गाय विभिन्न असाध्य रोगों सहित पर्यावरण के लिए श्रेष्ठ जीव. जहां भी गाय का पालन-पोषण वहीं देवताओं का भी है वास फतह सिंह उजाला पटौदी। बहुत दुख और अफसोस का विषय है कि आज भौतिक वाली दौर में गाय को उपयोग के बजाए उपभोग का जीव मान लिया गया है । देवता युग से लेकर आज तक गाय इस ब्रह्मांड में सबसे अधिक उपयोगी जीवनदायिनी पर्यावरण की संरक्षक है । गाय का रोम-रोम आध्यात्मिक दृष्टिकोण से और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अनमोल धरोहर है । यह बात पोष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के मौके पर महाकालेश्वर विकलांग गौ सेवा सदन हेड़ाहेड़ी में गाय के संरक्षण और सेवा के संकल्प को लेकर आयोजित हवन यज्ञ के उपरांत इस विकलांग गौ सेवा सदन के संचालक महंत राजगिरी के द्वारा मौजूद गो भक्तों को संबोधित करते हुए कही गई । रविवार को पटौदी क्षेत्र के गांव हेडाहेडी में महाकाल संस्थान के अधिष्ठाता अज्ञातवास को प्रस्थान कर चुके महामंडलेश्वर स्वामी ज्योति गिरी के द्वारा करीब दो दशक पहले महाकालेश्वर विकलांग गौ सेवा सदन की स्थापना गई थी । इस गौशाला की सबसे बड़ी खूबी यही है कि यहां पर करीब 300 गोधन ऐसे हैं जो की पूरी तरह से बेबस, लाचार , बीमार, अपंग और अंधे हैं । ऐसे बेबस लाचार गोधन की सेवा और उपचार किया जाने के लिए ही इस गौ सेवा सदन को आरंभ किया गया था । आज भी यह गौ सेवा सदन तमाम गौ भक्त और गौ सेवा को समर्पित तथा गोधन के संरक्षण को संकल्पित समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के सहयोग से संचालित है । रविवार को महाकालेश्वर विकलांग सेवा सदन हेडाहेडी में हवन यज्ञ में आसपास के गांव के अलावा रेवाड़ी गुरुग्राम झज्जर दिल्ली व अन्य शहरों के गौ भक्त प्रेमियों के द्वारा गौ सेवा के संकल्प को लेकर आहुतियां अर्पित की गई । इसी मौके पर विशाल भंडारा में यहां आगंतुक सभी गौ भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया । इस मौके पर महाकालेश्वर विकलांग गौ सेवा सदन हेड़ाहेड़ी के संचालक महंत राज गिरि ने कहा की यहां पर बेबस लाचार अपंग अंधे गोधन की सेवा ही नहीं की जा रही, बलिक समाज के सभी वर्गों के सहयोग से मंदबुद्धि ऐसे बच्चों का भी उपचार करवाया जा रहा है जोकि किन्ही कारणों से परिवार और समाज के द्वारा अनदेखा कर यहां वहां ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिए जाते हैं। उन्होंने कहा यह सब कार्य करने की प्रेरणा बाबा महाकाल और अपने आध्यात्मिक गुरु के द्वारा ही प्राप्त हुई है । उन्होंने बताया कि इस ब्रह्मांड में गाय ही एकमात्र ऐसा जीव है जोकि ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन छोड़ता है । आज गाय के ऊपर पूरी दुनिया में इतनी रिसर्च की जा चुकी है की गोमूत्र गाय का गोबर मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के भी हितार्थ ही हैं । उन्होंने कहा इस ब्रह्मांड में गाय, धरती और जननी केवल इन तीनों को ही मां का दर्जा दिया गया है, अथवा मां माना गया है। चिकित्सा विज्ञान के द्वारा भी इस बात की पुष्टि की जा चुकी है की जननी के बाद शिशु के लिए गाय का दूध ही जीवनदायी अथवा अमृत के बराबर है । उन्होंने आह्वान किया कि हमें प्रकृति का संतुलन मानव जाति का अस्तित्व बनाए और बचा कर रखना है तो इसके लिए सबसे पहले हम सभी को गाय के संरक्षण और इसके पालन पोषण का दृढ़ संकल्प करना चाहिए । इस मौके पर मेजबान गांव के अलावा आसपास के दर्जनों गांवों के गणमान्य लोग और गौ भक्त मौजूद रहे । सबसे अधिक उत्साह ग्रामीण अंचल की महिलाओं में दिखाई दिया । महिलाएं इस मौके पर गाय पर लिखे गए विभिन्न भजन गीतों पर गौशाला परिसर में पारंपरिक गीत संगीत की धुन पर स्वयं को गो भक्ति के बीच झूमने नाचने से नहीं रोक सकी। Post navigation हम सौभाग्यशाली हमारे जीते जी बन रहा राम मंदिर सनातनीयों की बैठक…जाहिर की शर्मिंदगी नहीं कर सके सैफ के तांडव पर तांडव