विधानसभा से त्यागपत्र देने के बाद अभय का आत्मविश्वास बढ़ा, दूसरी पार्टी के जाट नेताओं के सामने खड़ी की चुनौती, इनेलो के बदले हालात

ईश्वर धामु

भिवानी। हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से किसानों के बिलों के मुद्दे पर त्यागपत्र देकर इनेलो के प्रधान महासचिव अभय चौटाला अब अलग ही तेवर में नजर आने लगे हैं। इतना ही नहीं महम में अभय चौटाला को मिले सम्मान और कार्यक्रम में मौजूद भीड़ ने जंहा उनमें आत्म विश्वास बढ़ा दिया, वहीं पार्टी पर महम कांड का लगा दाग भी धो दिया। अब सम्भव है कि चौटाला परिवार महम को फिर से अपनी कर्मस्थली बना लें? क्योकि किसी को भी यह अनुमान नहीं था कि अभय चौटाला के सम्मान समारोह में इतनी भीड़ जूट जायेगी।

राजनैतिक चर्चाकार इसको अभय चौटाला का राजनैतिक करिश्मा मान रहे हैं। अब अभय चौटाला जिस जगह भी किसानों के धरानों पर जाते हैं तो उनको भरपूर सम्मान मिल रहा है। जबकि विधायक रहते हुए उनको इतना सम्मान नहीं मिल पा रहा था। अब इनेलो की एक नई लहर ने गति पकडऩी शुरू कर दी है। चर्चाकारों का कहना है कि इनेलो की बदली धारा से अब चुनाव के समय जो नेता पार्टी छोड़ कर चले गए थे, अब घर वापिसी कर सकते हैं। क्योकि अभय चौटाला के विधायक पद से त्यागपत्र के बाद बदली जनभावनाओं का लाभ पार्टी को आने वाले चुनाव में मिलेगा। बदली भावनाओं का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अभय चौटाला को किसान अब उन्ही में अपना भविष्य देखने लगे हैं। कहा जा रहा है कि अब   अगर पार्टी छोड़ कर जाने वाले घर वापिसी कर गए तो यह जेजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। अब इनेलो के नेता भी यह तथ्य जान चुके हैं कि अभय चौटाला के त्याग पत्र के बाद राजनैतिक हालात बदल गए हैं। अगर अभय चौटाला इन्ही हालातों को सम्भाल कर आगे बढ़ाते चले गए तो जेजेपी को उनके गृह जिले में ही चुनौती खड़ी हो जायेगी।

इन राजनैतिक हालातों का प्रभाव इस बार उचाना विधानसभा सीट पर सीधे रूप से पड़ेगा। निसंदेह अभय चौटाला का एकदम से राजनैतिक कद बढ़ा है और उनकी सार्वजनिक छवि भी बदली है। अब वें व्यक्तित्व से गम्भीर नेता नजर आने लगे हैं। इस छवि का लाभ पार्टी को मिलेगा और पार्टी का जनाधार भी बढ़ेगा। चर्चाकार भी अब तो मानने लगे हैं कि अभय चौटाला ने सही समय पर सही कदम उठा कर सभी को अचम्भित कर दिया है। उन्होने एक बार फिर अपनी राजनैतिक क्षमता को सिद्ध कर दिया है। अब जाट वर्ग में अभय चौटाला ने अपनी पैठ पुख्ता करनी शुरू कर दी है। इस तरह से उन्होने कांग्रेस के भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और भाजपा के जाट नेताओं के जाट चेहरें होने के टेग को भी चुनौती दे डाली है। उन्होने त्यागपत्र देकर जाट मतदाताओं में इनेलो के खोए रूतबे को हासिल करने का एक जोरदारा प्रयास कर डाला है। सम्भव है कि आने वाले समय में अगर अभय चौटाला इस धारा को अपने पक्ष में रखने में कामयाब रहे तो आने वाले समय में वें अपने पिता ओम प्रकाश चौटाला का स्थान ले सकते हैं।

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