हो। अगर ये मांगें नहीं मानी गईं तो हम बड़ा फैसला लेंगे।

आज टोहाना में किसान एकत्रित हुए, प्रशासन सतर्क रहा, किसानों और प्रशासन की बातचीत हुई। टोहाना के डांगरा रोड़ स्थित लघु सचिवालय में किसान नेताओं और जिला प्रशासन के बीच डेढ़ घंटा पहली वार्ता चली, जिसमें कोई निर्णय नहीं निकला। किसानों की एक ही मांग थी कि देवेंद्र बबली माफी मांगें और कल उनके खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे वापिस हों।

उसके पश्चात जिला उपायुक्त डॉ. नरहरि सिंह ने किसानों से कहा कि वह विधायक से बातचीत करेंगे और किसानों से आधे घंटे का समय मांगा। आधे घंटे पश्चात दूसरे दौर की वार्ता आरंभ हुई, जिसमें भी कोई निर्णय नहीं निकला। बता दें कि बैठक में किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह के साथ 14 किसान नेता और मौजूद थे।

इस विवाद के पश्चात आज टोहाना में किसानों ने भारी संख्या में पहुंच अपनी शक्ति का अहसास कराया, जिनकी हौसला-अफजाई करने के लिए गुरनाम सिंह चढूणी व जोगेंद्र नैन भी मौजूद रहे।किसान और देवेंद्र बबली के मामले में जब कोई हल नहीं निकला तो किसान नेता गुरनाम सिंह चढूणी ने कहा कि सरकार देवेंद्र सिंह बबली के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करे। यदि 6 जून तक फैसला नहीं हुआ तो 7 जून को प्रदेश के किसान सभी थानों का घेराव करेंगे। 

इधर सरकार का पक्ष देखिए, गृहमंत्री अनिल विज का कहना है कि आंदोलन करने से कोई मनाही नहीं लेकिन आंदोलन काले झंडे दिखाकर किया जाता है। दौ सौ गज की दूरी बनाकर रखी जाती है परंतु इस तरह की बातें सरकार द्वारा सहन नहीं की जाएंगी, कार्यवाही करनी ही पड़ेगी। 

प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने भी यही कहा कि आंदोलन आंदोलन की तरह होता है, यह कैसा आंदोलन कि कोई व्यक्ति घर से निकलकर अपने व्यक्तिगत कार्य से जाएं तो उसे भी न जाने दें। लगता है किसानों में कुछ अराजक तत्व शामिल हो गए है।

इधर विधायक देवेंद्र बबली का कहना है कि वह अपने घर के लिए सामान खरीदने जा रहे थे, कोई कार्यक्रम करने नहीं जा रहे थे, उनकी गाड़ी को टक्कर मारी गई और शीशे तोड़ दिए गए थे। 5 जून को किसानों ने पहले ही बड़े आंदोलन की घोषणा कर रखी है। इस घटना से उस आंदोलन के लिए किसानों को बल मिल गया और सरकार बैकफुट पर चली गई। अब यह आने वाला समय ही बताएगा कि जिस प्रकार इतने समय से सरकार के मंत्री अपने क्षेत्रों में कार्यक्रम नहीं कर पा रहे, ये कितने दिन और चलेगा? इसका हल कैसे निकलेगा, यह समय ही बताएगा।

You May Have Missed

error: Content is protected !!