कह रहे थे कि मंडियों में किसान की गेहूं खरीद के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं: अभय चौटाला
गेहूं की नमी का जो 14 प्रतिशत का पैमाना था, उसे 12 प्रतिशत कर दिया है : अभय
50 किलो के गेहूं के बैग में 51 किलो गेहूं भरी जा रही है: अभय
जो पहले कहते थे कि बार्डर पर बैठे हुए किसान नहीं है बल्कि वो मु_ीभर लोग हैं जो आतंकवादी, खालिस्तानी, अलगाववादी और चाइना स्पोर्टेड हैं, अब उन्हें किसान दिखाई देने लगे हैं
मुख्यमंत्री को किसानों से माफी मांगनी चाहिए और धरने पर बैठे किसानों के प्रति सहानुभूति प्रकट करनी चाहिए

चंडीगढ़, 17 अप्रैल: इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने शनिवार को चंडीगढ़ में पे्रसवार्ता के दौरान कहा कि सरकार के उन सभी दावों की पोल खुल गई है जो कह रहे थे कि मंडियों में किसान की गेहूं खरीद के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं और किसी तरह की दिक्कत किसानों को नहीं होगी। उन्होंने सरकार के उन दावों को खारिज कर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों को कैसे लूटा जाए, उसके लिए गेहूं की नमी का जो 14 प्रतिशत का पैमाना था, उसे 12 प्रतिशत कर दिया है और बड़ी लूट मंडी में मचा रखी है। जो 50 किलो का बैग है उसमें 51 किलो गेहूं भरी जा रही है। जहां प्रति बैग एक किलो गेहूं किसानों का कम किया जा रहा है वहीं उस एक किलो गेहूं का पैसा सत्ता में बैठे लोगों की जेबों में भरा जा रहा है। मंडियों में आज बारदाना नहीं है जिस कारण से भी किसानों पर बड़ी मार पड़ रही है। पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि गेहंू खरीद के समय मंडियों को दो दिन बंद रखा गया। उन्होंने कहा कि सिरसा जिले में बारिश के कारण किसानों की गेहूं यह कहकर नहीं खरीदी जा रही कि उनकी गेहूं में नमी बढ़ गई है वहीं कैथल की मंडी में गेहूं यह कहकर वापिस कर दी कि उनकी गेहूं में चमक नहीं है। उन्होंने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने मंडियों में नई मशीनें लगा दी हैं जिसमें गेहूं डाली जाती है और गेहूं की झार लगाने पर 40 प्रतिशत गेहूं किसानों को वापिस ले जानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि जो लोग किसान हितैषी होने का ढोंग कर रहे थे आज वो दोनों हाथों से किसानों को लूट रहे हैं और उन्हें कमजोर कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के बयान आ रहे हैं कि कोरोना की बीमारी लगातार बढ़ रही है इसीलिए वो किसानों से अपील करते हैं कि मानवता के आधार पर आंदोलन खत्म कर दें। उन्होंने कहा कि खुफिया विभाग की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अगर किसानों से जबर्दस्ती की गई तो बहुत बुरा अंजाम सरकार को भुगतना पड़ेगा, इसलिए आज मानवता की बात की जा रही है। वो उनसे पूछना चाहते हैं कि जो पहले कहते थे कि बार्डर पर बैठे हुए किसान नहीं है बल्कि वो मु_ीभर लोग हैं जो आतंकवादी, खालिस्तानी, अलगाववादी और चाइना स्पोर्टेड हैं, अब किसान दिखाई देने लगे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री को पत्र लिखना चाहिए कि जो उन्होंने तीन कृषि कानून बनाए हैं वो किसानों के हित में नहीं हैं और उनके गलत निर्णयों की वजह से आज लाखों किसान धरनों पर बैठे हैं। अगर उनको महामारी से बचाना चाहते हैं तो उन्हें तुरंत ये तीनों कानून वापिस ले लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी को फैलाने के लिए भी भाजपा सरकार जिम्मेदार है। इनेलो नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसानों से माफी मांगनी चाहिए और धरने पर बैठे किसानों के प्रति सहानुभूति प्रकट करनी चाहिए। भाजपा के मंत्रियों और नेताओं द्वारा किसानों को जो अपशब्द कहकर अपमानित किया गया था उनको भी किसानों से माफी मांगनी चाहिए।

इनेलो नेता ने मुख्यमंत्री पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में हुए घोटालों में वो भी शामिल हैं क्योंकि अब तक शराब और रजिस्ट्री घोटाले की रिपोर्ट उन्होंने सार्वजनिक नहीं की है। अगर वो इन घोटालों में शामिल नहीं हैं तो तुरंत शराब और रजिस्ट्री घोटाले की रिपोर्ट सार्वजनिक करे तथा 300 के लगभग कर्मचारी, जो इस घोटाले से जुड़े हैं, उनके खिलाफ मुकद्दमे दर्ज कर कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय में कोरोना के दौरान 450 करोड़ रुपए का दवाई घोटाला किया गया उसकी भी जांच करवानी चाहिए।

पत्रकार वार्ता के दौरान उनकी सुरक्षा हटाए जाने पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि होली के दिन उन्होंने मुख्यमंत्री को बधाई देने के लिए फोन किया था जिस पर मुख्यमंत्री ने उल्टा इल्जाम लगाते हुए कहा कि आप लोगों को भडक़ा रहे हैं, आपके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खाली धमकी देना जानते हैं या कार्रवाई भी करना जानते हैं। आज तक तो उन पर कोई कार्रवाई हुई नहीं बस सुरक्षा वापिस ले ली गई है। उप-मुख्यमंत्री द्वारा सरकार को किसानों से बात करने के लिए लिखे गए पत्र पर पूछे गए प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कह कि अब उन्हें पता चल गया है कि जो धरने पर बैठे हैं वो किसान हैं। कल तक तो वो कहते थे कि जो धरने पर बैठे हैं वो किसान नहीं हैं। मजदूरों के पलायन पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार तो केवल अखबार में बयान देने तक सीमित है जबकि जो मजदूर यहां दूसरे प्रदेश से काम करने आता है उसकी जानमाल की जिम्मेदारी सरकार की होनी चाहिए।

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