प्रदेश का माहौल बिगाड़ने की बजाय कोरोना से निपटने के प्रयास क्यों नहीं करते सीएम : बलराज कुंडू

कुंडू ने दी सलाह – अहंकारी और किसानों से टकराव का रवैया छोड़कर चंडीगढ़ बैठकर व्यवस्था सम्भालें मुख्यमंत्री, क्या कोविड प्रोटोकॉल सिर्फ आम जनता के लिये है मुख्यमंत्री और बाकी मंत्रियों के लिए नहीं ?. हिसार में किसानों पर लाठीचार्ज करवाकर सरकार ने जो पाप किया है वह माफी के काबिल नहीं – कुंडू. कुंडू बोले- समय आएगा और अन्नदाता पर पड़ी एक-एक लाठी का हिसाब लिया जाएगा

रोहतक, 16 मई : प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बार-बार लोगों को उकसाने के लिए हेलीकॉप्टर से यहां-वहां पहुंचकर माहौल खराब क्यों कर रहे हैं ? क्या अहंकार में डूबी भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के नेता प्रदेश की जनता को अपनी तानाशाही और ताकत दिखाकर डराना चाहते हैं ? यह कहना है महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू का।

आज हिसार में किसानों पर हुए लाठीचार्ज पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कुंडू ने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर और उनके सहयोगियों को चाहिए कि उद्धघाटन समारोहों के बहाने लोगों से टकराव छोड़कर वे कोरोना महामारी से निपटने के लिए चंडीगढ़ में बैठकर प्रदेश की व्यवस्था को सम्भालें। सीएम के साथ हर जगह पहुंच रहे लाव लश्कर पर भी कुंडू ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि क्या कोविड प्रोटोकॉल आम जनता के लिए ही है ? मुख्यमंत्री और मंत्रियों पे ये लागू नहीं होते ? रिबन काटना और उद्घाटन करना यह सब खुशी के समारोह होते हैं और यह वक़्त लोगों की पीड़ा और दर्द कम करने का है पर ये यहां भी राजनीति करने से बाज़ नहीं आ रहे।

कुंडू ने कहा कि अगर इन अस्पतालों में बिना दिखावा किये लोगों का इलॉज शुरू कर दिया जाता तो कौन सी आफत आ जाती ? भाजपा और जजपा नेताओं को अपनी पावर दिखाने के लिए आम जनता का सिर फोड़ना जरूरी है क्या ?

बलराज कुंडू ने कहा कि जिस तरीके से आज हिसार में शांतिप्रिय ढंग से मुख्यमंत्री का विरोध करने पहुंचे निहत्थे किसानों पर पुलिसिया बर्बरता की गई वह साबित करती है कि हरियाणा सरकार प्रजातन्त्र में नहीं बल्कि लठतंत्र में विश्वास रखती है। आज हमारे किसान भाइयों ही नहीं हमारी माताओं और बहनों पर भी सरकार ने लाठियां चलवाकर ऐसा पाप किया है जो माफी के काबिल नहीं है। अपने हकों को लेकर किसान पिछले करीब 6 महीने से आंदोलन चला रहे हैं और अहंकार में डूबी सरकार अन्नदाता की मांगें स्वीकारने की बजाय लगातार उन पर जुल्म ढहाती चली जा रही है। बर्दाश्त करने की भी एक सीमा होती है। समय आएगा और अन्नदाताओं पर पड़ी एक-एक लाठी का हिसाब इस तानाशाही हुकूमत से लिया जाएगा।

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