सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने की निजीकरण के खिलाफ हड़ताल

रमेश गोयत

पंचकूला,15 मार्च। यूनाइटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियनों के आह्वान पर बैक कर्मचारियों एवं अधिकारी 15 तथा 16 मार्च को दो दिनों की देशव्यापी हड़ताल पर है। ये हड़ताल  वित्त मंत्री द्वारा अपने इस वर्ष के बजट भाषण में घोषित दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा के खिलाफ है। सोमवार को हरियाणा, पंचकूला व चंडीगढ़ में बैको के निजिकरण के खिलाफ हड़ताल रखी।

यूएफबीयू के अखिल भारतीय संयोजक संजीव बिंदलिश ने कहा कि सरकार ने हाल के बजट सत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा की है। यूनाइटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियंस बैंकिंग उद्योग में ट्रेड यूनियनों द्वारा निर्णायक लड़ाई के लिए तैयार है। सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों के निजीकरण के परिणाम अकल्पनीय और विनाशकारी हैं। पीएसबी जो राष्टÑ निर्माता हैं, उन्हें निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों को सौंपा जा रहा है। हम इन गलत सुधारों के लिए मूकदर्शक नहीं बने रह सकते हैं। हम किसी भी परिस्थिति में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।

 यूएफबीयू (ट्राइसिटी) के संयोजक संजय कुमार शर्मा ने बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र, ग्रामीण और कुटीर उद्योग, लघु उद्योग और व्यवसाय, जो हमारी अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार हैं और अर्थव्यवस्था के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र बने रहे उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। बैंकों का राष्टÑीयकरण और उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र के तहत लाना स्वतंत्रता के बाद बहुत  सबसे महत्वपूर्ण कदम था और देश की वृद्धि और प्रगति को गति देने के लिए महत्वपूर्ण था।

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को और मजबूत करने के बजाय, वर्तमान नीतियों का उद्देश्य विनिवेश और प्रस्तावित निजीकरण के माध्यम से हमारे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कमजोर करना अनुचित और प्रतिगामी कदम है। हम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने की मांग करते हैं। यूएफबीयू के विभिन्न घटकों से दीपक शर्मा, जगदीश राय, बीएस गिल, टीएस सग्गू, हरविंदर सिंह, अरुण सिक्का, हरमीत सिंह, अशोक गोयल, सचिन कटियार और अन्य नेताओं ने अपने विचार साझा किए।

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