धर्मपाल वर्मा

चंडीगढ़ – हरियाणा के जिन लोगों को राजनीति में गहरी रुचि है वे अभी 26 जनवरी की इंतजार इसलिए भी कर रहे हैं कि सरकार में और किसान नेताओं में कोई सहमति होती है या नहीं ।उसके बाद यदि हल नहीं निकलता तो उनकी रूचि अभय सिंह चौटाला के त्यागपत्र में हो जाएगी ।यद्यपि ऐसे सभी लोग अभी से पक्के तौर पर यह मानकर चल रहे हैं कि 27 जनवरी को अभय सिंह चौटाला ने चंडीगढ़ जा कर विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर अपना त्यागपत्र मंजूर करवा करके आना है ।

जाहिर सी बात है उसके बाद 6 महीने के अंदर अंदर ऐलनाबाद में उपचुनाव होगा और उस उपचुनाव को लेकर बहुत लोगों की यह राय बनी हुई है कि अभय सिंह 2009 के उपचुनाव की तरह यह उपचुनाव भी जीत जाएंगे । इनके परिवार ने राज्य में लगभग 10 उप चुनाव जीते हैं ।इनमें रोड़ी सिरसा एलनाबाद नरवाना आदि प्रमुख हैं।

कई चीजें अभी से बहुत लोगों के जेहन में हैं इन में एक यह भी है कि गठबंधन अभय सिंह के मुकाबले क्या रणनीति बनाकर चलेगा ।

चुनाव भाजपा लड़ेगी या जेजेपी कुछ कहा नहीं जा सकता यदि भाजपा लड़ेगी तो एक बार फिर पवन बेनीवाल को ही उम्मीदवार बनाया जा सकता है परंतु इस बार पवन बेनीवाल शायद ही चुनाव लड़े।

अभय सिंह चौटाला इस चुनाव में जे जे पी के नेताओं को चुनाव लड़ने की चुनौती चुनाव के समय भी दे सकते हैं ।वे पहले भी यह चुनौती दे चुके हैं। ऐसी स्थिति में यदि जेजेपी चुनाव लड़ने को तैयार होती है तो यह लगभग तय है कि उसका उम्मीदवार दिग्विजय चौटाला हो सकते है।
यदि ऐसा होता है तो अभय सिंह चौटाला को इसका बहुत बड़ा लाभ होगा ।

जहां तक अभय चौटाला और ऐलनाबाद का सवाल है ,यहां दोनों काफी लोकप्रिय है ।अभय सिंह ने यहां 2009 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के खिलाफ उपचुनाव जीता था।

पिछले चुनाव में भी उन्होंने अपना दम दिखाया और शानदार जीत अर्जित की। आपको बता दें कि इस चुनाव में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो लगभग 400 सांसदों का समर्थन जुटा चुके थे दूसरी बार प्रधानमंत्री बन चुके थे ,अभय सिंह चौटाला के खिलाफ चुनाव प्रचार करने ऐलनाबाद के गांव मलिका में चुनावी जनसभा को संबोधित करके गए थे ।

1 घंटे के भाषण में उन्होंने अभय सिंह चौटाला को हराने की अपील की ।खूब दलीलें दी परंतु अभय सिंह को हरा नहीं सके। जिस गांव में चुनाव प्रचार करके गए उसमें भी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा था ।अब किसान आंदोलन और त्यागपत्र वाली पहल के बाद तो अभय सिंह चौटाला अपने हलके में बहुत मजबूत हो जाएंगे। ऐसे में दिग्विजय सिंह चुनाव लड़ने आते हैं तो उनकी हार निश्चित नजर आ रही है ।

यदि ऐसा हुआ तो फिर दिग्विजय सिंह चौटाला हार की हैट्रिक बनाने वाले ऐसे युवा नेता हो जाएंगे कि लोग उन्हें गंभीरता से लेना छोड़ देंगे। क्योंकि दुष्यंत चौटाला जींद का उपचुनाव और सोनीपत का लोक सभा चुनाव मतलब अपने दोनों चुनाव हार चुके हैं। यदि ऐलनाबाद में भी वही उम्मीदवार होते हैं और चुनाव नहीं जीत पाते हैं तो इससे जेजेपी को ऐलनाबाद सिरसा सिरसा जिला ही नहीं पूरे हरियाणा में नुकसान होगा।

वैसे पिछले चुनाव में जेजेपी और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था । भाजपा के उम्मीदवार थे पवन बेनीवाल और जे जे पी के ओपी सिहाग। हमें नहीं लगता कि आगामी उपचुनाव में इनमें से कोई भी उम्मीदवार होगा गठबंधन यहां मजबूत से मजबूत और स्थानीय उम्मीदवार को मैदान में उतारेगा और दोनों दल दिग्विजय सिंह चौटाला के अलावा किसी और को मजबूत उम्मीदवार मानकर नहीं चल रहे हैं। एक बात साफ नजर आ रही है कि अभय सिंह चौटाला का त्यागपत्र हरियाणा के से सभी राजनीतिक दलों के गले की फांस बन सकता है अभय सिंह चौटाला पंजाब के 117 और हरियाणा के 90 विधायकों में अकेले ऐसे हो जाएंगे जिन्हें इतने बड़े किसान आंदोलन में किसानों के हित में त्यागपत्र देने वाले इकलौते विधायक के रुप में देखा जाया करेगा । वे चौधरी देवी लाल के स्टाइल में राजनीति करने वाले नेता के रूप में स्थापित होते जा रहे हैं ।

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