* चुनावो में जोर-शोर से पाकिस्तान को कोसने वाले अचानक क्योंकर खामोश है ?
* कहते थे ये द्विपक्षीय मुद्दे है, इनमे किसी की मध्यस्थता बर्दाश्त नही, वो मन मारकर कर उनकी बात मानने मजबूर हो जाते है, क्यों?
* अमृतसर को अचानक चार चार एक्सप्रेस वे से जोडना।
* अचानक से पाकिस्तान का भारतीय चुनाव से गायब होना और पाकिस्तान भारत की दोस्ती करवाने के लिये अरब और युऐई का आगे आना।
* चीन के साथ गलवान आदि के विवाद मे बातचीत शूरू होना ।
* भारत पाक का संयुक्त अभ्यास ।
अशोक कुमार कौशिक

कुछ अजीब नही लग रहा कि पांच राज्यो में चुनाव प्रचार जोरो पर है और अब तक पाकिस्तान का जिक्र नही किया गया ? ग्राम पंचायत और पार्षद तक के चुनावों में जोर-शोर से पाकिस्तान को कोसने वाले अचानक क्योंकर खामोश है ? जब पहलवान यकायक अपना हस्तसिद्ध दांव छोड़कर दूसरे पैंतरे आजमाने लगे तो अजीब लगाना स्वाभाविक है।
हम, जिनके लिए पाकिस्तान नापाक था, कारगिल, पुलवामा और अनगिनत आंतकी घटनाओ का ज़िम्मेदार है, हमारे न्यूज़ चैनल जिस पाकिस्तान, परवेज मुसरफ, नवाज शरीफ और इमरान खान की बर्बादी व चालबाज़ियों के किस्से सुनाते नही थकते थे, वो देश अब अचानक से उसी इमरान खान को जन्मदिन की बधाई दे रहा है। उसके साथ सैन्याभ्यास करने वाला है। शायद क्रिकेट खेलने भी जाने वाला है। खबरों की माने तो वैक्सीन भी देने वाला है और तो और इन दिनों चीन पर बयानबाज़ी भी एकदम बंद है ।
कई वेबसाइट पर यह खबर चल पड़ी थी कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई ने भारत और पाकिस्तान को बातचीत की मेज तक पहुंचा दिया है। भारत और पाकिस्तान के बीच तीन मुद्दों पर सहमति बन गई है। इन तीन मुद्दों में यह भी शामिल है कि इतिहास में पहली बार भारत और पाकिस्तान की सेनाएं संयुक्त अभ्यास भी करेंगी। हम इसे लेकर चिंतित हैं कि करीब 36 घंटे हो जाने के बावजूद भारत सरकार ने इस खबर का खंडन नहीं किया। अगर सरकार ने इसका खंडन नहीं किया, तो इसका मतलब ये है कि खबर सच है।
अगर खबर सच है तो फिर मतलब यह भी है कि भारत की विदेश नीति में तीसरे पक्ष ने दखल दिया है। अगर तीसरे पक्ष ने दखल दिया है तो इसका मतलब यह है कि भारत की सम्प्रभुता कमजोर पड़ी है।
मैं कोई राजनैतिक विश्लेषक तो नही पर पिछले कुछ दिनों के समाचारों पर गौर किया तो माजरा कुछ-कुछ समझ आने लगा कि अंदरखाने किसी ने हमारे पहलवानों बांह कसकर मरोड़ी है।

प्रिय मोहन भागवत, आरएसएस के चालक महोदय, कृपया अपनी सरकार से पूछिए कि यूएई और सऊदी अरब से ये निवेदन किसने किया कि वे भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करें। भागवत जी, अपनी सरकार से पूछकर देश को यह भी बताइए कि सऊदी अरब और यूएई की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच और क्या क्या बातचीत हुई। अरब देशों का अपनी सुरक्षा के लिये अमेरिका पर निर्भर होना, अमेरिका का एशिया में पाकिस्तान को मोहरा बनाये रखने की चाहत, चीन से पाकिस्तान के संबंध और अमेरिका की व्यसायिक मजबूरी के बीच हमारा का इन दोनों देशों से लगातार तनाव और प्रतिस्पर्धा कहीं ना कहीं इन सभी को अखर रही थी।
बस फिर क्या, नये अंकल सैम ने अपने मोहरे चले और हम जो यह कहते थे ये हमारे द्विपक्षीय मुद्दे है, इनमे किसी की मध्यस्थता बर्दाश्त नही। वो मन मारकर कर उनकी बात मानने मजबूर हो जाते है, क्यों? आर्थिक शक्ति होना, दुनियां के ताकतवर देशो और पड़ोसियों से बेहतर संबंध होना। यही आज के जमाने के कारगर हथियार है और विगत वर्षों में इन दोनों ही मोर्चो पर हमारी उपलब्धियां के किसी से छिपी नही है। बाकी तो सबको पता ही है।
हम भारत के नागरिक होने के नाते अपने देश की सम्प्रभुता को लेकर चिन्तित हैं। भागवत जी, आपका आरएसएस तो खुद को राष्ट्रवादी संगठन कहता है। ये कैसा राष्ट्रवाद है कि आपकी सरकार यूएई और सऊदी अरब की मध्यस्थता में पाकिस्तान से बात कर रही है, फिर भी आप चुप हैं। भागवत जी, आपकी चुप्पी बता रही है कि आपका राष्ट्रवाद खोटा है, नकली है। आप राष्ट्रवाद के नाम पर अपने समर्थकों को केवल तियाचू बनाते हैं।
* अमृतसर को अचानक चार चार एक्सप्रेस वे से जोडना।
अब दूसरे मुद्दे की ओर मुड़े, अगर आप सोच रहे है कि इन सब बातों का आपस मे क्या संबंध है और तीन कृषि कानूनों के पीछे का सच क्या है? आज आपको तीन कृषि कानूनों का एक ऐसा राज बताएंगे, जिसे केवल देश की बड़ी एजेंसीज जानती हैं और जिसे अभी तक कोई भी किसान संगठन नहीं समझ पाया है।

