दोहली संर्घष समिति के साथ जोगी सामाज ने भी कसी कमर.
दोहली भूमि सन 1862, 1865, 1877 और इससे पूर्व भी दी गई.
भूमि बिना शर्त व बिना लगान पुण्यार्थ कार्यों के लिए दी गई

फतह सिंह उजाला
पटौदी। 
दोहलीदार, भौडेदार, बूटीमार, बसीखोपोस, सौंजीदार, मकरींदार लोगों को दी गई दोहली की भूमि को वापिस लेने के सरकार के तुगलकी कानून के खिलाफ दोहली संर्घष समिति के साथ जोगी सामाज ने भी   मैदान में उतरने की तैयारी में जुट गया है। पूर्व जिला पार्षद भीम सिंह राठी,  दोहली संर्घष समिति के चेयरमैन राजबीर शर्मा सैहदपुर, संस्थापक कृष्ण पंडित पातली का कहना है कि अपने हक हकूक की जंग लडने का सबका हक है। दोहलीदार अपने हक की लडाई के लिए बडे से बडा बलिदान दे सकते है।

विश्वव्यापी कोरेना महामारी के कारण तैयार किए गए आंदौलन की रुप को कुछ समय के लिए विराम दे दिया था। जल्द ही इस अभियान को उर्जा देने के लिए जन जागरण अभियान शुरु किया जाएगा। उन्होंने बताया कि दोहली भूमि समाज के भूमिहीन तबके को सन 1862, 1865, 1877 और इससे पूर्व भी दी गई थी। जो कि कुछ स्थानों पर दोहली भूमि किसी विशेष प्रयोजन हेतु दी गई। तथा कुछ स्थान पर दोहली भूमि बिना किसी विशेष प्रयोजन , शर्त व बिना लगान पुण्यार्थ कार्यों के लिए समय समय पर दी गई है। कुछ स्थान पर शामलात पटटी में से दोहलीदारों को दी गई। जो कि शामलात पटटी की भूमि पर दोहलीदार अरसा करीब 150 साल पहले अधिक समय से खानाकाश्त में बतौर दोहलीदार दर्ज है। उन्होंने बताया कि पंजाब ग्राम शामलात भूमि अधिनियम 1961 की धारा 4 की उप धारा 3 में शामलात पटटी की भूमि जिस दोहलीदार खानाकाश्त में दर्ज है। किसी लागू अधिनियम इकरारनामा , दस्तावेज, रिवाज या परम्परा या किसी भी अदालत या शक्ति के आदेश दर्ज किसी विपरीत बात के होते हुए किसी भूमि के समस्त अधिकार, मलकीयत और लाभ जो भी हो। भूमि गांव की शामलात देह में शामिल हो और वह शामलात कानून अधीन किसी पंचायत के अधिकार क्षेत्र में न हो वह भूमि इस अधिनियम के लागू होते ही उस गांव के लिए गठित पंचायत के अधिकार में आ जाएगी।

उन्होंने बताया कि यदि किसी ऐसे गांव में पंचायत गठित न हुई हो तो पंचायत बनने के बाद ऐसी सारी भी उस पंचायत के अधिकार में आ जाएगी। जो भूमि उस गांव की आबादी देह के अंदर या बाहर स्थित है और उस पर किसी गैर मालिक का घर बना हुआ है, शामलात कानून के लागू होने पर उस गैर मालिक की मलकीयत होगी। जो भी भूमि शामलात कानून के अधीन पंचायत के अधिकार में है, इस अधिनियम के अधीन वह पंचायत की मलकीयत मानी जाएगी। उन्होंने बताया कि उप धारा 1 की खंड क और उप धारा 2 में दर्ज उन व्यक्तियों के वर्तमान स्थाई अधिकार, मलकीयत तथा लाभ जो बेशक महकमा माल के रिकार्ड में काश्तकार दर्ज नहीं है। परंतू रिवाज के तौर पर या अन्य तौर से जैसे कि दोहलीदार, भौडेदार, बीमार, बसीखोपोस, सौंजीदार, मकरींदार जो नियम व धाराओं के अनुसार दोहलीदार, भौडेदार खानाकाश्त में दर्शाय गए है वह पंचायत में शामिल नहीं हो सकते।

उन्होंने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय पंजाब एंड हरियाणा चंडीगढ ने अपने फैंसले वा अनुवान जीता व अन्य बनाम ग्राम पंचायत खेरली जीता व अन्य में वर्ष 2012 में फैंसला किया कि वह भूमि जिस दोहलीदार, भौडेदार है वह भूमि पंजाब ग्राम शामलात भूमि अधिनियम 1961 के अनुसार पंचायत में शामिल नहीं हो सकती है। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार माननीय पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने 2008 में एक अन्य केस के अपना फैंसला सुनाते हुए कहा था कि वह भूमि जिस पर दोहलीदार, भौंडेदार है वह भूमि पंजाब ग्राम शामलात भूमि अधिनियम 1961 के अनुसार पंचायत में शामिल नहीं हो सकती है।

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