30 जनवरी 2021 – राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 73वें बलिदान दिवस पर स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने स्थानीय गांधी चौक पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पाजंली अर्पित करके उन्हे अपनी भावभीनी श्रद्घाजंली अर्पित की। कपिल यादव व अजय कुमार ने भी अपने श्रद्घासुमन बापूजी को अर्पित किए। इस अवसर पर विद्रोही ने कहा कि 73 वर्ष पूर्व जिस साम्प्रदायिक विचारधारा ने हमसे हमारे प्रिय बापूजी को छीन लिया था, वह साम्प्रदायिक व फासिस्ट विचाराधारा लगातार 73 वर्षो से देश व समाज में साम्प्रदायिकता का जहर फैलाकर उसे बाटने व तोडऩे का कुप्रयास कर रही है। बापूजी के बलिदान दिवस पर हर देशवासी का कर्तव्य है कि वे संकल्प ले कि बापू जी के दिखाये गए सत्य, अहिंसा एवं सत्याग्रह के रास्ते पर चलकर देश में सामाजिक सदभाव के लिए काम करके किसी भी हालत में साम्प्रदायिक शक्तियों को देश का सदभाव बिगाडऩे नही देकर ही हम बापूजी को सच्ची श्रद्घाजंली दे सकते है। विद्रोही ने कहा कि महात्मा गांधी ने भारत को आजाद करवाकर पूरी दुनिया को सत्य, अहिंसा व सत्याग्रह की ताकत का एहसास करवाया। बापू जी ने आजादी आंदोलन में देश में जो विचारधारा पैदा की थी, वही भारत की असली ताकत है। गांधी जी के दिखाये रास्ते पर ग्राम स्वराज्य के रास्ते पर चलकर ही मजबूत भारत का निर्माण किया सकता है जो पूरी दुनिया को एक नई दिशा देकर आपसी भाईचारे व सामाजिक सदभाव से मिलजुल कर रहने का रास्ता दिखा सकता है। बापूजी का सभी धर्मो के समान आदर व सामाजिक सदभाव की भावना से ही देश में धार्मिक उन्माद व उसके कारण पैदा हुए आतंकवाद का सफाया किया जा सकता है। विद्रोही ने कहा कि बापूजी के बलिदान दिवस पर धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक सदभाव व समाज के अंतिम आदमी की भलाई के लिए काम करने का संकल्प लेना हर देशवाासी का कर्तव्य है। वहीं हम यह भी संकल्प ले कि धार्मिक उन्माद, जातिवाद, क्षेत्रवाद, आतंकवाद, भ्रष्टाचार, असमानता, भेदभाव, अशिक्षा व सामाजिक बुराईयों के खिलाफ मिलकर लड़े व समतामूलक समाज की स्थापना के लिए काम करे। विद्रोही ने कहा कि जिस तरह 73 वर्ष पूर्व साम्प्रदायिक उन्मादी फासीस्ट ताकतों ने गांधीजी की सुनियोजित षडयंत्र के तहत हत्या की थी, आज वे ही फासीस्ट ताकते सत्ता मिलने पर संविधान, लोकतंत्र व विरोध के अधिकार की भी हत्या करके देश में लोकतंत्र के नाम पर फासीजम थोपने पर उतारू है। जिस तरह तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों को बदनाम करने के लिए सत्ता दुरूपयोग से षडयंत्र करके दिल्ली में हिंसा करवाई और उसका सारा ठीकरा किसानों पर फोडकर उन्हे पुलिस व पैरामिल्ट्री के बल पर दिल्ली बार्डर से हटाने का कुप्रयास चल रहा है, वह बताता है कि देश में किस तरह लोकतंत्र व विरोध के अधिकार को छीना जा रहा है। यदि देश के नागरिकों ने आज महात्मा गांधी के बलिदान दिवस पर संकल्प करके ऐसी ताकतों को सत्ता से नही उखाडा तो आने वाले दिनों में भारत का लोकतंत्र केवल किताबों में रह जायेगा। Post navigation किसान आंदोलन…गांधी की अहिंसा को समर्पित आज अन्नदाता का अनशन एन.एच 48 पर शाहजंहापुर की तरफ रात्रि में यात्रा से बचे