भारतीय जनता पार्टी खुद का संविधान होने की बात करती है अपने यहां नियम कायदों की दुहाई देकर सत्ता में आई भाजपा अपने ही कार्यकर्ताओं से पार्टी के नियम मनवाने में असफल होती प्रतीत हो रही है और इन दिनों तो पार्टी में मानों श्रेय लूटने की होड़ सी मची हुई है !

गत दिनों देंखा गया है कि कुछ कार्यकर्ता पार्टी पदाधिकारियों , जनप्रतिनिधियों तथा समूची कार्यकारिणी को ही बोना साबित करने व खुद को श्रेष्ठ दर्शाने पर आमादा हो रहे हैं – कहने को तो वह भाजपाई बताते हैं मगर अपनी ही पार्टी के विधायक ने यह कार्य नहीं किया वहाँ वो कार्य नहीं किया हम कराएंगे कहकर कहीं न कहीं अपने ही विधायक का ही मान घटा रहे हैं अर्थात जो कार्य विपक्ष नहीं कर पाया उसे पार्टी पदाधिकारी बन स्वम् कर जा रहे हैं विधायक को नीचा दिखाकर ।

गुरुग्राम शहर में वैश्य समाज के लोगों में भी वर्चस्व की जंग शुरू हो चुकी है और क़ई लोगों को वहम है कि चाहें कोई बाहर से भी आकर यहां से चुनाव क्यों न लड़ ले जीत सकता है , भाजपा टिकेट भी किसी वैश्य को ही देगी तो क्यों न सुधीर सिंगला को कमजोर दिखा अपने आप को मजबूत उम्मीदवार दिखाया जाए ।

मगर इस गलतफहमी में वह पार्टी को भी क्षति पहुंचाने से नहीं चूक रहे हैं लेकिन जब विधायक कमजोर साबित हो जाएगा तो क्या पार्टी की छवि धूमिल नहीं होगी , कमजोर नहीं पड़ेगी सोचने वाली बात है खैर भाजपा जाने ।

यहां सर्वविदित है कि एक ही मंच पर जहां सांसद महोदय, विधायक जी व खुद जिलाध्यक्षया जी भी मौजूद रही उसी मंच पर मौजूदा सांसद के समक्ष विधायक कोई मांग व प्रस्ताव नहीं रखता है तथा उसी मंच पर एक कार्यकर्ता उठकर अपनी बातें रखता है और समस्त कार्यकारिणी मुँह ताकती रह जाती है , इससे आमजन में क्या संदेश जाएगा कि बाकि सब फिजूल हैं ?

भाजपा में रहकर ही भाजपा को भीतर से खोखला करने की गतिविधियां चलाई जा रही हैं मानों किसी विपक्षी पार्टी के नेताओं ने बीजेपी के ही कार्यकर्ताओं पर अपना हाथ रख दिया हो और उनको निशाना बना अपना हित साधने का कार्य कर रहे हो और एक एजेंडे के तहत वर्करों को तोड़ा जा रहा है विभिन्न प्रकार के प्रलोभनों से व कार्यक्रमों के आयोजनों को कर तथा खान-पान का लालच देकर अपनी ओर किया जा रहा अर्थात गुटबंदी कर तमाम कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोड़ने का कार्य किया जा रहा है ।

अब सवाल यह है कि क्या बाट जोह रहा है नेतृत्व पार्टी में फूट पड़ जाने तक की और उपद्रव मच जाने तक की , ऐसे लोगों के बारे में जानकारियां क्यों नहीं जुटाते हैं वह तो स्वम् पार्टी नेतृत्व को जुटानी होंगी ।

एक कार्यकर्ता ने तो अपने सम्बंध कुछ निगमों, विभागों, संस्थानों के उच्च अधिकारियों से भी स्थापित कर लिए हैं भाजपा का वरिष्ठ पदाधिकारी बताकर व ऊपर तक लिंक होने का रोब झाड़कर जिसके तहत वह अपने निजी कार्यो को भी सरंजाम दे रहे हैं , अपना नाम रुतबा बढ़ा रहे हैं और यह दर्शा रहे हैं कि उनकी मंडली से अधिक भाजपा में किसी की नहीं सुनी जाती है केवल वही है सब कुछ और कोई कुछ नहीं ।

तरविंदर सैनी (माईकल) का कहना है कि कोरोनाकाल में लोगों की जान से खिलवाड़ करने तक का कार्य करने वाले भाजपाई नेताओं पर पार्टी लगाम लगाए और ईस गंभीर विषय का संज्ञान लेकर दंडात्मक कार्यवाही करे अन्यथा लोगों की जान-माल की क्षति होने पर उनपर तो कार्यवाही जनता करेगी ही मगर पार्टी की छवि पर भी बदनुमा दाग लगने से बचा नहीं पाएगी , इन सब बातों को मद्देनजर रखते हुए गैरवाजिब संस्था चलाने वाले कार्यकर्ताओं के विषय में बीजीपी अपना संज्ञान लें निर्णय ले ताकि भविष्य में लोगों की जान बचाई जा सके ।

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