चंडीगढ़ 30 अप्रैल – हरियाणा सरकार ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करते हुए कोविड मरीजों के लिए अस्पताल में बिस्तरों और ऑक्सीजन की खपत को तर्कसंगत बनाने के प्रोटोकॉल का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उपायुक्तों की अध्यक्षता में जिला-स्तरीय समिति का गठन किया है।

एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि इस समिति के अध्यक्ष उपायुक्त होंगे, जबकि सिविल सर्जन इसके सदस्य सचिव होने के साथ-साथ ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए नोडल अधिकारी भी होंगे।

प्रवक्ता ने बताया कि हाल ही में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण बड़ी संख्या में कोविड मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करना पड़ रहा है और तदनुसार अस्पतालों की ऑक्सीजन की मांग कई गुना बढ़ गई है। इसलिए समिति कोविड मरीजों के उपचार के लिए जिलों में पर्याप्त संख्या में बेड उपलब्ध करनवाने के साथ-साथ सभी कोविड अस्पतालों में कोविड मरीजों के उपचार के लिए आवश्यक दवाएं तथा अन्य सम्बंधित सामग्री तथा ऑक्सीजन की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करेगी।

प्रवक्ता ने बताया कि सभी समर्पित कोविड अस्पतालों को कोविड मरीजों के उपचार के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित कोविड-19 प्रबंधन राज्य प्रोटोकॉल-अप्रैल 2021 और संशोधित डिस्चार्ज नीति का सख्ती से पालन करना होगा। इसके अलावा, उन्हें मंत्रालय द्वारा जारी किये गए मरीज ऑक्सीजन खपत मानदंडों का भी अक्षरश: अनुपालन करना होगा।

उन्होंने बताया कि जिला गुरुग्राम, फरीदाबाद, पंचकूला, करनाल, हिसार और सोनीपत जहां कम से कम 15 से 20 बिस्तर हों, को छोडकऱ प्रत्येक जिले में 10 बिस्तर से कम वाले अस्पतालों में कोविड मरीजों को भर्ती करने और उपचार करने की अनुमति नहीं होगी। हालांकि, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी भी जिले में कोविड मरीजों के लिए बिस्तरों की कुल संख्या में कमी न आए। उन्होंने कहा कि 10 से 20 बिस्तर वाले अस्पतालों को कोविड मरीजों का उपचार करने की अनुमति न देने पर यदि बिस्तरों की संख्या कम पड़ती है तो बड़े अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।

प्रवक्ता ने बताया कि यह स्पष्ट किया गया है कि ऐसा कोई भी अस्पताल, जिसे एस3 पोर्टल पर सूचीबद्ध नहीं किया गया है, को पूर्व स्वीकृति के बिना कोविड मरीजों का उपचार करने की अनुमति नहीं होगी और ऐसा उल्लंघन करने पर उनके विरूद्ध महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने बताया कि कोविड मरीजों को उपचार प्रदान करने के लिए अस्पतालों में बिस्तर या निजी स्वास्थ्य सुविधाओं को जोडऩे का कार्य जिले में अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता, पूर्व-अवसंरचना की उपलब्धता, मानव शक्ति, ऑक्सीजन की आपूर्ति, आवश्यक दवाओं आदि के आधार पर किया जाना चाहिए। प्रबन्ध निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवाओं के कार्यालय को सूचित करने उपरांत ही स्वास्थ्य सविधाओं को जोडऩे और हटाने से सम्बंधित औपचारिक आदेश दिए जाएंगे ताकि  विवरण एस3 पोर्टल पर अपडेट किया जा सके।

प्रवक्ता ने बताया कि सभी सिविल सर्जन यह सुनिश्चित करेंगे कि जिले में किसी भी निजी या सरकारी कोविड अस्पताल में ऑक्सीजन की नियमित आपूर्ति होने तक स्टॉपगैप व्यवस्था के रूप में ऑक्सीजन सांद्रता/ सिलिंडर (संख्या में 3-4) को ले जाने वाला वाहन आसानी से उपलब्ध हो।

उन्होंने बताया कि ऐसे मरीज, जिन्हें अस्पताल में गहन देखभाल की आवश्यकता नहीं है, लेकिन फिर भी उन्हें छुट्टी नहीं दी जा सकती है, की देखभाल के लिए उन्हें तृतीयक देखभाल संस्थानों के साथ जोड़ते हुए ऑक्सीजन स्पोर्ट के साथ आईसोलेशन में रखा जा सकता है ताकि  अधिक जरूरतमंद मरीजों के लिए अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध करवा जा सके।

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