कमलेश भारतीय

आखिरकार पश्चिमी बंगाल में हार को हज़म करना भाजपा के नेतृत्व के लिए दिन प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है और पहले हिंसा होने का शोर मचाया और फिर नारद स्टिंग की याद आई । इस तरह तृणमूल कांग्रेस के मंत्री सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और पूर्व नेता शोभन चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया गया । शोभन चटर्जी की तबीयत ठीक न होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है । इसी प्रकार फरहाद हकीम को भी स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया है । इनकी गिरफ्तारियों के विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआई कार्यालय के बाहर छह घंटे तक धरना दिया और राज्यपाल पर पक्षपातपूर्ण ढंग से काम करने का आरोप भी लगाया । वैसे तो राज्यपाल ने तो मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण करने के दिन ही अपने इरादे बता दिये थे कि हिंसा पर काबू करो । अब इन चार नेताओं पर अभियोजन चलाने की अनुमति देकर अपने इरादे और जाहिर कर दिये हैं । कहा जा रहे हो कि पश्चिमी बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की ये तैयारियां हैं ।

इसके बावजूद न केवल राज्यपाल बल्कि केंद्र पर भी भेदभाव के आरोप लगाये जा रहे हैं क्योंकि सीबीआई ने शुभेंदु अधिकारी को गिरफ्तार करने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई और कहा जा रहा है कि जिस स्टिंग वीडियो के आधार पर इन नेताओं को गिरफ्तार किया गया है, शुभेंदु भी उनमें से एक थे । फिर कहा जा रहा है कि उन पर अभियोजन चलाने के लिए अभी स्वीकृति कि इंतज़ार है ,पक्षपात कोई नहीं । यही नहीं समय रहते भाजपा में शामिल हो चुके मुकुल राॅय का नाम तक नहीं है। इसे कहते हैं पाप हरणी भाजपा । मुकुल राॅय ने समय पर पाप धो लिए गंगा स्नान कर । शुभेंदु थोड़ा चूक गये पर इतना भी नहीं । अभी तक तो बने हुए हैं । इस पक्षपातपूर्ण रवैये पर तो स्टिंग विडियो बनाने वाले नारद समाचार पोर्टल के संपादक मैथ्यू सैमुअल ने भी सवाल उठाया कि शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गयी ? उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए ।

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता ने भी मंत्री सहित अपनी पार्टी के नेताओं की गिरफ्तारियों पर कहा कि सीबीआई ने शुभेंदु अधिकारी व मुकुल राॅय को छोड़ दिया क्योंकि वे भाजपा में शामिल हो चुके हैं । कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच यह कार्यवाही दुर्भाग्यपूर्ण है।

इस प्रकरण से एक बार फिर राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं । आखिर शुभेंदु की गिरफ्तारी का आदेश कब आयेगा ? आयेगा भी या नहीं ? पुडुचेरी में उप राज्यपाल रहीं किरण चौधरी ने भी लगातार उस समय कांग्रेस के मुख्यमंत्री सामी के नाक में तब तक दम किये रखा जब तक भाजपा ने उनकी सरकार गिरा कर राष्ट्रपति शासन नहीं लगवा लिया और बाद में किरण बेदी को वहां से हटा भी दिया गया । बेशक किरण बेदी ने क्रेन बेदी के रूप में एक महिला पुलिस अधिकारी के रूप में नाम कमाया लेकिन वे राजनीति में सफल नहीं हो पाईं । उनकी राजनीतिक यात्रा आप से शुरू हुई और फिर भाजपा में शामिल हो गयीं । उन्हें भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के सामने मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट कर उतारा लेकिन मुंह की खाई । फिर पुडुचेरी में उप राज्यपाल बना कर भरपाई की लेकिन वहां भी वे वही किरण बेदी नहीं थी जिसकी छवि क्रेन बेदी यानी नियम का पालन करवाने वाली महिला की थी , वह वैसी साबित नहीं हुईं। अब पश्चिमी बंगाल के महामहिम राज्यपाल का भविष्य क्या रहेगा, कोई नहीं जानता ,,,,

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