अपने बच्चों को अभिभावक मंदिर अवश्य लेकर जाएं.
हमारी प्राचीन सनातन संस्कृति ही विश्व में पहचान.
साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन

फतह सिंह उजाला

पटौदी । बच्चों को शिक्षित और संस्कारवान बनाएं । शिक्षा और संस्कार इन्हीं की बदौलत हम अपनी भारतीय प्राचीन सनातन संस्कृति को जीवित रखने में सफल रहे सकेंगे।  अभिभावकों को इस बात पर भी अवश्य ध्यान देना चाहिए कि अभिभावक मंदिर अवश्य जाएं और साथ में अपने बच्चों को भी लेकर जाएं। बच्चों के साथ मंदिर जाने पर देव दर्शन के साथ-साथ जीवन चरित्र निर्माण में जो कुछ देव स्थान से प्राप्त होगा , उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है । यह बात अनाज व्यवसाय के लिए विख्यात हेली मंडी अनाज मंडी में साप्ताहिक श्रीमद्भागवत गीता के  समापन के मौके पर मानव निर्माण अभियान के प्रमुख प्रचारक सुशील गिरी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देते हुए कही ।

शुक्रवार को श्रीमद्भागवत गीता का विधि-विधान और मंत्रोच्चारण के बीच हवन यज्ञ में आहुतियां अर्पित करने के साथ ही समापन भी हो गया । इस मौके पर मुख्य रूप से सुरेंद्र गर्ग कपूर, चंदूलाल रूस्तगी, मदन लाल अग्रवाल, नरेश कुमार पिंटू , उमेश अग्रवाल, जितेंद्र उर्फ टिल्लू, सुभाष अग्रवाल पहाड़ी, नीरज, अमित गोल्डी, आनंद गोयल, शिव कुमार बंटी, नवीन मिततल बिट्ट, पार्षद योगेंद्र यादव बबली सहित अनेक श्रद्धालु और मातृशक्ति मौजूद रहे। शुक्रवार को श्रीमद् भागवत कथा के समापन से पहले हवन यज्ञ का आयोजन करते हुए 36 करोड़ देवी देवताओं का आह्वान कर विश्व कल्याण, जनमानस की सुख समृद्धि, कोरोना जैसी महामारी से छुटकारा पाने , पर्यावरण की शुद्धि के हितार्थ आहुतियां अर्पित की गई । इस मौके पर मानव निर्माण अभियान के केंद्रीय प्रचारक सुशील गिरी, नरेश गिरी, कृष्णा पुरी ,महंत सेवादार, राजगिरी, महेंद्र, शांतिगिरी , महंत विजय गिरी सहित अन्य साधु संत भी विशेष रूप से मौजूद रहे।

 जनकल्याण का ही संदेश निहित  
श्रीमद् भागवत कथा के वाचक और व्यास गद्दी पर विराजमान रहे पंडित देवेश कृष्ण सचिनदानंद ने श्रीमद् भागवत कथा के संदर्भ में कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता ने जो कुछ भी कहा और भगवान श्री कृष्ण ने जन कल्याण के लिए अपनी अनुपम लीलाओं के द्वारा जो भी संदेश दिया, वह संदेश आज के परिवेश में मानव जाति के लिए श्रेष्ठतम और अनुकरणीय है । ब्रह्मांड में भगवान श्री कृष्ण अथवा ठाकुर जी ही 16 कला संपूर्ण कहलाए हैं । भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला से लेकर कौरव पांडव के बीच हुए युद्ध से भी आगे उनके द्वारा किए गए तमाम कार्यों के पीछे कोई ना कोई जनकल्याण का ही संदेश निहित है। भागवत कथा के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की भागवत कथा में शामिल होने वाले प्रत्येक श्रद्धालु के लिए ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना आवश्यक है । क्योंकि जब तक तन और मन शुद्ध नहीं होगा, किसी भी धार्मिक कथा और अनुष्ठान का परमपिता परमात्मा की तरफ से प्रतिफल भी प्राप्त नहीं हो सकेगा। हालांकि भारतीय सनातन संस्कृति धर्म-कर्म पर ही आधारित है और भगवान श्री कृष्ण का भी यही संदेश है, कर्म किए जा फल की इच्छा मत कर । क्योंकि जो कुछ भी देना है वह भगवान श्री कृष्ण अथवा ठाकुर जी को ही देना है ।

संस्कार सहित शस्त्र की शिक्षा दी जाए  
इस मौके पर आचार्य सुशील गिरि ने तमाम माताओं और अभिभावकों का विशेष रूप से आह्वान किया कि घर में परिवार में धर्म ग्रंथों की अवश्य चर्चा करते हुए उनका पठन-पाठन भी किया जाना बहुत जरूरी है। हिंदू और हिंदुत्व विचारधारा दुनिया में सबसे नरम और सहनशील रही है , लेकिन हमारी इसी सहनशीलता और उदारता का कुछ कट्टरपंथी अनुचित लाभ उठा रहे हैं । जिसे की सीधे-सीधे लव जिहाद भी कहा जा रहा है । यह एक प्रकार का ऐसा षड्यंत्र है कि भारतीय सनातन संस्कृति को किसी न किसी प्रकार से समूल नष्ट किया जाए । समय रहते हम लोग जागृत नहीं हुए तो फिर पछताने के अलावा हमारे पास और हमारे हाथ कुछ भी बाकी नहीं रहेगा । उन्होंने कहा आज समय की जरूरत है की शास्त्रों की शिक्षा के साथ-साथ अपने बच्चों को संस्कार सहित शस्त्र की शिक्षा भी दी जाए। इसका सीधा और सरल तात्पर्य यही है कि बच्चों का आत्मविश्वास, आत्मबल मजबूत हो, शारीरिक रूप से इतने सक्षम बने कि  अपनी आत्मरक्षा भी कर सकें । उन्होंने इस मौके पर विशेष रूप से आह्वान किया कि धरती मां और गाय माता की अवश्य पूजा करें । गो ग्रास अवश्य निकालें, गो ग्रास गाय को देने से 33 करोड़ देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है । श्रीमद् भागवत कथा के समापन पर सभी श्रद्धालुओं विशेष रूप से महिलाओं के द्वारा व्यास गद्दी की परिक्रमा करते हुए आशीर्वाद प्राप्त किया गया और सभी श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का प्रसाद भी वितरित किया गया।

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