– मोशा (मोदी- शाह) ने 75 वर्ष से अधिक आयु वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध वाला नियम इसलिए बनाया कि आडवाणी जोशी को ठिकाने लगा सके । – भाजपा काऊ-बेल्ट में तो कहती है गाय हमारी माता है और दक्षिण एवं पूर्वोत्तर भारत में कहती है हम बीफ की कमी नहीं होने देंगे ।– बाजपेई ने राजधर्म का पाठ पढ़ाते हुए मोदी को मुख्यमंत्री पद से हटाना चाहा था लेकिन आडवाणी ही डाल बन गए, भविष्यदृष्टा थे स्वर्गीय अटल जी।– अब नियम बनाने वाले को अपने ही नियम से खतरा है (70 पार कर चुके फकीर को टेंशन है) तो येद्दयुरप्पा के बाद मेट्रोमैन का सीएम उम्मीदवार बनाना प्लस पॉइंट हो सकता है।-‘प्रधानसेवक टिल डेथ’ का सपना देख रहा है । – राजा राजा राजा, जाके गुफा में समाजा’ अशोक कुमार कौशिक नए वाले चन्द्रगुप्त और चाणक्य का सपना कांग्रेस मुक्त भारत करना था , और हालात ये की एकहि बार पूर्ण बहुमत से उनके पार्टी की सरकार ही बनी थी बस । और ओ भी कितने झाल झपेट के बाद बनी थी। सामने तैंतालीस चौआलिस साल का युवा पीएम पद के लिए उम्मीदवारी पेश कर रहा था और इधर जोश के नाम पर बैचलर बूढ़े राम नाम की क्रांति घोल रहे थे । अब बताइये न जिस देश की पचास फीसदी से ज्यादा वोटर्स युवा हों वहाँ इन बेचारो से भारत की कांग्रेस मुक्ति तो दूर खुद तेहरी अंक पहुंचने में भी स्थिति डामाडोल थी । और संघी लेनिन ने जो अपने पूर्वज मुखर्जी के हमराही जिन्ना पर चादर चढ़ाकर देश मे गंध फैलाई थी सो अलग । तो हम और आप से ज्यादा उस वाले फ़क़ीर को साइड करने की फिक्र इस वाले फ़क़ीर को ज्यादा थी । ऐसा मैं नही बल्कि आज की ताजा सुर्खियां बता रही हैं । निःसन्देह ये भाजपा का शानदार फैसला है। लेकिन केरल में मेट्रो-मैन श्रीधरन को भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी बनाया जाना ठीक वैसे ही है, जैसे भाजपा काऊ-बेल्ट (उत्तर-भारत/हिंदी-पट्टी) में तो कहती है गाय हमारी माता है। और यही भाजपा दक्षिण एवं पूर्वोत्तर भारत में जा कर कहती है हम बीफ की कमी नहीं होने देंगे । (बीफ मन्ने गौमांस ही पढ़ें/समझे भैंसे पाडे बकरे वाला ज्ञान अपने पास रखें) । केरल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने मेट्रोमैन ई श्रीधरन को भाजपा का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया है । श्रीधरन की आयु 88 वर्ष है जबकि मोदी जी ने कहा था भाजपा में 75 वर्ष से अधिक आयु वाले नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में होना चाहिए। लेकिन आप सोचोगे फिर सिर्फ ये न्यूज़ बताने के लिए हमने ऊपर में उतनी लम्बी भूमिका क्यों बांधी ? रेट्रो मैन और मेट्रो मैन का कैसा संबंध ? संबंध है ! आडवाणी और जोशी को उन्नीस के चुनाव के पहले और बाद में उन्ही के पार्टी की ऒर से जिस तरह नजरअंदाज किया गया, उसका कारण इनकी उम्र थी । एक नया फार्मूला सेट हुआ । 75 के ऊपर के किसी भी नेता को पार्टी और मंत्रिमंडल में उचित जगह नही मिलेगी । भाजपा में आडवाणी की गांधीनगर (गुजरात) व मुरलीमनोहर जोशी कानपुर (उत्तरप्रदेश) से लोकसभा टिकिट 2019 में महज़ इसलिए काटी गयी थी कि ये दोनों नेता 75 वर्ष से अधिक आयु के हो चुके थे।लोकसभा अध्यक्षा सुमित्रा ताई की भी इंदौर (मध्यप्रदेश) से लोकसभा टिकिट 2019 में महज़ इसलिए काटी गयी क्योंकि वो 75 वर्ष से अधिक आयु की हो चुकी थी। किल टू बर्ड्स विथ वन स्टोन। अब सबसे बड़ा एक ही सख्श था, दोनो चिड़ियों को मारने वाला ओ पत्थरबाज । थ्योरी बनी तो बस स्पेशल टास्क निपटाने के लिए थी लेकिन कुछ फॉर्मेलिटीज भी निभानी थी, क्योंकि बन्दा वैज्ञानिक भी है उसे एक्सपेरिमेंट बड़ी जोड़ की आती है।लपेटे में कलराज मिश्र और नजमा हेपतुल्ला भी आएं ।