-कमलेश भारतीय मैं तो श्री गुरु गोबिंद सिंह का अनुयायी हूं और यही निश्चय है छात्र जीवन से कि शुभ कर्मन से कबहूं न डरूं । यह कहना है सिविल अस्पताल में जीव वैज्ञानिक डाॅ रमेश पूनिया का । वे मूलतः किरोड़ी गांव के रामनाथ नम्बरदार परिवार से हैं और जाट काॅलेज , हिसार से बी एस सी के बाद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एम एस सी जीव विज्ञान , एम फिल और पीएचडी की । बाद में एल एल बी की और गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय से जनसंचार में डिग्री भी की । आजकल कोरोना योद्धा के रूप में चर्चित । यहां तक कि इनके काम में रुकावटें भी आईं जिसके चलते चार दिन इनसे कोरोना योद्धा की जिम्मेदारी ले ली गयी थी लेकिन मीडिया में चर्चा वायरल हो जाने से चार दिन बाद ही फिर कोरोना योद्धा बना दिया गया। -पहली नौकरी कहां ?-कैथल में सन् 1992 से सिविल अस्पताल में जीव वैज्ञानिक। फिर इसी पद पर कुरुक्षेत्र, पलवल , सोनीपत , फिर कैथल और अब हिसार । -कैसे निभा पा रहे हो अपनी जिम्मेदारी?-पिछले वर्ष मार्च माह से कोरोना की जिम्मेदारी मिली और रुकावटों के बावजूद डटा हुआ हूं अपनी ड्यूटी पर । -प्रेरणा किससे?-गुरु गोबिंद सिंह की वाणी से -देह शिवा वर मोहे इहै , शुभ कर्मन से कबहूं न टरों । इनके साथ ही सुभाष चंद्र बोस , लाल बहादुर शास्त्री और सरदार पटेल के जीवन से भी प्रेरणा मिलती है । -काॅलेज में पढ़ते क्या शौक रहे?-क्रिकेट खिलाड़ी । इंटरयूनिवर्सिटी तक खेला । सुबह दो घंटे रोज़ वर्क आउट करता हूं । -पत्नी ?-सुशील पूनिया जो मंगाली के गवर्नमेंट स्कूल में भौतिकी की प्राध्यापिका है । -बच्चे ?-दो बेटे । एक ने लाॅ कर ली और बार एसोसिएशन हिसार में रजिस्टर्ड हो बना वकील । दूसरा फरीदाबाद के ईएसआई में एमबीबीएस के फाइनल में और आजकल ओखला में कोरोना के चलते ड्यूटी पर । -लक्ष्य ?-समाजसेवा ।हमारी शुभकामनाएं डाॅ रमेश पूनिया को । आप इस नम्बर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं : 9215326687 Post navigation हरियाणे के दो लालों का कमाल तंबाकू के सेवन से होती है जानलेवा बीमारियां : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज