बैको की निजिकरण के खिलाफ दूसरे दिन भी रही हड़ताल

रमेश गोयत
पंचकूला। यूएफबीयू के आह्वान पर दो दिवसीय हड़ताल के दूसरे दिन पंचकूला व एसबीआई मुख्य शाखा भवनों, सेक्टर 17, बैंक स्क्वायर, चंडीगढ़ के सामने प्रदर्शन किया गया। दीपक शर्मा ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक राष्टÑ निर्माता हैं। उनके पास संपत्ति का समानजनक मूल्य है, और उनके पास लाखों करोड़ों का धन है। यह निजी उद्यमों/व्यवसायिक घरानों या कॉरपोरेट्स के हाथों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बैंक शाखाओं, अवसंरचना और परिसंपत्तियों के विशाल नेटवर्क को रखने के लिए तर्कहीन, बल्कि, शरारती और एक गलत मकसद होगा।

इससे देश के आबादी को आसान, अगले दरवाजे और सुरक्षित बैंकिंग से वंचित कर दिया जाएगा। इससे आम आदमी को सुविधाजनक, किफायती बैंकिंग सेवाओं से वंचित होना पड़ेगा।  यह प्रतिगामी निष्क्रिय है क्योंकि यह बड़े पैमाने पर बैंकिंग से वर्ग बैंकिंग की ओर मुड़ता है। यह एकाधिकार और कार्टेलिजÞेशन का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। यह हमारे जैसे विकासशील देश के लिए एक प्रतिगामी उपाय है, जहां बैंकिंग नेटवर्क को और अधिक फैलाने की जरूरत है, साथ ही सामाजिक जिम्मेदारी की भी भावना है, जिसकी बैंकों के निजीकरण होने पर अत्यधिक कमी होगी।

 उन्होंने कहा कि अगर हम हाल के बैंकिंग इतिहास को देखें, तो हम पाएंगे, जब भी कोई भी निजी क्षेत्र का बैंक मुसीबत में पड़ता है, तो वसूली के कोई स्रोत नहीं छोड़े जाते हैं, उनके पुनरुद्धार की जिम्मेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर जोर देती है। इस अवसर पर एआईबीईए से हरविन्द्र सिंह व जगदीश राय ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देश की जीवन रेखा हैं। उन्हें ऐसा ही रहना चाहिए। हम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के किसी भी कदम का पुरजोर विरोध करते हैं। यूएफबीयू (ट्राइसिटी) के संयोजक संजय कुमार शर्मा ने बैंकों के निजीकरण के लिए विधानों का विरोध करते हुए कहा कि बैंकिंग उद्योग में ट्रेड यूनियनों, हितधारकों के विरोध के बावजूद, सरकार अविश्वसनीय है और गर्दन तोड़ने की गति में गलत सुधारों को जारी रख रही है।  

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