4 मार्च 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने हरियाणा में निजी उद्योगों व निजी क्षेत्र में 50 हजार से कम वेतन वाली नौकरियों में हरियाणावी युवाओं के लिए 75 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित करने के भाजपा खट्टर सरकार के कानून को बेरोजगारी से त्रस्त युवाओं की आंखों में धूल झोंकने की नौटंकी बताया। विद्रोही ने आरोप लगाया कि किसान आंदोलन से ध्यान भटकाने जजपा विधायकों को सरकार से बगावत करने से रोकने, बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई व संघी सरकार की जनविरोधी नीतियों, खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से ध्यान हटाने के लिए भाजपा सरकार ने निजी क्षेत्र की उन नौकरियों में जिनका मासिक वेतन 50 हजार से कम है, वहां हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत नौकरियां देने का कानून बनाया है। इस कानून में भी उद्योगपतियों व निजी क्षेत्रों के मालिकों को यह अधिकार दिया है कि यदि उन्हे योग्य युवक नही मिलते है तो सरकार की अनुमति से वे बाहर के लोगों को भी नौकरी देने को स्वतंत्र है। विद्रोही ने कहा कि एक ओर हरियाणा भाजपा सरकार प्रदेश के युवाओं को निजी क्षेत्र की 75 प्रतिशत नौकरियां देने का लालीपोप थमा रही है, वहीं पिछले चोर दरवाजे से धन्ना सेठों को हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत नौकरियां देने के कानून की उपेक्षा करने का भी रास्ता खोल रही है। इस कथित कानून से बेरोजगारों को रोजगार नही मिलेगा, पर उद्योगपतियों व धन्ना सेठों को योग्य व्यक्ति नही मिले, यह एनओसी देने के लिए संघीयों व सरकारी अधिकारियों को रिश्वत में रूप में मोटी चांदी कूटने का कानूनी लाईसेंस जरूर मिल गया। वहीं सबसे बड़ा सवाल यह है कि नौकरियां कहां है? कभी पूरे देश के बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए विख्यात हरियाणा आज बेरोजगारी दर में देश का नम्बर वन सिरमौर राज्य है। जब प्रदेश में बेरोजगारी दर 30 से 33 प्रतिशत हो तो रोजगार मिलना ही मुंगेरीलाल का हसीन सपना है। विद्रोही ने कहा कि वैसे भी उक्त कानून न्यायालय की स्क्रूटनी पर खरा नही उतरने वाला। जिन राज्यों में निजी क्षेत्र व उद्योगों में स्थानीय नौकरियों में आरक्षण देने का प्रावधान वाला कानून बनाया है, ऐसे कथित कानून को सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट ने स्ट्रक डाऊन कर दिया। हरियाणा में युवाओं को 75 प्रतिशत नौकरियां देने के आरक्षण का भी वहीं हश्र होना है। न्यायालय में इस कानून को चुनौती देते ही इसका रद्द होना तय है। वहीं सुुप्रीम कोर्ट एससी, एसटी व ओबीसी वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण के संदार्भ में रूलिंग दे चुका है कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नही हो सकती। विद्रोही ने सवाल किया कि जब सरकारी नौकरियों में ही कोई भी सरकार 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नही दे सकती है तो निजी उद्योगों में 75 प्रतिशत आरक्षण तो दूर की बात है, एक प्रतिशत आरक्षण भी नही दिया जा सकता क्योंकि संविधान में ऐसे आरक्षण का कोई प्रावधान नही है। वैसे भी हरियाणा कांग्रेस राज में प्रदेश में नये लगने वाले उद्योगों में प्रदेश के 75 प्रतिशत युवाओं को ही रोजगार देने पर ही उद्योगपतियों को विभिन्न राहते देने का कानून मौजूद है जिसका आज तक पालन नही हुआ तो फिर नयेे आरक्ष्ण कानून का पालन हो सकेगा, यह आशा ही मृगतृष्णा है। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा भाजपा सरकार द्वारा निजी क्षेत्र में 50 हजार रूपये से कम वेतन वाली 75 प्र्िरतशत नौकरियों का कथित कानून युवाओं को ठगने का एक नया जुमला है और एक भी हरियाणवीं युवा को इस कानून के तहत कहीं भी नौकरी मिलने से रही। Post navigation भारत सरकार ने करनाल में एक महत्वाकांक्षी परियोजना ‘कॉमन फैसिलिटी सैंटर’ स्थापित करने की योजना को मंजूरी महामहिम राज्यपाल से मिले उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला