– आखिर एक भव्य मंदिर बनाने में कितना पैसा लगेगा ?10 करोड़ ? 20 करोड़? 50 करोड़? 100 करोड़ ?– क्या अभी कोई पूछ रहा है कि इतनी बड़ी रकम से क्या करोगे?– क्या किसी ने पूछा कि 1992 में एकत्रित चंदे का क्या हुआ?– 2015 में अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने वीएचपी और इसकी सहयोगी इकाइयों पर राम मंदिर के चंदे को हड़पने का आरोप लगाया था। अशोक कुमार कौशिक अभी राम मंदिर निर्माण को लेकर फिर से चंदाजीवी गांव-गांव घूम रहे है। लक्ष्य रखा है 5000 करोड़ रुपये जुटाने का। राम मंदिर निर्माण का ठेका एल एन्ड टी कंपनी को दिया जा चुका है खर्च राशि का इंतजाम पहले ही हो चुका है। क्या किसी ने पूछा कि 1992 में एकत्रित चंदे का क्या हुआ?क्या अभी कोई पूछ रहा है कि इतनी बड़ी रकम से क्या करोगे?भारत मे भक्ति व आस्था की उपजाऊ जमीन पर बड़ी तादात में चंदाजीवी प्रजाति निवास करती है। यह अमरबेल की तरह होती है। खुद की जड़ें नहीं होती और दूसरों की जड़ों से पोषण प्राप्त करती है।ये परजीवी है और देश की अर्थव्यवस्था पर,देश के विकास पर बोझ बने बैठे है। ढाई एकड़ जमीन है एक एकड़ में 43560 स्क्वेयर फिट होता है , सामान्य निर्माण की कॉस्ट एक हजार रुपये फिट आती है, 11 करोड़ मुरारी बापू दे चुके हैं अम्बानी अडानी ओर अक्षय कुमार तो मुरारी बापू से बढ़ कर ही देने वाले हैं. और कुछ पार्ट तो सरकार का भी रहने वाला है । मतलब निर्माण खर्च से ज्यादा तो चार लोगों से ही आ जायेगा , फिर गरीब जनता से किस नाम का चन्दा मांगा जा रहा है ? आखिर एक भव्य मंदिर बनाने में कितना पैसा लगेगा ?10 करोड़ ? 20 करोड़? 50 करोड़? 100 करोड़ ?लगभग 100 करोड़ के खर्च में एक भव्य मंदिर आसानी से तैयार हो सकता है । आप जानते हैं राम चन्दा गैंग द्वारा कितनी रकम जुटाने का लक्ष्य है । यह लक्ष्य है लगभग 5 हजार करोड़ । क्या करेंगे इतनी रकम का ? यह पूछेंगे तो कोई जवाब नही मिलेगा । कितने स्कूल बनवाएगे?, कितने अस्पताल बनवाएंगे? कुछ नही बता रहे । आप को जानकर आश्चर्य होगा कि भूमि पूजन से पहले तक अयोध्या के राम मंदिर के लिए 41 करोड़ रुपये का चंदा आ चुका था जिसमे कथावाचक मोरारी बापू की भागीदारी 11 करोड़ रुपये की है तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के साथ ही कई अन्य धार्मिक संस्थाएं भी राम मंदिर के लिए आर्थिक सहयोग कर रही है महावीर मंदिर पटना की ओर से दो करोड़ रुपये दिए भी जा चुके हैं। शिवसेना के ओर से भी पांच करोड़ रुपये का आर्थिक सहयोग देने की बात की गई है यानी अब तक 100 करोड़ रुपये तो आसानी से इकठ्ठे हो गए होंगे लेकिन उसके बावजूद पूरे देश में दरवाजे दरवाजे खटखटाकर 10 करोड़ परिवारों से अयोध्या के भव्य मंदिर के लिए चंदा मांगा जा रहा है । क्यो भाई ? किसलिए ? आपको याद होगा कि 1989 में भी इसी तरह से विश्व हिन्दू परिषद की ओर से पूरे देश भर में अभियान चलाकर ऐसे ही चन्दा मांगा गया था, वो चन्दा कहा गया ? आश्चर्य की बात है कि इस बार भी मंदिर के निर्माण के लिए धन एकत्र करने का काम विश्व हिन्दू परिषद को ही सौपा गया हैइस संदर्भ में खोजबीन करने पर यह पता चला कि वर्ष 1990 में विश्व हिंदू परिषद ने प्रेस नोट जारी कर बताया था कि 1989 में मंदिर आंदोलन के लिए 8.29 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। उस दौरान देश भर में गांवों से मंदिर निर्माण के लिए शिलाएं और चंदा एकत्र किया गया था। इस चंदे में से 1 करोड़ 29 लाख खर्च कर दिए गए थे। 