किसान महासभा के रामपाल जाट ने गुरुवार को नई दिल्ली डीसीपी ऑफिस में दिल्ली के जंतर मंतर पर कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर प्रस्तावित अनिश्चितकालीन धरने की इजाजत लेने के लिए आवेदन किया है.

दिल्ली. केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली के तीन तरफ बॉर्डर पर बैठे किसान अब एक बार फिर दिल्ली कूच करने की तैयारी में हैं. किसान महासभा के रामपाल जाट ने गुरुवार को नई दिल्ली डीसीपी ऑफिस में दिल्ली के जंतर मंतर पर कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर प्रस्तावित अनिश्चितकालीन धरने की इजाजत लेने के लिए आवेदन किया है. रामपाल जाट ने कहा कि हमारा उद्देश्य किसी से बैर लेना नहीं, बल्कि किसानों की भलाई के लिए इन कानूनों में बड़े संशोधन या इनकी वापसी की मांग के लिए सकारात्मक लड़ाई लड़ना है.

रामपाल जाट ने कहा कि इसके लिए हमने 13 अप्रैल से दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने क्रमिक अनशन उपवास को लेकर नई दिल्ली डीसीपी ऑफिस में अनुमति के लिए आवेदन किया है. इस संबंध में दिल्ली पुलिस की ओर से चाही गई सभी औपचारिकताएं पूरी कर दी गई है. हमें पूरी उम्मीद है कि इस धरने के लिए हमें इजाजत मिल जाएगी.

केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर किसान संगठन अभी पूरी तरीके से अडिग हैं. पिछले 4 माह से जारी किसान आंदोलन अभी दिल्ली की तीनों सीमाओं के साथ-साथ कई राज्यों में लगातार चल रहा है. पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कई राज्यों में अभी भी किसान आंदोलनरत हैं और कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर डेरा डाले हुए हैं. दिल्ली के तीनों बॉर्डर की बात करें तो इनमें गाजीपुर बॉर्डर में किसानों की तादाद इसलिए ज्यादा नजर आती है कि वहां पर इसका पूरा मोर्चा राकेश टिकैत संभाले हुए हैं. वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा के दूसरे नेता भी लगातार आंदोलन स्थल पर पहुंचते रहते हैं. इसके साथ ही वहां पर कोई ना कोई नई गतिविधियां भी किसान आंदोलन को लेकर शुरू की जाती रहती हैं.

इसके अलावा दिल्ली के सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर (पर अब किसान धीरे-धीरे कुछ कम भी होने लगा है. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि यह समय खेतों में कटाई के बाद फसल को उठाकर मंडियों तक पहुंचाने का होता है. ऐसे में अगर किसान आंदोलन पर डटे रहेंगे तो उनकी पूरे साल की मेहनत बेकार हो जाएगी. अब रोटेशन के हिसाब से किसान भी आंदोलन स्थलों पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं. सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर ज्यादातर किसानों की संख्या हरियाणा और पंजाब के किसानों की है.

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