सेवानिवृत शिक्षक को नहीं मिल पा रही है कई माह से पैंशन मुख्यमंत्री व प्रदेश सरकार से लगाई गुहार

गुरुग्राम, 10 अप्रैल (अशोक): प्रदेश के शिक्षा विभाग पर लापरवाही के आरोप समय-समय पर लगते रहे हैं। अभिभावक भी विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर धरने प्रदर्शन तक करते रहे हैं। चाहे वह निजी स्कूलों की मनमानी के विरोध में रहे हों या फिर शिक्षा विभाग द्वारा निजी स्कूलों को सहयोग करने के आरोप ही क्यों न हों। पिछले कुछ दिनों से निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर अभिभावक संघ निजी स्कूलों व शिक्षा विभाग के कार्यालयों पर प्रदर्शन आदि करते आ रहे हैं।

इसी क्रम में शिक्षा विभाग से सेवानिवृत हुए शिक्षक ने भी शिक्षा विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा है कि पिछले 3 माह से उसे पैंशन
नहीं मिली है। शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण ही उसे पैंशन का भुगतान नहीं किया जा सका है। 31 मार्च के बाद पैंशन राशि वापिस चली गई। अब जब नया बजट स्वीकृत होगा तो तभी उसे पैंशन मिल पाएगी, जिसमें अभी समय लगेगा।

गुडग़ांव के अध्यापक संघ के पूर्व अध्यक्ष शिक्षाविद् रामनिवास शर्मा जाटौली हेलीमंडी स्थित एमएलए वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से मुख्याध्यापक के पद से वर्ष 2009 की 30 अप्रैल को सेवानिवृत हुए थे। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग ने सही तरीके से उनकी पैंशन लागू नहीं की थी, जिसको उन्होंने पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने उनकी गुहार को स्वीकार करते हुए पैंशन देने के आदेश शिक्षा विभाग को दिए थे। छठे वेतन आयोग को पैंशनर्स के लिए एक जनवरी 2006 की बजाय एक अगस्त 2011 से लागू किया गया था। जिसको उन्होंने उच्च न्यायालय में चुनौती दी हुई है और यह मामला अभी वहां पर विचाराधीन है।

उनका कहना है कि मुख्याध्यापकों को 6500-10500 की बजाय 7500-12000 का संशोधित वेतनमान दिया गया, जोकि सरकारी स्कूलों में एक जनवरी 1996 से लागू किया गया, लेकिन सरकार से एडिड स्कूलों का मामला अभी तक लंबित है। पीडि़त शिक्षक ने मांग की है कि समाज वेतन लागू किया जाना चाहिए, शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जबावदेही तय होनी चाहिए। उनका कहना है कि छठे वेतन आयोग
में 164 प्रतिशत महंगाई भते की घोषणा कर दी है। इस महंगाई भते को लागू करने में भी भेदभाव किया जा रहा है। गुडग़ांव में जहां 142 प्रतिशत का भुगतान किया जा रहा है, वहीं भिवानी में 154 प्रतिशत का। एक ही राज्य में 2 नियम कैसे हो सकते हैं। सामाजिक संस्था गुडग़ांव विकास मंच ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल, उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला व शिक्षामंत्री कंवरपाल सिंह गुर्जर व शिक्षा निदेशालय से मांग की है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सेवानिवृत शिक्षकों की समस्याओं का  समाधान प्राथमिकता के आधार पर कराकर उनको न्याय दिया जाए।

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