1992 में राम मंदिर के लिए वीएचपी ने 1400 करोड़ रुपये व सोने-चांदी की ईंटे चंदे से एकत्रित की थी जिसकी कीमत आज 20 हजार करोड़ रुपये होती है। 2015 में हिंदू संगठन अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) और इसकी सहयोगी इकाइयों पर राम मंदिर के नाम पर मिले चंदे को हड़पने का आरोप लगाया। निर्मोही अखाड़े ने भी जिन्होंने राम जन्म भूमि का केस इतने सालों तक लड़ा उन्होंने भी विहिप पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा था कि विश्व हिन्दू परिषद ने राम मंदिर के नाम पर 1400 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। निर्मोही अखाड़े के संत सीताराम ने कहा था कि विहिप ने राम मंदिर निर्माण के नाम पर घर-घर जाकर ईंट मांगी और पैसा जुटाया। अब तक करीब 1400 करोड़ रुपये जुटाकर संगठन के नेता डकार गए। असलियत हम सब जानते हैं कि उस वक्त यह जो बता रहे हैं उससे कई गुना ज्यादा चन्दा आया था विश्व हिंदू परिषद को उस वक्त हर ओर से भरपूर चंदा मिला। ब्रिटेन और अमेरिका ओर विदेशों में बसे NRI ने उस वक्त विहिप को भरपूर चन्दा दिया था। वर्णिक व्यवस्था अर्थात ब्राह्मण,क्षेत्रीय,वैश्य व क्षुद्र के रूप में समाज चलाने की जद्दोजहद। आपने इस किसान आंदोलन को लेकर एक बात इनकी तरफ से बार-बार सुनी होगी कि “असली किसान तो खेतों में है । “मतलब ट्रेक्टर लेकर दिल्ली के बॉर्डर पर साफ सुथरे कपड़ों में हलुआ-पिज़्ज़ा खाने वाले इनके नजरिये से किसान नहीं हो सकता। सोच साफ है कि किसानों का काम सत्ता की तरफ आना/सवाल करना नहीं है बल्कि जो बताया जा रहा है,व्यवस्था की जा रही है उसको नियति मानकर चुपचाप मिट्टी खोदता रहे। आरक्षण खत्म करने के लिए ये लोग बकायदा आंदोलन चला रहे है। इनका नेतृत्व कई धर्मखोर करते है। ये महंगी गाड़ियों में घूमते है,महंगे मंच व खाने-पीने की फाइव स्टार सुविधा,इन सबके लिए पैसा कहाँ से आता है?धर्मखोर कोई धंधा तो करते नहीं है। धर्मखोरों को संवैधानिक व्यवस्था से क्या मतलब?करें अपनी भक्ति व पड़े रहे जंगलों के किनारे । क्षुद्र ब्राह्मण के साथ कुर्सी पर बैठकर नौकरी क्यों कर रहा है,यह इनके लिए परेशानी का सबब बन चुका है इसलिए इनको हिन्दू राष्ट्र चाहिए और उसके लिए चंदा भी। ब्राह्मण धर्म की वर्णिक व्यवस्था के हिसाब से देश चले इसलिए हिन्दू राष्ट्र का रोग लेकर घूम रहे है। एक जमात ज्ञान की उच्चता का मुफ्त में प्याला पिता रहे,एक जमात इनकी रक्षा के लिए लठैत बनकर रहे,एक जमात निर्मित पूंजी ठगकर इनके लिए ऐशो आराम की व्यवस्था करें,एक जमात सिर नीचा करके चुपचाप इनकी सेवा चाकरी करें,बिना सवाल किए आदेशों का पालन करता रहे।यही इनके हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना है। ब्राह्मणवाद से निर्दयी,निरंकुश,निकृष्ट व्यवस्था न इतिहास में कभी देखी गई और न भविष्य में दुनियाँ देख पाएगी। जो भी अपने हकों की आवाज उठाता है उनके ऊपर सत्ता देशद्रोह का मुकदमा लगाकर अंदर करती है,जो आंदोलन करते है उनके ऊपर धार्मिक संगठनों के गुंडे हमला करते है। सत्ता,न्यायपालिका, मीडिया व पूंजी पर कब्जे को,जो भी चुनौती देता है तो एकत्रित किये चंदे का उपयोग उनके खिलाफ किया जाता है।इनका अघोषित नारा है…तुम हमे चंदा दो हम तुम्हे दंगा देंगे! Post navigation उम्मीदों भरे भारत के निर्माण में नीति, नियत और नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण- संजय धोत्रे कमज़ोर कांग्रेस के बहादुर नेता