1857 में अंबाला और हरियाणा के योगदान को किया जाएगा प्रदर्शित चंडीगढ़।- मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मार्गदर्शन में अंबाला कैंट में बन रहा वार मेमोरियल राष्ट्रीय स्तर का होगा। इसमें हरियाणा और खासकर अंबाला के लोगों का 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को विशेष रूप से प्रदर्शित किया जाएगा। हरियाणा के मुख्य सचिव विजय वर्धन ने आज इसी संबंध में इतिहासकारों के साथ बैठक करते हुए कहा कि इस वार मेमोरियल को इस तरह से तैयार किया जाए जिसमें आने वाला हर व्यक्ति ना केवल ये जान पाए कि 1857 का संग्राम सबसे पहले मेरठ से नहीं अंबाला कैंट से शुरू हुआ था बल्कि वो उस वक्त के ऐतिहासिक लोकगीत और प्रचलित पोशाक और हथियारों के विषय में भी जानकारी प्राप्त कर सके। मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस वार मेमोरियल को एक ऐसा रूप देना चाहते हैं जिससे आने वाले कई सालों तक हमारी पीढिय़ां 1857 की क्रांति, हमारे शहीद और उस वक्त में हरियाणा के लोगों के योगदान को समझ सके। मुख्य सचिव ने कहा कि बहुत सारे लोग यह मानते हैं कि 1857 की लड़ाई मेरठ से शुरू हुई थी जबकि उससे कुछ वक्त पहले ही 10 मई 1857 को अंबाला कैंट में यह लड़ाई शुरू हो चुकी थी। जिसका प्रमाण 10 मई 1857 को ब्रिटिश सरकार का भेजा गया टेलीग्राम है जिसे अंबाला कैंट में बनने वाले वार मेमोरियल में सहेज कर रखा जाएगा। इस मौके पर बहुत सारे इतिहासकारों ने भी अपने- अपने विचार इस वार मेमोरियल को लेकर दिए ।इसके अलावा मुख्य सचिव ने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि उस वक्त कौन -कौन से लोकगीत हरियाणा में आम लोगों के अंदर स्वाधीनता की भावना पैदा कर रहे थे उनको फिर से जीवित किया जाए । इसके अलावा उस वक्त कि ऐतिहासिक सडक़ों का प्रतिरूप भी इस तरह से बनाया जाए कि आम आदमी भी उन सडक़ों पर घूमने जैसा अनुभव कर सकें। हरियाणा आर्काइव विभाग के निदेशक की तरफ से भी कुछ उर्दू के वह खत जो उस वक्त के राजाओं ने भेजे थे वह भी उपलब्ध कराए गए । जिनको अंग्रेजी और हिंदी में अनुवाद करके उपलब्ध कराने के लिए मुख्य सचिव की तरफ से आदेश दिए गए हैं इतिहासकारों का यह मत था कि यह वार मेमोरियल जब तक लोगों के साथ नहीं जुड़ पाएगा जब तक कि हम सही सूचनाएं और उस वक्त की सच्ची तस्वीर लोगों तक ना दिखा पाए। मुख्य सचिव श्री विजय वर्धन कहा कि वार मेमोरियल के अलग-अलग हिस्सों और वहां पर होने वाले अलग अलग कार्यों के लिए कमेटी और सब कमेटी जल्दी ही बनाई जाए ताकि इसका क्रियान्वयन जल्द से जल्द किया जा सके। इस मौके पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के महानिदेशक डा.अमित अग्रवाल, भारत सरकार के पुरातत्व विभाग की तरफ से डॉ संजय मंजुल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ,कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के पूर्व विभागाध्यक्ष केसी यादव ,द्रोपदी ड्रीम ट्रस्ट की चेयरपर्सन नीरा मिश्रा, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी प्राचीन इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष अरुण केसरवानी ,महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष जयवीर धनखड़ ,एसडी कॉलेज अंबाला कैंट के पूर्व विभागाध्यक्ष उदयवीर सिंह, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी म्यूजियम के इंचार्ज प्रोफ़ेसर महासिंह पूनिया और विरासत ए खालसा आनंदपुर साहिब पंजाब के इंचार्ज पुष्पजीत सिंह भी उपस्थित थे। Post navigation भव्य रूप में होगा खेलो इंडिया म्युचुअल ट्रांसफर कराने के इच्छुक जेबीटी शिक्षकों की कार्रवाई के निर्देश