आपको पता है कि पहले बंदरगाहों से व्यापार होते थे, जो कि आज भी होते हैं। जब भारत में कलकत्ता, बम्बई, सूरत बंदरगाहों को अंग्रेजों ने विकसित किया था, तो इनके आसपास रहने वाले उच्च जातीय लोगों का जबरदस्त विकास हुआ था और यहीं से ये जातियां व्यापार पर काबिज हो गई थी। सर सैयद अहमद खान ने अपने एक भाषण में कहा है कि इन बंदरगाहों की वजह से कमजोर लोगों की तलवार वालों पर हुकूमत हो गई।अतः यह माना जाये कि व्यापारिक केंद्रों के आसपास समृद्धि आती है।
पिछले कुछ सालों से चीन “वन बेल्ट वन रोड” परियोजना पर काम कर रहा है, जिसमें यह एक ऐसा महान सिल्क रोड तैयार कर रहा है, जोकि सड़क मार्ग से पाकिस्तान के भीतर से होता हुआ, यूरोप तक जाता है।इसके शुरू होते ही बंदरगाहों का महत्व कम हो जायेगा और सड़क मार्ग से व्यापार अधिक होने लगेगा, जिस पर चीन का कब्जा होगा। भारत देश का पूंजीपति वर्ग भी इस चीन द्वारा बनाये जा रहे सिल्क रोड से जुड़ना चाहता है, क्योंकि इससे जुड़ने से भारतीय पूंजीपति वर्ग को भी फायदा है।
अगर भारत भविष्य में इस सिल्क रोड से जुड़ता है, तो यह अमृतसर से होते हुए ही जुड़ेगा; जिस वजह से अब एकाएक अमृतसर का रणनीतिक व्यापारिक महत्व बढ़ गया है और भारत सरकार 1,316 किलोमीटर का अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस वे तैयार कर रही है; 687 किलोमीटर का दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा एक्सप्रेस वे तैयार किया जा रहा है और अमृतसर-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर 2021-22 के बजट में प्रावधान किया गया है।
अमृतसर को लेकर इतने बड़े बड़े राष्ट्रीय राजमार्ग केवल इसीलिये तैयार किये जा रहे हैं कि भविष्य में भारत, चीन के सिल्क रूट से जुड़ेगा। लेकिन भारत देश की सत्ता चूंकि थाईलेंडी शक्तियों के हाथ में है, तो इन्हें यह भी चिंता है कि अगर भारत को चीन के सिल्क रूट से जोड़ दिया गया तो इससे तो हरियाणा-पंजाब की जमीनों के रेट सौ गुना बढ़ जायेंगे और यह क्षेत्र अत्यधिक विकसित क्षेत्र हो जायेगा, जैसा कभी बंदरगाह बनने से सूरत, कलकत्ता, बम्बई का क्षेत्र हो गया था।
इन थाईलेंडी शक्तियों की चिंता वाज़िब भी है, क्योंकि पाकिस्तान में इस रूट का पाकिस्तानी पंजाब को अप्रत्याशित फायदा हुआ है, जिसकी वजह से पाकिस्तान में बलूचिस्तान, जोकि थाईलेंडी शक्तियों का एजेंट बना हुआ है; इस सिल्क रोड का विरोध कर रहा है।
अतः भारतीय थाईलेंडी शक्तियाँ इस रूट से भी जुड़ना चाहती हैं, जिससे अम्बानी-अडानी को फायदा हो, साथ में पंजाब-हरियाणा के किसान की जमीन भी छीनना चाहती हैं, जिससे यहाँ की किसान जातियों को इसका फायदा न मिल सके।
अतः इस सारी पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून बनाये हैं, जो कि हरियाणा-पंजाब के किसान की जमीन छीनने का थाईलेंडियों का ऑपेरशन है। लेकिन, केंद्र सरकार सोच रही थी कि वह यह काम आसानी से कर लेगी, जबकि उसे क्या पता था कि किसान फौज दिल्ली भी पहुँच जाएगी और इतना बड़ा प्रतिरोध खड़ा होगा।
अगर भविष्य में खुद का वजूद कायम करना है और जिंदा रहना है तो इसका एक ही तरीका है। इन एक्सप्रेस वे से जुडे हूऐ सभी लोग ऐक मुट्ठी हो जाओ। यह मसला केवल कृषि बिलो तक सीमित नही है। यह ईलाका भविष्य का व्यापार मार्ग बनने जा रहा है। अपनी जमीनो की तरफ ऊठने वाली हर ऊंगली को तोडना होगा।
अचानक से पाकिस्तान का भारतीय चुनाव से गायब होना और पाकिस्तान भारत की दोस्ती करवाने के लिये अरब और युऐई का आगे आना। चीन के साथ गलवान आदि के विवाद मे बातचीत शूरू होना। भारत पाक का संयुक्त अभ्यास। पहले मुफ्त 4 साढ़े चार करोड़ वैक्सीन। अब क्रिकेट का खेल भी होने की खबरे , क्या खेला है भाई? बरबस ही स्मरण हो आया “देश नही झुकने दूंगा ।