23 मार्च शहीदी दिवस मनाने व 26 मार्च भारत बंद को सफल बनाने पर की चर्चा

भिवानी/मुकेश वत्स

तीन काले कानूनों को रद्द करने, बढ़ती हुई महंगाई पर रोक लगाने, सरकारी अनाज मंडी को बचाने, गेहूं की खरीद पर अनावश्यक शर्तें और भूमि रिकॉर्ड की शर्त को रद्द की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के आहवान पर संयुक्त किसान मोर्चा कितलाना टोल के किसान व मंडी व्यापारी स्थानीय अनाज मंडी में जाटू खाप से कुलदीप धनाना, अध्यक्षता रिटायर्ड कर्मचारी संघ से रत्न जिंदल, गंगाराम श्योराण, रोहताश पहलवान, कमल सिंह प्रधान, अमर सिंह हालुवास, मेवा सिंह आर्य, वेदपाल घणघस, संदीप सिवाच मित्ताथल, नई अनाज मंडी प्रधान रामनिवास गुप्ता, योगेन्द्र बोहरा, मंडी पूर्व प्रधान बजरंग मित्तल, सुभाष गुप्ता, जयप्रकाश बोहरा, वेदप्रकाश अरोड़ा, देवदत्त गर्ग की अध्यक्षता में एकत्रित हुए और धरना देकर सरकार के खिलाफ नारबाजी की।

धरने का संचालन भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष राकेश आर्य नीमड़ीवाली ने किया। धरने में उपस्थित किसान व व्यापारियों ने संयुक्त रूप से कहा कि  आज देश के अन्नदाता के साथ-साथ मजदूर, कर्मचारी और व्यापारी समेत हर वर्ग ये समझ गया है कि तीन कृषि कानून महज बड़े घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं। इनसे किसानों को बड़ा नुकसान तो होगा ही, प्राइवेट मंडी खुलने से सरकारी मंडी बंद हो जाएंगी। इससे एमएसपी खत्म होने के साथ मजदूरों को खाने के लाले पड़ जाएंगे वहीं आढ़ती भी अपने काम धंधे से हाथ धो बैठेंगे। हमारा आपसे आग्रह है कि इन काले कानूनों को रद्द किया जाए।

उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम एफसीआई गेहूं खरीद पर अनावश्यक शर्तें लगा रहा है। दरअसल, ये हालात आंदोलनकारी किसानों के जख्मों पर नमक छिडक़ने के समान हैं। यह दावा किया जाता है कि गेहूं की फसल का भुगतान भूस्वामी को किया जाएगा, जबकि जमीन पर वास्तविकता यह है कि बहुत कम काश्तकार हैं और कुछ काश्तकारों के इतने छोटे भूखंड  है जिस पर खेती करना उचित नहीं है। उन्हें मशीनरी और अन्य तकनीक की जरूरत है। परिणामस्वरूप, अनुबंध के आधार पर मजबूरियों का भुगतान करना पड़ता है। उन्होंने दृढ़ता से मांग करते हुए कहा कि भूमि मालिकों को गेहूं की फसल का भुगतान करने के बजाय, खेत में फसल उगाने वाले किसान को इसे औपचारिक रूप से दिया जाना चाहिए, अन्यथा यह हमारे चल रहे संघर्ष की एक बड़ा बदलाव लाएगा।

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