जींद में बुधवार को किसानों की ”महापंचायत” में भारी भीड़ जुटी. कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार पर दवाब बनाने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी. ‘‘युद्ध में कभी घोड़े नहीं बदले जाते. हम इन्हीं घोड़ों के बल पर किसानों की लड़ाई जीतने में कामयाब होंगे : टिकैत जींद में बुधवार को किसानों की ”महापंचायत”में भारी भीड़ जुटी. कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार पर दवाब बनाने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी. गौरतलब है कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान, देश की राजधानी दिल्ली में नवंबर माह से आंदोलन पर डटे हैं. उनकी ऐसी बैठकें पिछले कुछ दिनों में यूपी में हुई थी जबकि बुधवार को हरियाणा के जाट बहुत जींद में बैठक हुई. बड़ी संख्या में मौजूद किसानों को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने चेतावनी भरे लहजे में केंद्र सरकार से कहा कि यदि कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो उसके लिए सत्ता में बने रहना मुश्किल हो जाएगा.जब टिकैत और अन्य नेता आसीन थे तभी वजन के कारण अचानक स्टेज गिर गया जिसके कारण बैठक कुछ देर के लिए बाधित हुई. हालांकि यूपी के जाट नेता राकेश टिकैत ने लोगों ने इसे लेकर नहीं घबराने की अपील की. महापंचायत में टिकैत ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी के अलावा किसान मानने वाला नहीं है. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, ‘‘ अभी तो किसानों ने सिर्फ कानून वापसी की बात कही है, अगर किसान गद्दी वापसी की बात पर आ गए तो उनका क्या होगा? इस बात को सरकार को भलिभांति सोच लेना चाहिए.” जींद के कंडेला में गांव आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर पुलिस की घेरांबदी को लेकर कहा कि सरकार ने कीलें ठुकवाईं, तार लगवाए, लेकिन ये चीजें किसानों को नहीं रोक पाएंगी. उन्होंने कहा ”राजा जब डरता है तो किलेबंदी करता है. मोदी सरकार किसानों के डर से किलेबंदी करने में जुटी है.” उन्होंने कहा कि यह किलेबंदी एक नमूना है, आने वाले दिनों में गरीब की रोटी पर भी किलेबंदी होगी. टिकैत ने कहा कि किसी भी गरीब की रोटी तिजोरी में बंद न हो, इसीलिए किसानों ने यह आंदोलन शुरू किया है. राकेश टिकैत ने गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर हुई घटना को किसानों को बदनाम करने की साजिश करार दिया और कहा कि जो लोग लाल किले पर गए वो किसान नहीं थे. उन्होंने कहा,‘‘ पिछले 35 साल से किसानों के हित में आंदोलन करते आ रहे हैं. हमने संसद घेरने की बात भी कही थी, लाल किले की बात तो कभी नहीं कही और न ही किसान वहां कभी गए. लाल किले पर जो लोग गए वो किसान नहीं थे. यह किसानों को बदनाम करने के लिए साजिश रची थी.” किसान आंदोनल को लेकर उन्होंने कहा कि उनकी कमेटी का न तो कोई मेम्बर बदला जाएगा और न ही कार्यालय बदला जाएगा तथा जो भी फैसला होगा यही 40 सदस्यीय कमेटी फैसला करेगी.उन्होंने कहा, ‘‘युद्ध में कभी घोड़े नहीं बदले जाते. हम इन्हीं घोड़ों के बल पर किसानों की लड़ाई जीतने में कामयाब होंगे.”टिकैत ने कहा कि अभी सरकार को अक्टूबर तक का वक्त दिया गया है, आगे जैसे भी हालात रहेंगे, उसी मुताबिक आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी. उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने खेत की मिट्टी और पानी की पूजा करें, क्योंकि युवा जब तक खेत की मिट्टी और पानी की पूजा नहीं करेंगे तो उन्हें आंदोलन का अहसास नहीं होगा. Post navigation जींद : मां-बेटे की हत्या कर शवों को घर के आंगन में दफनाया, पुलिस ने JCB से निकलवाया संयम और हौसले से अपने हक की लड़ाई जीतेगा किसान- दीपेंद्र हुड्डा