बीजेपी और जेजेपी पेंशन बहाली संघर्ष समिति के साथ कर रही वादाखिलाफी: विजेंद्र धारीवाल
13 मार्च 2021 रविवार को जींद में मीटिंग संघर्ष समिति की मीटिंग

रमेश गोयत

पंचकूला। पेंशन बहाली संघर्ष समिति कई सालों से 2006 के बाद सरकारी सेवा में आए कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए पुरानी पेंशन नीति की बहाली के लिए भाजपा जजपा गठबंधन सरकार से मांग कर रही है। वादाखिलाफी को लेकर पेंशन बहाली संघर्ष समिति 13 मार्च 2021 को जींद में जिला व राज्य कार्यकारिणी की मीटिंग कर गठबंधन सरकार के खिलाफ आगामी आंदोलन का ऐलान करेगा। पुरानी पेंशन नीति सेवानिवृत्ति के बाद हरियाणा के लगभग दो लाख कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा मुद्दा है जिस पर अपने वादे के अनुसार गठबंधन सरकार को जल्द सकारात्मक कदम उठाना चाहिए। लेकिन गठबंधन सरकार इसके विपरीत तानाशाही रवैया अपनाते हुए कर्मचारियों को आंदोलन के लिए मजबूर कर रही है।

2004 में केंद्र सरकार द्वारा व 2006 में हरियाणा राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों को पहले से दी जाने वाली निश्चित पेंशन स्कीम को बंद कर बाजार आधारित नेशनल पेंशन सिस्टम लागू किया गया जिसके तहत कर्मचारियों का 10 प्रतिशत और इतना ही सरकार द्वारा कर्मचारियों की पेंशन के लिए एनएसडीएल के माध्यम से शेयर बाजार, इक्विटी एवं अन्य बहुराष्टÑीय कंपनियों में निवेश किया जाता है जिसमें बाजार के उतार-चढ़ाव का सीधा असर कर्मचारी के पेंशन फंड पर पड़ता है जिस पर कर्मचारी नेताओं का कहना है कि इसमें बनने वाली पेंशन नाममात्र है और यह पेंशन स्कीम केवल उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू की गई है।

जहां कर्मचारियों पर बाजार आधरित नेशनल पेंशन सिस्टम शुरू किया गया उसके विपरीत विधायकों और सांसदों के लिए आज भी पूर्व की भांति पुरानी पेंशन नीति का लाभ जारी है जिसके तहत विधायकों को लाखों रुपए पेंशन प्रतिमाह दी जा रही है इसके साथ साथ उन्हें विधायक व सांसद के तौर पर जितनी बार भी निर्वाचन होता है उतनी ही बार पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। पेंशन बहाली संघर्ष समिति का कहना है कि जब विधायकों और सांसदों को 5 साल की सदस्यता पर पेंशन का लाभ दिया जा सकता है तो 30 से 35 साल तक सरकारी सेवा में रहने पर कर्मचारियों को भी सेवानिवृत्ति पर सामाजिक सुरक्षा हेतु पुरानी पेंशन नीति का लाभ प्रदान किया जाए।