गैर-भीड़-भाड़ वाले घाटों में सोशल डिस्टेंसिंग मास्क का पालन नहीं करने वाले लोगों पर जुर्माना, वही मुख्य घाटों पर पुलिस में जाने का साहस नहीं। हरिद्वार । राष्ट्रव्यापी आलोचना और कोरोना को लेकर चिंताओं के बीच उत्तराखंड के हरिद्वार में चल रहा कुंभ मेला दो हफ्ते पहले आज खत्म हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार और धार्मिक नेताओं के बीच चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया है। गंगा नदी के तट पर होने वाले वार्षिक कार्यक्रम में नदी में डुबकी लगाने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे हुए हैं। इसने देशभर में कोरोना के मामले बढ़ाने को लेकर चिंता बढ़ा दी थी। वहीं हरिद्वार में बीते 48 घंटे के दौरान 1,000 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। आज सुबह, साधु और भक्तों की बड़ी भीड़ ने शाही स्नान के लिए मुख्य घाट, हर की पौड़ी में डुबकी लगाई। ये सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रम का तीसरा प्रमुख स्नान था। राज्य सरकार का कहना है कि दोपहर 2 बजे तक, 9,43,452 श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई थी। कुंभ का अगला स्नान 27 अप्रैल का निर्धारित है। ‘गैर-भीड़-भाड़ वाले घाटों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने वाले लोगों पर जुर्माना लगाया गया, लेकिन मुख्य घाटों पर मौजूद लोगों पर जुर्माना लगाना तो दूर की बात पुलिस का यहां जाने का साहस नहीं।’ कुंभ में कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पावन नहीं हो रहा है और न ही कोई साधु या उनके अनुयायी घाट पर मास्क लगाए हुए नजर आ रहे हैं। वे ऐसे ही घाट पर घूमते और नदी में डुबकी लगाते हुए नजर आते हैं।सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रव्यापी आलोचना और कोरोना को लेकर चिंताओं के बीच, केंद्र के अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप के बाद राज्य सरकार ने शक्तिशाली अखाड़ों और साधु-संतों को मनाने की कोशिश कर रही है ताकि वे हरिद्वार से चले जाएं और आयोजन को खत्म किया जा सके। इसके लिए भाजपा समर्पित संतो की सहायता ली जा रही है। इसकी वजह है कुंभ में नजर आ रही रिकॉर्ड भीड़। उत्तराखंड पुलिस के प्रमुख अशोक कुमार ने बताया कि दोपहर तक लगभग 10 लाख लोगों ने नदी में स्नान किया। समरण रहे कि उत्तराखंड में मंगलवार को 1,925 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। यह एक दिन में सामने आए संक्रमितों की सबसे ज्यादा संख्या है। इसके अलावा हरिद्वार में दो दिन में 1,000 मामले सामने आए हैं। Post navigation ममता की कलाकारी और राहुल को याद आया बंगाल विकास के सभी काम रोक कर लोगों को महामारी से बचाने के काम को प्राथमिकता हो।