कमलेश भारतीय

दूरदर्शन ने अपना स्वर्णिम वैभव खो दिया । यह एक लोकतांत्रिक देश के आम आदमी का अपना चैनल था । अब यह न व्यावसायिक बन पाया, न सांस्कृतिक पहचान बना पाया । यह कहना है जालंधर , चंडीगढ़, शिमला, जयपुर व देहरादून के दूरदर्शन केंद्रों पर अनेक रूप में काम कर चुके और सन् 2014 में उपमहानिदेशक के तौर पर सेवानिवृत डाॅ रत्तू का । वे इन दिनों जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी मे डायरेक्टर स्कूल ऑफ मीडिया स्टडीज के रूप में अपनी सेवायें दे रहे हैं । चंडीगढ़ और जालंधर दूरदर्शन केंद्रों पर अनेक कार्यक्रम मैंने इनके साथ किये । एक पुरानी मित्रता चली आ रही है पुराने खुशबूदार चावलों सी ।

-जन्म कहां ?
-पंजाब के नूरमहल में । वैसे हरिपुर गांव के । पिता श्री धन्ना राम जी रेवेन्यू में कार्यरत थे तो इनकी ट्रांस्फर्ज के साथ अनेक शहर देखे ।

पढ़ाई लिखाई कहां से ?
-मेहतपुर के खालसा स्कूल से पढ़ाई शुरू की । फिर नकोदर के डी ए वी काॅलेज से ग्रेजुएशन , जहां मोहन सपरा जैसे कवि प्राध्यापक थे और रर्मेंद्र जाखू , राजेंद्र चुघ , यकम , भूपेंद्र परिहार और कुलदीप अरोड़ा जैसे सहपाठी मिले जो सब अपनी अपनी प्रतिभा के बल पर ऊंचे पदों पर पहुंचे। जालंधर के खालसा काॅलेज से एम ए पंजाबी , प्राइवेट तौर पर हिंदी एम ए और फिर अपने प्राध्यापक यशपाल शास्त्री की प्रेरणा से एम ए संस्कृत भी की । बाद में दूरदर्शन में हिंदी के विविध प्रयोजन विषय पर पीएचडी भी की -डाॅ शशिभूषण शीतांशु व विद्यानिवास मिश्र के निर्देशन में । सबसे बाद डी लिट भी की ।

-पहला प्रकाशन किस विधा में ?
-सन् 1975 में पंजाबी में कथा संग्रह -कच्च दे ताजमहल । अब तक विभिन्न भाषाओं में सत्तर पुस्तकें।

-जाॅब ?
-यूपीएससी से चयन के बाद नेशनल बुक ट्रस्ट की पंजाबी भाषा संपादक लेकिन छह माह बाद ही दिल्ली रास न आने पर छोड़ दी । सन् 1980 में इंग्लैंड में हुई विश्व पंजाबी कान्फ्रेंस में सबसे छोटी उम्र के प्रतिनिधि के रंग में प्रतिभागिता। ।

फिर दूरदर्शन में कैसे ?
-सन् 1984 में फिर यूपीएससी की शरण में और इंडियन ब्रॉडकास्टिंग सर्विस के माध्यम से जालंधर में प्रोग्राम एग्जिक्यूटिव ।

-वहां कोई मुख्य योगदान ?
-इतिहास के पन्ने कार्यक्रम । सबसे अपने ननिहाल नूरमहल पर । फिर नकोदर पर और फिर शाम चौरासी पर जिसका वीडियो पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिया उल हक ने खासतौर पर मंगवाया था ।

-आगे कहां कहां ?
-सन् 1988 में जयपुर । फिर शिमला । फिर चंडीगढ़ और आखिर में देहरादून व चंडीगढ़ दोनों जगह । फिर सन् 2014 में उपमहानिदेशक के रूप में सेवानिवृत । देहरादून के निदेशक पल पर रहते समय उत्तराखंड त्रासदी पर निरंतर संवेदना कार्यक्रम दिया जो बहुत सराहा गया।

-सेवानिवृति के बाद? जालंधर की डी ए वी यूनिवर्सिटी में निदेशक मीडिया अब जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी में डायरेक्टर मीडिया ।

-दूरदर्शन का अब जो रूप है उसके बारे में क्या कहेंगे मित्र ?
-दूरदर्शन अपना स्वर्णिम वैभव खो चुका । यह एक लोकतांत्रिक देश के आम आदमी का अपना चैनल था लेकिन न यह व्यावसायिक बन पाया और न ही पहले की तरह सांस्कृतिक रहा।

-और पत्रकारिता ?
-अच्छी पत्रकारिता की विदाई हो चुकी । अभिव्यक्ति का खतरा मंडराने लगा है । यह बहुत दुखद स्थिति है मित्र ।

-पुरस्कार?
-सन् 2012 में पंजाब सरकार के भाषा विभाग की ओर से शिरोमणि साहित्यकार, सूचना व प्रसारण मंत्रालय से भारतेंदु हरिश्चन्द्र पुरस्कार तो गृह मंत्रालय की ओर से इंदिरा गाँधी राजभाषा पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार/सम्मान ।

-परिवार?
-पत्नी डाॅ कमला हिंदी की विद्वान् व भारतेंदु हरिश्चन्द्र पुरस्कार से नवाजी गयी । बेटा नीतीश सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा है तो बेटी कृष्मन सिंह इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट में हैल्थ मीडिया कोऑर्डिनेटर।

हमारी शुभकामनाएं डाॅ कृष्ण कुमार रत्तू को। आप इस नम्बर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं : 9478730156

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