— मंदीप बिना संसाधनों के लगातार आपकी आवाज़ उठाता है, आज उसे आपकी ज़रूरत है. 

अशोक कुमार कौशिक 

 सत्ता जब खुल कर जनता के ख़िलाफ़ खड़ी हो जाये तब निश्चित दिशा में किये जाने वाले छोटे छोटे सामूहिक प्रयासों से बहुत बड़े नतीजे हासिल किए जा सकते हैं।

  अर्नव गोस्वामी जैसे लोगों के साथ जहां सत्ता पूरी ताकत के साथ खड़ी हो जाती है वहीं आम पत्रकारों को बिना गुनाह के भी जेलों में सड़ाया जाता है। 

बीती रात सिंघु बॉर्डर से दिल्ली पुलिस द्वारा अचानक बहुत बुरी तरह से दबौचे गए पत्रकार मनदीप पुनिया के खिलाफ दिल्ली के अलिपूर थाने में एफ़आईआर दर्ज की गयी है। इसके अलावा इससे पूर्व एक अन्य पत्रकार धर्मेंद्र को भी ठीक इसी प्रकार पुलिस द्वारा दबौचे जाने की सूचना प्राप्त हुई है, जिसे सुबह आज छोड़ दिए जाने की जानकारी मिली। मंदीप पुनिया 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। बेल एप्लिकेशन लगाई गई है। उधर यूपी के रामपुर में ‘ वायर ‘ WIRE के पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन पर भी मुकदमा दर्ज

प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार देर सांय कारवां मैगजीन से जुड़े पत्रकार मनदीप पुनिया व ऑनलाइन सोशल मीडिया पत्रकार धर्मेंद्र जब सिंघु बॉर्डर के समीपवर्ती गांववासियों को पुलिस द्वारा परेशान करने व इन आसपास के गावों के निवासी जो दिल्ली उधौगिक इकाइयों में नौकरियाँ इत्यादि करते हैं उन्हें अपनी ड्यूटियों पर जाने से पुलिस द्वारा रोका जा रहा था और इस उद्देश्य से जानबूझकर परेशान किया जा रहा था कि ये स्थानीय निवासी तंग होकर किसानों के खिलाफ उग्र हों, पुलिस की इस कार्यप्रणाली की की विडियो बना रहे थे पहले पुलिस द्वारा पत्रकार धर्मेंद्र को बुरी तरह दबौचे जाने की ख़बर मिली।

इसके कुछ ही देर बाद पत्रकार मनदीप पुनिया जो कथित तौर पर उस समय पुलिस की दबंगई कार्यप्रणाली की विडियो शूट करते करते पुलिस बैरिकेटस तक पहुंच गया था उसको भी वहीं से पुलिस द्वारा बहुत बुरे तरीक़े से दबौच लिया गया , जिसकी उसी समय विडियो भी वायरल हुई। कहा जा रहा है कि इसके काफी घंटों बाद देर रात पुलिस द्वारा दिल्ली के अलिपूर थाने में दिल्ली के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (एडीसीपी) जे. मीणा ने पत्रकार मनदीप पुनिया के खिलाफ पुलिस के कार्य में बाधा डालने सहित आईपीसी की धाराओं  186, 332 व 353 के अंतर्गत एफ़आईआर न. 52/21 दर्ज करने की बात सोशल मीडिया पर कही है। वहीं इससे पहले पुलिस द्वारा पकड़े बताए गए सोशल मीडिया से जुड़े पत्रकार धर्मेंद्र को रविवार प्रातः 5 बजे छोड़ दिए जाने की सूचना प्राप्त हुई है। मनदीप के साथ हिरासत में लिए गए पत्रकार धर्मेंद्र सिंह को सुबह 5 बजे छोड़ दिया गया है। उनसे एक अंडरटेकिंग ली गई है कि आगे से वो ऐसा कुछ नहीं करेगें. ऐसा माने पुलिस के काम मे बांधा नहीं पहुंचाऊंगा… ।

उधर यूपी के रामपुर में WIRE के पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन पर भी मुकदमा दर्ज हो गया है। आरोप है कि उन्होंने 26 जनवरी को दिल्ली में किसान की मौत की वजह पुलिस फ़ायरिंग बताई थी, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ऐसा नहीं था।

जब गोदी मीडिया का विकल्प नागरिकों ने सोशल मीडिया के रूप में खोज लिया तो सत्ता की वक्र दृष्टि इधर भी पड़ी। खूब सारे चैनल और वेबसाइट गोदी मीडिया की ही तर्ज़ पर खड़े किए गए, बावजूद इसके जनसरोकार के मुद्दों पर बात करने वालों की एक बड़ी संख्या यहां सक्रिय हो गई। तकनीक ने नागरिक पत्रकारिता को सहज बना दिया। बिल्कुल नए लोगों ने  पत्रकारिता के महारथियों को धूल चटाया। लेकिन यहीं पर एक और हमला हुआ, सोशल मीडिया पर ऐसे चैनलों और पेजों को विज्ञापन मिलने या तो कम हो गए या बंद हो गए, फिर भी लोग डटे रहे। अब सोशल मीडिया के ज़रिए पत्रकारिता कर रहे लोगों पर सीधे सत्ता ने हमला करना शुरू कर दिया है। 

अर्नव गोस्वामी जैसे लोगों के साथ जहां सत्ता पूरी ताकत के साथ खड़ी हो जाती है वहीं आम पत्रकारों को बिना गुनाह के भी जेलों में सड़ाया जाता है। 

ऐसे में आप भी एक नागरिक के तौर पर सूचना हासिल करने की प्रक्रिया का हिस्सा बनिये, यह आज की बहुत बड़ी जरूरत है। ये कैसे कर सकते हैं, इसके लिए कुछ सुझाव देता हूँ-

जिन लोगों पर कार्यवाही हुई है/हो रही है, उन्हें कानूनी सहायता दीजिये, ज़रूरत हो तो आर्थिक भी। जो लोग टीम बनाकर बढ़िया पत्रकारिता कर रहे हैं, अगर वो आर्थिक सहयोग के लिए अपील कर रहे हैं तो अपनी ताकत भर उन्हें सहयोग कीजिये। आप पेज़ से, चैनल से जुड़ें और उन्हें देखें सुनें। इतना तो आप कर ही सकते हैं। आपके मोबाइल का डाटा अमूमन आप पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाते, इसे मेरे जैसे लोगों पर ख़र्च कीजिये। आपके पास समय नहीं है तो काम के वक़्त अगर सुना जा सकता है तो ऐसे लोगों के वीडियो चला कर रख दीजिए और सुनते रहिये। 

यकीन मानिए एक 10 मिनट का वीडियो आप तक पहुंचाने में घंटों और कभी कभी कई कई दिनों का समय लगता है। 

मंदीप की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाइए। जो लड़का बिना संसाधनों के लगातार आपकी आवाज़ उठाता रहा है, आज उसे आपकी ज़रूरत है। आप आगे नहीं आए तो एक-एक कर ऐसी सभी आवाज़ें दबा दी जाएँगी।

सत्ता जब खुल कर जनता के ख़िलाफ़ खड़ी हो जाये तब निश्चित दिशा में किये जाने वाले छोटे छोटे सामूहिक प्रयासों से बहुत बड़े नतीजे हासिल किए जा सकते हैं।

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