अमित शाह की प्रतिद्वंदी आनंदीबेन पटेल को भी इस उम्र सीमा की दुहाई देकर गुजरात से मुख्यमंत्री की कुर्सी छुड़वाई गयी । अटल सरकार के जानदार मंत्री रहे यशवंत चचा को भी इसी थ्योरी से अडवाणी बनाया गया। आडवाणी और जोशी की भाजपा में क्या अहमियत है या थी यह सबको मालूम है । (75 वर्ष से अधिक आयु वाले तमाम सांसदों की टिकिटें काटी गयी थी 2019 में) राजस्थान विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने 75 वर्ष से अधिक आयु वाले नेताओं/विधायकों की टिकिटें काट दी थी और सम्भवतः दूसरे राज्यों में भी ऐसा किया ही होगा। फिर अब केरल में 88 वर्षीय श्रीधरन को भाजपा ने अपना मुख्यमंत्री क्यों बनाया ? चाटुकार व जॉम्बी एवं विवेकहीन बौद्धिक पिशाच इसमें भी ढ़ेर कूटनीति एवं मास्टरस्ट्रोक बतला देंगे बजाय अपने नेतृत्व के दोगलापन पर उस नेतृत्व से सवाल करने के । वेमुल्ला व उन्ना दलित आंदोलन के बाद दलितों में भाजपा के प्रति उपजे असंतोष के कारण या उस असंतोष को दूर करने भाजपा ने रामनाथ कोविंद को देश का राष्ट्रपति बनाया था जबकि इन्हीं कोविंद को भाजपा ने 2014 में कानपुर देहात (उत्तरप्रदेश) से लोकसभा की टिकट देने से मना कर दिया था । राष्ट्रपति पद के लिये भाजपा के पास आडवाणी जोशी से बेहतर विकल्प कोई हो ही नहीं सकता था । इन दोनों ने अपनी मेहनत परिश्रम पसीने से भाजपा को सींचा था ।इन दोनों में से किसी एक को राष्ट्रपति व दूसरे को उपराष्ट्रपति बनाकर यथोचित सम्मान दिया जाना चाहिए ही था । सम्भवतः अब मैं जहां तक समझ पा रहा हूँ मोशा (मोदी शाह) वाली भाजपा ने 75 वर्ष से अधिक आयु वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध वाला नियम इसलिए बनाया होगा कि आडवाणी को ठिकाने लगा सके । जोशी को ठिकाने लगा सके। आडवाणी जोशी कैम्प को ठिकाने लगा चुके। (और सबको ठिकाने लगा भी चुके) । भारतीय जनता पार्टी की शक्ति के केन्द्र आडवाणी व जोशी भी आज केरल के मुख्यमंत्री पद के लिए श्रीधरन का नाम सुन कर अपनी 2001 वाली गलती पर अफसोस कर रहे होंगे । जब अटल जी ने राजधर्म का पाठ पढ़ाते हुए मोदी को मुख्यमंत्री पद से हटाना चाहा था लेकिन आडवाणी ने यह पद बचा लिया था । शायद भविष्यदृष्टा थे स्वर्गीय अटल जी। नियम तब तक नियम है , जब तक नियम बनाने वाले को उस नियम से कोई खतरा नही हो । जैसे तैसे दुबारा बीजेपी में लौटने वाले चालबाज येद्दयुरप्पा पर ये नियम लागू नही होना था । 75 पार होने के बावजूद भाजपा ने 2018 के चुनाव में उन्हें कर्नाटक सीएम पद का उम्मीदवार बनाया। इसके बाद आडवाणी और जोशी को जोर का धक्का लगा होगा । हां जोशी को थोड़ी तेज लगी होगी क्योंकि वैसे भी ‛दंगे का हिमायती’ ‛मौत के सौदागर’ के नीचे काम करने वाला था नही । आज 88 साल के श्रीधरन को बीजेपी ने केरल में सीएम उम्मीदवार बनाने की जो घोषणा की है, इससे साफ प्रतीत होता है कि नियम बनाने वाले को अपने ही नियम से खतरा है । उम्र 70 पार कर चुकी है, फ़क़ीर टेंशन में हैं । येद्दयुरप्पा के बाद मेट्रोमैन का सीएम उम्मीदवार बनाना प्लस पॉइंट हो सकता है । हां यहां थोड़ी बहुत आलोचना हो सकती है , मगर 4 साल बीतने तक सब कॉमन ही हो जाना है । इसलिए हंगामे करने के लिए मोहरे खड़े कर दिए गए हैं । अगर नियम बनाने वाला सचमुच इस नियम को खुद पे अमल करें तो फिर नेहरू के 16 साल तक प्रधानमंत्री रहने का रिकार्ड कौन तोड़ेगा। स्टेडियम पे नाम लिखा ही गया है , अब कुछ योजनाएं,पुरस्कार और यूनिवर्सिटीज के नाम बदलकर खुद का कर लें तब ही बात बनेगी । हां नाम बदलेंगे क्योंकि बनाने के नाम पर तो इन्हें बस भक्तो को चुटिया बनाने आते हैं। तो झूठ-मुठ के फालतू नियम तले अपने सारे रोड़ो को साइड करके बन्दा अब एकदम ‛प्रधानसेवक टिल डेथ’ का सपना देख रहा है । हाँ भूल गयें, अटल सरकार के जानदार मंत्री रहे यशवंत चचा को भी इसी थ्योरी में बझाकर अडवाणी बनाया गया है । विधानसभा चुनाव के समय जब ओ बिहार आए तो पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आखिर बेहाए चेहरे क्वालिफाइड नेताओ को साइड करने के तकरीर देने के बाद और क्या कहते हैं ? ‛राजा राजा राजा, जाके गुफा में समाजा’ये उनका जवाब था । Post navigation विद्रोह की आवाज़ राजद्रोह नहीं राजनीति : आओ सीखें मुहावरों के नये अर्थ