भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

पूरे देश में कोरोना का कहर बरपा हुआ है। हरियाणा भी अछूता नहीं है। जन-जन परेशान है। लोगों में मायूसी  और हताशा छाई हुई है प्रशासन और शासन की कार्यशैली से।याद आती हैं पंक्तियां कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। बशर्ते कि कोशिश सच्चे मन से की जाए।

वर्तमान में देखा जा रहा है कि हमारे सभी राजनैतिक दल आपदा को अवसर मान अपने जनाधार बढ़ाने की चेष्टा में लगे हुए हैं। सत्तारूढ़ भाजपा और जजपा में सरकार द्वारा किए गए कार्यों का श्रेय लेने की होड़ लगी है। मुख्यमंत्री अपनी इमेज बिल्डिंग में लगे हुए हैं, जिसके लिए उन्होंने नया पीआरओ भी रख लिया और उनके चहेते जवाहर यादव भी सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन के टैंकर आने की बात को मुख्यमंत्री के प्रयास ही बता रहे हैं। उपमुख्यमंत्री पत्र-पत्र का खेल खेलकर अपनी खोई प्रतिष्ठा पाना चाहते हैं। उनके भाई दिग्विजय चौटाला तो खुल्लम-खुल्ला कहते हैं कि अब में जजपा का महासचिव बन गया, इसलिए कोरोना पीडि़तों की मदद करूंगा। क्या इसी प्रकार प्रयास होते हैं?

दूसरा बड़ा दल कांग्रेस है। कांग्रेस में भी कमोवेश स्थिति यही है। कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सभी कांग्रेसियों से अपील करती हैं कि हर जिले में कोविड हैल्पलाइन के नंबर जारी करो लेकिन वह तो हुआ नहीं। हमारे गुरुग्राम में तो कहीं कांग्रेसी नाम को भी दिखाई नहीं देते। यहां से विधायक का चुनाव लड़े पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया को जनता के बीच आए मुद्दत हो गई। एमपी का चुनाव लड़े कैप्टन अजय यादव जरूर फेसबुक और अखबारों में दिख जाते हैं लेकिन धरातल पर उनका कोई काम नजर आता नहीं। शायद इसका कारण यह है कि जनता उन्हें नकार चुकी है, जिसका प्रमाण रेवाड़ी निगम चुनाव में मिल चुका है लेकिन अब भी कांग्रेसी होने के नाते, पूर्व मंत्री होने के नाते उनका कर्तव्य बनता है कि जमीनी स्तर पर इस महामारी में जनता की मदद करें न कि अपनी प्रसिद्धि लक्ष्य रखें।

इसी प्रकार आजकल सांसद दीपेंद्र हुड्डा का नाम बहुत आ रहा है। अच्छी बात है, उनकी टीम दीपेंद्र कोविड पीडि़तों की मदद भी कर रही है परंतु राजनीति से वह भी अछूते नहीं है। जो इसी बात से स्पष्ट हो जाता है कि कोविड पीडि़तों की मदद करने के लिए टीम दीपेंद्र बनाई है, टीम कांग्रेस नहीं।

अब बात करें अभय चौटाला की तो किसान आंदोलन के चलते वह सुर्खियों में तो आए लेकिन उनके पश्चात जिस प्रकार की उनकी कार्यशैली रही, उसे देखकर स्पष्ट नजर आता है कि वह भी इस अवसर को भुना अपनी पार्टी का खोया जनाधार प्राप्त करना चाहते हैं। इसी प्रकार आप पार्टी की बात करें तो बहुत वादे करते थे, गीत गाते थे, दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं के और जनता के साथ मिले-जुले रहने के। वर्तमान में वह भी कहीं नजर नहीं आ रहे। 

सब लिखने का तात्पर्य यह है कि मुख्यमंत्री एक सर्वदलीय बैठक बुलाएं, सभी दल राजनीति भूल मानवता की सेवा के लिए कुछ समय के लिए जी-जान से लग जाएं और यदि सभी मिल लक्ष्य की ओर अग्रसर होंगे तो बहुत शीघ्र ही कोरोना का कहर हरियाणा में तो नहीं दिखाई देगा, ऐसा मेरा विश्वास है।

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