आईसीएमआर ने कोरोना को लेकर घोषित किया हुआ है प्रोटोकॉल, लेकिन नहीं हो
रहा है प्रोटोकॉल का पालन
ग्राम पंचायतों व नगर निकायों से मिल सकते हैं मौंत के सही आंकड़े
प्रधानमंत्री ने भी प्रदेश सरकारों से किया हुआ है आग्रह, कोरोना से हुई
मौंतों का सही आंकड़ा करें पेश

गुडग़ांव, 25 मई (अशोक): कोरेाना महामारी पिछले डेढ़ वर्ष से पूरे विश्व को परेशान किए हुए है, लेकिन कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने गत माह अप्रैल और मई में देशवासियों को बुरी तरह से झकझोर कर रख दिया। देश के अधिकांश प्रदेशों में कोरोना महामारी का प्रभाव पहली लहर की अपेक्षा इस दूसरी लहर में जबरदस्त दिखाई दिया। असंख्य लोग कोरोना की भेंट चढ़ गए।

गुडग़ांव में यह हाल रहा कि श्मशान घाटों में कोरोना से मरे लोगों का अंतिम संस्कार कराने के लिए लोगों को कई-कई दिन तक इंतजार भी करना पड़ा। अस्पतालों में भी हालात खराब ही रहे। अस्पतालों में न तो बैड ही थे और न ही ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था थी। जिसके कारण लोग अस्पतालों तक पहुंच ही नहीं पाए और कोरोना से लड़ते-लड़ते जंग हार गए। देश के विभिन्न प्रदेशों में कोरोना से जो मौतें हुई हैं, वे प्रशासन के आंकड़ों से मेल नहीं खा रही हैं। ऐसे में वे कोरोना पीडि़त जो दुनिया छोड़ चुके हैं, उनके परिजनों को भी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

जानकारों का कहना है कि 5 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि देश में 2 लाख 21 हजार 181 लोगों की मौंत कोरोना से हुई है, लेकिन मरने वालों का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा है। जानकारों का यह भी कहना है कि देश के विभिन्न प्रदेशों के उच्च न्यायालयों ने भी प्रशासन से कहा था कि मरने वालों की वास्तविक बताई जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रदेश सरकारों से अनुरोध किया है कि वे कोरोना महामारी और इससे होने वाली मौतों का सही आंकड़ा पेश करें। उन्होंने प्रदेश सरकारों से मौंत के आंकड़ों को न छिपाने का आग्रह भी किया है। जानकारों का कहना है कि कोई मौंत कोरोना से हुई है या नहीं इसे निश्चित करने के लिए आईसीएमआर ने पहले से ही प्रोटोकॉल जारी कर रखा है, जिसमें कहा गया है कि यदि कोई कोविड पॉजिटिव व्यक्ति कोरोना के ज्यादा लक्षणों के बिना मरता है तो भी उसे कोविड से हुई मौंत में गिना जाएगा। यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति फेंफड़े की तकलीफ से मरता है तो उसे भी कोरोना से मरा हुआ ही माना जाएगा। इसी प्रकार यदि किसी कोरोना मरीज में को-कोमॉर्बिडिटी है तो मौत का कारण कोमॉबिडिटी नहीं, अपितु कोरोना ही माना जाएगा। यदि कोई व्यक्ति कोरोना के लक्षणों के साथ मरता है तो रिपोर्ट निगेटिव होने पर भी उसे संभावित कोविड मौंत के रुप में दर्ज किया जाएगा।

जानकारों का कहना है कि आईसीएमआर की इस गाइडलाइन को विभिन्न प्रदेश सरकारें नहीं मान रही हैं। जानकारों का यह भी कहना है कि कोविड के चलते कई बार निमोनिया होता है। ऐसे में अस्पताल मौंत की वजह के बतौर उसके प्राथमिक कारण यानि निमोनिया को दर्ज कर लेते हैं। कोरोना को मौंत का कारण दर्ज नहीं किया जाता। उनका कहना है कि कई बार देखने को मिलता है कि कोरोना से कोई मरीज ठीक हो चुका है और उसे अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है, लेकिन घर लौटने के बाद उसकी मौंत हो जाती है। ऐसे मामलों को भी विभिन्न प्रदेशों के अस्पताल कोरोना से हुई मौंत में नहीं गिनते, जबकि इन सबको कोरोना से हुई मौंत में गिना जाना चाहिए। इसी प्रकार होम आईसोलेशन में उपचार ले रहे लोगों को भी विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कोरोना से मौत पर कई प्रदेश सरकारों ने परिजनों के लिए
सरकारी मदद की घोषणा की हुई है, लेकिन जब मौंत का कारण कोरोना को माना ही नहीं जाएगा तो मदद कैसे मिलेगी। जानकारों का कहना है कि सही आंकड़े कैसे प्राप्त करें इसके लिए ग्राम पंचायतों और स्थानीय निकायों को सक्रिय होना पड़ेगा। श्मशान घाटों व कब्रिस्तानों से भी आंकड़े जुटाने होंगे। केवल अस्पतालों पर निर्भर रहने से काम नहीं चलेगा।

error: Content is protected !!