मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने माना कंपनियों के सीएसआर ने की बड़ी मदद

भारत सारथी/ऋषि पकाश कौशिक

गुरुग्राम। मुख्यमंत्री ने आज कार्पोरेट जगत का आभार जताया और माना कि इस कोरोना काल में सीएसआर के पैसे से बहुत मदद हुई है और हम ऑक्सीजन की कमी से निजात पा सके। अस्थाई कोविड सेंटर भी खूब बनाए। साथ ही लिखा कि यह मुख्यमंत्री की दूरदृष्टि का कमाल है।

जनता में आवाज है कि मुख्यमंत्री कोरोना की दूसरी लहर आने पर लापरवाह रहे और अपनी इमेज बनाने के लिए अनेक जिलों के दौरे किए तथा अपनी उपलब्धियों का बखान किया लेकिन साथ ही कोरोना प्रोटोकोल का उल्लंघन भी किया और किसानों को भी आक्रोषित किया, जिसके परिणामस्वरूप हिसार में जिंदल ग्रुप के संजीवनी अस्पताल का उद्घाटन करने के पश्चात बिगड़ी स्थिति के कारण गृहमंत्री अमित शाह ने इन्हें बुलाया और कुछ निर्देश भी दिए, जिनके परिणामस्वरूप उसके पश्चात मुख्यमंत्री कहीं भी दौरे पर नहीं निकले हैं और संयोग देखिए कि उसके पश्चात से ही कोरोना लहर में कमी आई है।

एक बात और विचारनीय है कि कोरोना लहर में कमी तो सारे देश में ही आई है। हरियाणा से लगते हुए दिल्ली, राजस्थान, पंजाब में भी कमी आई है। तो क्या वहां भी मुख्यमंत्री की दूरदृष्टि का कमाल था या उन प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों की दूरदृष्टि ने भी काम किया।

अब मुख्यमंत्री के अनुसार उन्होंने 2018 में सीएसआर एडवाइजरी बोर्ड गठित किया था और उस बोर्ड से सीएसआर के कार्यों को चैनलाइज करनान था। 2020 के दो माह छोड़ दें  तो हरियाणा कोरोना की प्रथम लहर से जूझ रहा था। हालांकि तब भी सीएसआर की मदद से ही कोरोना मदद के कार्य किए गए थे। यदि दूरदृष्टि की बात करें तो उस समय उन्हें यह विचार क्यों नहीं आया कि ऑक्सीजन प्लांट लगने चाहिए, यह दूरदृष्टि 2021 मई माह में ही उत्पन्न हुई और ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए। यह देखा गया कि ऑक्सीजन प्लांट लगाने में सात-आठ दिन ही लगते हैं। अगर जब आदमी ऑक्सीजन की कमी से मर रहे थे, उससे पहले दूरदृष्टि से ख्याल आ जाता तो शायद कुछ लोगों की मौतों को बचाया जा सकता था।

अब देखिए सीएसआर का पैसा एक प्रकार से कंपनियों की सामाजिक जिम्मेदारी है, जो वह पहले अपनी मर्जी से खर्च करते थे समाज के लिए और अब बोर्ड बनाकर वह सरकार के अनुसार खर्च कर रहे हैं। पैसा तो कंपनियों का ही है। पैसा कंपनियों का लगा और उद्घाटन कर श्रेय मुख्यमंत्री ले गए।

वर्तमान में भी स्थितियां सुधरी नहीं हैं। सरकारी अस्पताल अब भी दुर्दशा का शिकार है। डॉक्टरों की कमी है। सरकार क्या कर रही है?

मुख्यमंत्री का कहना है कि यह उनकी दूरदृष्टि की वजह से हुआ, जबकि एक शास्वत सत्य बात यह है कि कोरोना आपदा क्या किसी भी आपदा से सबके सहयोग से ही निपटा जा सकता है और मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता के चुने हुए नुमाइंदे हैं,  उनके साथ मंत्रीमंडल है और इस आपदा में कार्य करने के लिए स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य मंत्री हैं तो क्या मुख्यमंत्री कहना चाहते हैं कि वह सब कुछ नहीं कर रहे?

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