-कमलेश भारतीय मुहावरे किसी भी भाषा के प्राण होते हैं । कितनी आसानी से बड़ी बात कह जाते हैं । हिंदी में अनेक मुहावरे हैं और हम सब समय समय पर इनका उपयोग करते हैं । आजकल कांग्रेस के राहुल गांधी और भाजपा के प्रकाश जावड़ेकर के बीच इन मुहावरों की जंग छिड़ी हुई है । राहुल गांधी ने फिल्म कलाकारों पर मारे गये छापों पर ट्वीट किया -उंगलियों पर नचाना -केंद्र सरकार आयकर विभाग , ईडी , सीबीआई के साथ ये करती है यानी उंगलियों पर नचाती है । भीगी बिल्ली बनना-यानी केंद्र सरकार के सामने मित्र मीडिया । खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे- यानी किसान समर्थकों पर रेड करवाना । यह तो रहे कांग्रेस के राहुल गांधी के मुहावरों के नये अर्थ और संदर्भ । अब जरा भाजपा के प्रकाश जावड़ेकर के नये संदर्भ देखिए । सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली । यानी आपातकाल में मीडिया पर अंकुश लगाने वाली कांग्रेस आज मीडिया की आज़ादी पर हमें ज्ञान देने चली है । रंगा सियार -यानी सबसे ज्यादा साम्प्रदायिक पार्टी कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष होने का ढोंग कर रही है । सपा से भाजपा के प्रवक्ता बने गौरव भाटिया पीछे क्यों रहते? वे बोल रहे हैं कि मोदी सरकार ने जांच एजेंसियों को पूरी आजादी दे रखी है । बाॅलीवुड की कोई हस्ती एजेंसियों के निशाने पर नहीं है । कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए संस्थाओं को बर्बाद कर दिया । और अब विपक्ष को बदनाम करने का प्रयास कर रही है । एजेंसियों को खुली छूट जरूर है पर विरोधियों पर एक्शन लेने की । कंगना पर क्या किया ? पनामा पेपरलीक कहां गये, सलमान खान हिरण के मामले में कानून के चलते बरी ? मित्रो । पहले एक ही तोता माना जाता था -सीबीआई । अब ईडी भी इसमें जोड़ दिया गया है । नशा मुक्ति बोर्ड ने भी कमी नही छोड़ी । फिल्मी दुनिया में सुशांत सिंह राजपूत का केस इसी के बहाने रफा दफा किया गया । अब किसी को याद भी नहीं कि सुशांत के साथ क्या हुआ था । कितनी मारामारी मची और निकला खोदा पहाड़ और चुहिया भी नहीं । यही बात आपातकाल में मीडिया पर अंकुश लगाने की तो जो घोषित अंकुश था , वह अब अघोषित है । कोई फर्क नहीं । बस । इल्जाम सिर पर नहीं दे सकते । साम्प्रदायिकता का या धर्मनिरपेक्षता का ढोंग दोनों तरफ जारी है । यदि प्रियंका गांधी कुंभ या अमावस्या स्नान करे तो साम्प्रदायिक और यदि योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रिमंडल के साथ गंगा जी में डुबकी लगायें तो महापुण्य । गंगा तो वही है और गंगा स्नान भी पर व्याख्या और नज़रिये में थोड़ा फर्क है । गंगा तो सबके पाप हरती है । इनके भी हरे । राहुल गांधी मंदिर में जाये तो रजिस्टर दिखाओ कि क्या लिखा और आप जायें तो सब दंडवत् । नहीं क्या ऐसा ? राहुल का मंदिर जाना झमेला और आपका किसी गुफा में बैठना एक बड़ी तपस्या । कमाल । ये नये अर्थ हिंदी को समृद्ध कर रहे हैं और,आने वाले समय में भी कुछ नये अर्थ खुलेंगे । Post navigation युवाओं को स्वास्थ्य , शिक्षा व अपने करियर पर एकाग्र होना चाहिए : नरेंद्र यादव अब जन आंदोलन बन चुका है किसान आंदोलन: अभय चौटाला