महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व कानून मंत्री को भेजा ज्ञापन

गुरुग्राम, 6 अप्रैल (अशोक): केंद्र व प्रदेश सरकारों ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने व उनके कल्याण के लिए महिला आयोग का गठन किया हुआ है, ताकि वे अपने अधिकारों को प्राप्त कर सम्मान का जीवन जी सकें। पुरुष समाज की ओर से भी यह मांग उठती रही है कि पुरुष आयोग का गठन किया जाए, लेकिन यह संभव नहीं हो सका है। इसके गठन के लिए विभिन्न सामाजिक संस्थाएं समय-समय पर आवाज भी उठाती रही हैं।

इसी क्रम में विभिन्न सामाजिक संगठन जन जागरण मंच, आवाज फाउण्डेशन ट्रस्ट, अखिल भारतीय उत्पीडि़त पुरुष महासभा, सेव इंडियन इनोसेंट फैमिली ऑल बंगाल मैन्स फोरम, पोरुष इंदौर, मैंन्स राईट इंडिया आदि ने संयुक्त रुप से राजधानी के जंतर-मंतर गत दिवस सत्याग्रह का आयोजन किया, जिसमें मांग की गई कि अधिकार संपन्न पुरुष आयोग का गठन किया जाए। जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरी शंकर कुमार ने बताया कि इस सत्याग्रह में संस्थाओं के विष्णु तिवारी, अशोक दसोरा, अक्षय धवन, गजाधर सिंह, सूरज ब्रह्मचारी, गौतम कुमार व कई महिला प्रतिनिधि भी शामिल हुई। उन्होंने कहा कि बलात्कार जैसे झूठे आरोप में आरोपियों को सजा हो जाती है। आरोपी उच्च न्यायालय में अपील करता है तो वहां से वह बरी हो जाता है।

जेल में बिताए गए ये साल उसके वापिस नहीं आते और समाज उसको तिरस्कृत कर देता है। ऐसे में उसके लिए समाज में कोई स्थान नहीं होता। अंत में उसके पास आत्महत्या करने के सिवा कोई चारा नहीं रहता। उन्होंने पुरुष समाज से आग्रह किया कि वे परिस्थितियों का हिम्मत से सामना करें। आत्महत्या जैसे कदम कभी नहीं उठाने चाहिए। अपने आपको निर्दोष साबित करने के लिए अंतिम क्षण तक प्रयास करने चाहिए। उन्होंने गुजारा भता के कानून में संशोधन करने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि जो महिला शारीरिक रुप से स्वस्थ हो उसे गुजारा भता नहीं दिया जाना चाहिए। गुजारा भता केवल उन महिलाओं को दिया जाए जो शारीरिक रुप से अस्वस्थ हों या दिव्यांग हों। पत्नी द्वारा प्रताडि़त एक वक्ता ने कहा कि जब मुकदमे में लगाए गए आरोप झूठा साबित हो जाता है तो संबंधित न्यायालय के न्यायाधीश को अधिकार दिया जाए कि झूठे मुकदमे करने वाली महिला को न्यायालय सजा दे। इसके लिए कानून में संशोधन किया जाना जरुरी है। महिला वक्ताओं ने कहा कि पति-पत्नी के बीच चल रहे मामलों का निपटारा निश्चित समय के भीतर किया जाना चाहिए। कार्यक्रम में आसाराम बापू जैसे पुरुष संतों पर महिला द्वारा लगाए गए आरोप से संबंधित मुद्दा भी उठाया गया। इन सभी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व कानून मंत्री को भी भेजा गया।

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