भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक किसान आंदोलन के चलते किसानों के पक्ष में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 5 तारीख को ही अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया, जिस पर दस मार्च को बहस होनी है और उसके बाद मतदान यदि नौबत आई तो। पूरे देश में ही किसान आंदोलन विस्तार लेता जा रहा है और हरियाणा पहला ऐसा राज्य है, जिसमें किसान आंदोलन को लेकर भाजपा सरकार के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ है। ऐसी अवस्था में यदि भाजपा सरकार गिर जाती है तो पूरे देश और विदेश में भी यह संदेश जाएगा कि किसान आंदोलन के चलते भाजपा की सरकारें गिरने का सिलसिला आरंभ हो गया और ऐसा केंद्र सरकार अर्थात मोदी-शाह कदापि नहीं चाहेंगे। मोदी जी का हरियाणा से गहरा नाता है। यहीं से उनके राजनैतिक उत्थान की राह आरंभ हुई। प्रथम वह हरियाणा के प्रभारी बने। यहां से सीधे गुजरात के मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री का पायदान भी रेवाड़ी में रैली से हरियाणा से ही आरंभ हुआ। तो इस बात को देखते हुए मोदी-शाह की जोड़ी का हरियाणा पर विशेष ध्यान है। यह तो पहले ही दिखाई दे रहा है कि हरियाणा सरकार की कार्यशैली पर केंद्र सरकार निगाह है। बार-बार मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष को तलब किया जाता है। और वर्तमान में तो बजट सत्र से पूर्व सुना है सांसदों से भी संपर्क किया गया है। अर्थात यूं कहें कि हरियाणा की स्थिति की नाजुकता को वह भली प्रकार माप रहे हैं और इसका कोई नुकसान न हो जाए, इसके लिए पूर्ण रूप से प्रयासरत हैं। हरियाणा में गठबंधन सरकार है। इसमें भाजपा का जजपा से तालमेल है और जजपा किसान पार्टी कहलाई जाती है जो ताऊ देवीलाल के नाम पर चलती है। ऐसे में जो मोटे तौर पर नजर आता है, वह यह है कि जजपा अपना जनाधार खोती जा रही है। जजपा के कुछ विधायक भी बार-बार किसानों के समर्थन में बोल रहे हैं। ऐसे में शायद केंद्र को अंदेशा है कि जजपा समर्थन वापिस न ले ले। इधर कुछ निर्दलीय विधायक भी किसानों के सुर में सुर मिला रहे हैं, जिनमें सोमबीर सांगवान, बलराज कुंडू का नाम बेधडक़ लिया जा सकता है। दादा रामकुमार गौतम भी अपनी शैली में अपनी बात अलग ही तरीके से कहते हैं। अब होगा क्या, यह तो समय के गर्भ में है परिस्थितियां सहज नहीं हैं। हरियाणा में जिस प्रकार किसान आंदोलन के समर्थन में व्यापारी, कर्मचारी वर्ग आ रहा है और जिस प्रकार धरने पर महिलाओं और बच्चों की उपस्थिति देखी जा रही है, उसे देखते हुए यह तो लगता है कि जनता का बहुमत किसानों के साथ है और इन बातों को देखते हुए भविष्य की राजनीति के बारे में सोचते हुए कौन विधायक क्या फैसला ले ले, कहना मुश्किल है। अब किसानों ने 8 मार्च का भारत बंद भी बुला रखा है। उस भारत बंद की सफलता-असफलता का आंकलन भी हो सकता हरियाणा के विधायकों की सोच पर कुछ असर डाले। जनता के प्रतिनिधि जनता की सोच पर निगाह बहुत पैनी रखते हैं। इधर पिछले दिनों बलराज कुंडू पर ईडी की रेड को भी जनता में उसकी सरकार की खिलाफत करने का नतीजा माना जा रहा है। इसी प्रकार सोमबीर सांगवान के एमएलए हॉस्टल के किराये पर जबरदस्त पैनल्टी भी इसी नजर से देखी जा रही है और रोहतक में गरिमा टाइम्स तथा मुख्यमंत्री के खास मनीष ग्रोवर द्वारा एफआइआर को भी इसी दृष्टि से देखा जा रहा है। अर्थात यह कहा जा सकता है कि जनता में यह संदेश है कि हरियाणा सरकार विधायकों को उनके विरूद्ध जाने के अंजाम से अवगत करा रही है। अभी हरियाणा में मंत्रीमंडल विस्तार भी होना है, चेयरमैन भी मनोनीत होने हैं तो भाजपा नेताओं के मन में यह भी भाव हैं कि जितनी इस समय हम मुख्यमंत्री और नरेंद्र मोदी की भक्ति दिखाएंगे, उतना ही हमारे पद पाने की संभावनाएं बढ़ेंगी। वर्तमान हरियाणा सरकार जनता की चुनी हुई कम लगती है और मोदी की चुनी हुई अधिक। क्योंकि मुख्यमंत्री खट्टर भी मोदी की पसंद हैं, पहली दफा ही विधानसभा में पहुंचे थे और प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ तो कहते ही हैं कि हरियाणे की आस-मोदी जी का खास। और मोदी जी के उत्थान की राह भी हरियाणा से ही निकलती है। अत: इन बातों को देखते हुए यह कहना अनुचित नहीं लगता कि मोदी और शाह की पूरी नजर है इस अविश्वास प्रस्ताव पर और इनकी योग्यता पर हमें भरोसा करना चाहिए कि अविश्वास प्रस्ताव अवश्य गिर जाएगा। Post navigation महिला दिवस पर विधानसभा सदन की कार्यवाही का संचालन महिला सदस्य करेगी तुरंत पर तुरंत प्रभाव से 5 आईएएस और 14 एचसीएस अधिकारियों के तबादले