हरियाणा किसान यूनियन ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा दे सरकार
किसानों की कर्ज माफी के लिए चलाया जाएगा अभियान

रमेश गोयत

चंडीगढ़। हरियाणा किसान यूनियन ने कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार के विरूद्ध मोर्चा खोलते हुए कहा है कि 26 जनवरी को लाल किले पर हुई घटना की जहां स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से जांच होनी चाहिए वहीं इस मामले में गिरफ्तार किए गए किसानों को बिना किसी देरी के छोड़ना चाहिए। हरियाणा किसान यूनियन के प्रधान रणधीर सिंह रेढू, अर्थशास्त्री प्रो. रघबीर चंद गोयल तथा अध्यात्मविद्ध बलजीत सिंह ईगराह ने चंडीगढ़ में कहा कि प्रधानमंत्री ने आजतक कभी भी किसी अहिंसक प्रजातांत्रिक आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया इसलिए वह किसानों के मन को नहीं समझ सके। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा शांतिपूवर्क आंदोलन कर रहे किसानों को देशद्रोही, खालिस्तानी कहना पूरी तरह से निंदनीय है।

कृषि कानूनों को वापस लिए जाने, गिरफ्तार किसानों को तुरंत रिहा किए जाने, किसान आंदोलन के दौरान अब तक शहीद हुए किसानों को मुआवजा दिए जाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने हरियाणा में कई दिनों तक इंटरनेट सेवाएं बाधित करके आमजन को नुकसान पहुंचाया है। भविष्य में सरकार अगर ऐसी कोई कार्रवाई करती है तो हरियाणा किसान यूनियन इसका कड़ा विरोध करेगी। रेढू ने कहा कि तीन महीने से आंदोलन कर रहे किसान मानसिक दबाव में हैं। जिस कारण वह आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। रेढू ने कहा कि उनका संगठन धरना स्थलों पर जाकर कांउसलिंग का प्रबंध करेगा।

हरियाणा के कृषि मंत्री द्वारा किसानों के विरूद्ध दिए गए बयान को पूरी तरह से गैरजिम्मेवाराना करार देते हुए रेढू ने कहा कि कृषि मंत्री को बिना किसी देरी के मंत्री पद से हटाया जाए। उन्होंने कहा कि हरियाणा किसान यूनियन के कार्यकर्ता बहुत जल्द गांव-गांव जाकर न केवल किसानों को जागरूक करेंगे बल्कि किसानों की कर्ज माफी के लिए भी अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा किसान यूनियन द्वारा बहुत जल्द आईटी सैल का गठन करके किसानों को सोशल मीडिया के साथ जोड़कर न केवल महत्वपूर्ण जानकारियां दी जाएंगी बल्कि संगठन से जुडेÞ वकीलों द्वारा किसानों को मुफ्त परामर्श भी दिया जाएगा।

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